गुरुग्राम: विदेश में बेहतर ज़िंदगी का सपना देखने वाला एक युवक रूस-यूक्रेन युद्ध के मैदान में त्रासदी का शिकार हो गया. परिवार के सदस्यों के अनुसार, हरियाणा के कैथल जिले के जनेदपुर गांव के 24-वर्षीय पंचायत सदस्य करम चंद को एक एजेंट ने धोखा दिया और उन्हें जर्मनी के बजाय रूस भेजकर रूस की सेना में लड़ने के लिए मजबूर किया.
6 सितंबर को करम चंद फ्रंटलाइन पर हुए एक विस्फोट में मारे गए. उनकी देह शनिवार को गांव पहुंची, उनकी मौत के 43 दिन बाद. उसी दिन उनके अंतिम संस्कार का कार्य संपन्न हुआ.
करम चंद कैथल के दूसरा व्यक्ति थे, जिन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की सेना के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवाई. पिछले साल, इसी जिले के माटोर गांव के 24-वर्षीय रवि माटोर की भी रूस भेजे जाने के बाद सेना में भर्ती होने के दौरान मौत हो गई थी. यह भी बताया गया कि उन्हें और अन्य पांच हरियाणा के युवकों को एजेंट सत्यवान ने धोखा देकर रूस भेजा था.
करम चंद के चचेरे भाई विजय कुमार ने दिप्रिंट से कहा कि विडंबना यह है कि बचपन में करम चंद भारतीय सेना में सेवा करना चाहते थे, लेकिन विदेश में रूस के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवा बैठे.
उन्होंने बताया कि करम चंद विदेश में बसने की इच्छा लेकर जुलाई में जर्मनी की नौकरी की उम्मीद में भारत छोड़कर गए थे. कुमार ने आरोप लगाया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उन्हें जर्मनी भेजने का वादा किया, लेकिन धोखा देकर रूस भेज दिया और उसे रूस की सेना में भर्ती करवा दिया. एजेंट ने करम चंद को जर्मनी भेजने के लिए 8 लाख रुपये भी लिए थे.
परिवार ने अब एजेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
कुमार के अनुसार, परिवार को करम चंद की मौत की जानकारी 13 दिन बाद, 19 सितंबर को तब मिली, जब रूस की सेना में तैनात एक अन्य भारतीय ने टेलीग्राम ऐप के जरिए सूचना दी. इसके बाद परिवार ने स्थानीय प्रशासन और विदेश मंत्रालय से संपर्क किया. लंबी प्रक्रिया के बाद 17 अक्टूबर को करम चंद की देह भारत और फिर उनके गांव लायी गई.
कुमार ने कहा, “जब उनका शव शनिवार सुबह जनेदपुर में पहुंचा, तो पूरे गांव में शोक की लहर थी—आंसुओं और भारी खामोशी के बीच.”
राज्यसभा सांसद और कैथल के दो बार विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक्स पर करम चंद के मामले का हवाला देते हुए राज्य सरकार को उनकी मौत का जिम्मेदार ठहराया.
आज की इस खबर ने अंतरात्मा को झकझोर दिया।
काश …भाजपा सरकार ये दर्द समझ पाती।हरियाणा में भाजपा द्वारा फैलाई गई ‘बेरोज़गारी की बीमारी’ से हताश,निराश और त्रस्त हो कर हमारे प्रदेश का युवा विदेश जाकर ‘यातनाओं की यात्रा’ कर रहे हैं।
हरियाणा में बेरोजगारी से परेशान होकर रोजगार के… pic.twitter.com/Y9hsbr70Y2
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 18, 2025
उन्होंने लिखा, “हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा फैलाई गई बेरोजगारी की महामारी ने हमारे युवाओं को निराश, हताश छोड़ दिया—जिसके कारण उन्हें विदेश में कठिन रास्तों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. विदेश में हमारे युवाओं के उत्पीड़न, हिंसा और मौत की खबरें लगातार आती रहती हैं, लेकिन हरियाणा की भाजपा सरकार इस गंभीर मुद्दे के प्रति उदासीन बनी हुई है. इस त्रासदी की जिम्मेदारी भाजपा सरकार की है.”
मदद और सम्मान की मांग
करम चंद के माता-पिता और दो बहनें ज़िंदा हैं, बड़ी बहन की शादी हो गई है और छोटी अविवाहित हैं. उनकी मौत ने परिवार और गांव को हिला दिया है और गांववासी एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
अंत्येष्टि के समय मीडिया से बात करते हुए करम चंद के पिता देशराज और माता सुनीता ने कहा कि उनका बेटा हमेशा भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा करना चाहता था. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि करम चंद को शहीद का दर्जा दिया जाए. साथ ही बेटी के लिए वित्तीय सहायता और सरकारी नौकरी की भी मांग की.
चचेरे भाई ने बताया कि करम चंद अपनी छोटी बहन की फरवरी में होने वाली शादी की तैयारी कर रहे थे और परिवार को उम्मीद थी कि वे विदेश से खर्चों में मदद करेंगे. कुमार ने कहा, “लेकिन करम चंद ने न तो कोई सैलरी ली और न ही अपनी मौत की खबर आने से पहले किसी को पैसा भेज पाए.”
केंद्र सरकार ने फरवरी में राजसभा में जवाब देते हुए कहा कि रूस की सेना में भर्ती 16 भारतीय “लापता” बताए गए हैं.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, “मौजूदा जानकारी के अनुसार, रूस की सशस्त्र सेना में 18 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 16 को रूस की ओर से लापता बताया गया है. संबंधित रूसी अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि शेष भारतीय नागरिकों की स्थिति और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.”
सरकार ने अब तक सात भारतीय नागरिकों की देह लौटाने में मदद की है; दो अन्य मामलों में देह का रूस में ही अंतिम संस्कार किया गया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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