सोनीपत : सोनीपत पुलिस ने 21 वर्षीय उभरती रेसलर निशा दहिया और उसके किशोर भाई की बुधवार को हुई हत्या के मामले में गुरुवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया.
इन आरोपियों की पहचान इस मामले के मुख्य संदिग्ध निशा के कुश्ती कोच पवन कुमार की पत्नी और भाई के रूप में हुई है.
सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मयंक गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया कि जब पवन ने निशा को गोली मारी तो कोच की पत्नी सुजाता और उसका साला अमित समेत चार लोग वहां मौजूद थे.
उन्होंने कहा, ‘मुख्य आरोपी पवन की तलाश अभी जारी है. और सचिन नाम का पवन का एक अन्य रिश्तेदार भी फरार है.’
हत्या के मकसद के बारे में गुप्ता का कहना था, ‘रेसलर की मां ने आरोप लगाया है कि कोच कई मौकों पर उससे (निशा से) छेड़छाड़ करता था. महिला ने इसकी शिकायत अपने परिवार और मां से भी की थी. हालांकि, उसने कभी ऐसी किसी शिकायत के लिए पुलिस से संपर्क नहीं साधा. मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद ही मकसद स्पष्ट हो पाएगा.
दहिया भाई-बहन की बुधवार को गांव हलालपुर के बाहरी इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जहां पवन कुमार ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार—जो अभी हत्या के कथित मामले में जेल में हैं—के नाम पर कुश्ती अकादमी चलाते हैं. निशा की मां को भी गोली मारी गई थी. वह गंभीर रूप से घायल हैं और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.
हत्या की इस वारदात को लेकर बुधवार शाम कुछ समय के लिए भ्रम की स्थिति भी बनी रही क्योंकि कई मीडिया संगठनों ने पीड़िता को निशा दहिया नाम की ही एक अन्य रेसलर समझा, जिन्होंने इस सप्ताह के शुरू में सीनियर अंडर 23 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप 2021 में कांस्य जीता था.
विश्व पदक विजेता निशा दहिया के सुरक्षित होने की पुष्टि के लिए एक वीडियो जारी किए जाने से पहले शोक संदेशों की बाढ़ आ गई. हालांकि, बाद में पीड़ितों की असली पहचान सामने आई.
पीड़ितों के परिवार के मुताबिक, निशा ने 2019 में औरंगाबाद में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में दूसरा स्थान हासिल किया और एक बड़ी रेसलर बनना चाहती थी. उनके मुताबिक, वह एक अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने की तैयारी कर रही थी.
जानकारी के मुताबिक निशा, जिसकी दो विवाहित बहनें भी हैं, ने तीन साल पहले पवन कुमार की अकादमी में प्रशिक्षण लेना शुरू किया था.
निशा के पिता दयानंद, जो अभी जम्मू-कश्मीर में तैनात एक सीआरपीएफ जवान हैं, ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान छेड़छाड़ के आरोपों पर कहा कि उसने ‘इससे पहले में दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ की शिकायत की थी.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे पता था कि इस अकादमी की कोई हैसियत नहीं है, कोई भी उसे नहीं जानता था. मौका देने के नाम पर वह उसे धोखा दे रहा था. मैंने निशा से कहा था कि मैं उसे रोहतक या पानीपत में किसी बेहतर अकादमी में भर्ती कराऊंगा, लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी.’
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ग्रामीणों में गुस्सा
हलालपुर के निवासियों में अपराध की घटना को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है और उनमें मुख्य संदिग्ध पवन के खिलाफ गहरा गुस्सा है, जिसकी शादी इसी गांव की एक लड़की से हुई है.
पड़ोसियों ने पीड़ितों का जिक्र ‘सीधे, सादे बच्चे’ के तौर पर किया, जो पढ़ाई में भी अच्छे थे. निशा बवाना स्थित अदिति महाविद्यालय की छात्रा थी, जबकि उसके भाई सूरज ने हाल ही में 12वीं कक्षा 85 प्रतिशत के साथ पास की थी और वह जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेनिंग) की तैयारी कर रहा था, जो हरियाणा के युवाओं के बीच लोकप्रिय शिक्षण पाठ्यक्रम है.
उनकी हत्या के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने बुधवार शाम सुशील कुमार के बड़े-बड़े पोस्टर और तस्वीरों से सजी अकादमी की दीवारों को तोड़ दिया और इमारत में आग लगा दी.
पुलिस को दिए मां के बयान (दिप्रिंट ने जिसे एक्सेस किया है) के मुताबिक, घटनाक्रम कुछ इस तरह रहा है कि कोच ने निशा को दोपहर करीब 1.30 बजे अकादमी बुलाया. इसके बाद उसने कथित तौर पर उसकी मां धनपति को फोन करके उसे ले जाने को कहा.
धनपति जब अपने 19 वर्षीय बेटे सूरज को लेकर एकेडमी पहुंची तो निशा ने कोच पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया. इसके बाद उसने कथित तौर पर निशा को गोली मार दी. जब सूरज और धनपति ने भागने की कोशिश की, तो उसने उनका पीछा किया और गोलियां चला दीं.
एएसपी गुप्ता ने कहा, ‘अपराध किस समय हुआ और कितनी गोलियां चलाई गईं, इसका ब्योरा जांच और शव की एटॉप्सी के बाद ही हो पाएगा. परिवार का कहना है कि वे पुलिस जांच में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे.’
सोनीपत पुलिस ने पवन की गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है, जिसके बारे में बताया जाता है कि वह मूल रूप से बालंद गांव का रहने वाला है.
ग्रामीण पहले अपराधियों के पकड़े जाने तक अंतिम संस्कार नहीं करने की योजना बना रहे थे, लेकिन परिवार के सदस्यों, पंचायत और जिला प्रशासन के बीच बंद कमरे में बैठक के बाद इरादा बदल दिया गया.
निशा के परिवार की तरफ से छेड़छाड़ के आरोप लगाए जाने के बारे में पूछने पर कई ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें ‘पवन के व्यवहार के बारे में पता नहीं था.’ उन्हें गांव के ‘दामाद’ के तौर पर जाना जाता था.
एक महिला ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि उसका 14 वर्षीय पोता नियमित रूप से अकादमी में जाता था लेकिन कभी भी पवन की तरफ से किसी दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं की. दो अन्य ग्रामीणों, जिनके बच्चे अकादमी जाते रहे हैं, ने भी इसी तरह का दावा किया.
नाम न देने की शर्त पर एक अन्य ग्रामीण ने कहा, ‘कोई हत्यारा है इसका खुलासा तो तभी होगा जब वह किसी की हत्या करेगा.’
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