गुरुग्राम: हरियाणा के गृह मंत्री द्वारा जांच में देरी पर कार्रवाई की मांग करने के दो दिन बाद, राज्य पुलिस ने बुधवार को एक साल से अधिक समय होने पर भी एफआईआर पर उचित कार्रवाई नहीं करने के लिए 372 जांच अधिकारियों (आईओ) को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) ने गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, पंचकुला और सोनीपत के पुलिस आयुक्तों और अंबाला, यमुनानगर, करनाल, पानीपत, हिसार, सिरसा, जिंद, रेवाडी और रोहतक के पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर निलंबन आदेश जारी करने का निर्देश दिया.
आईओ आम तौर पर हेड कांस्टेबल, सहायक उप निरीक्षक, उप निरीक्षक और निरीक्षक रैंक के पुलिस अधिकारी होते हैं.
दिप्रिंट के पास एडीजीपी (अपराध) द्वारा जारी बुधवार के आदेश की एक प्रति है.
सिरसा (66), गुरुग्राम (60) और यमुनानगर (57) में ऐसे सबसे ज्यादा अधिकारी हैं. सूची में अन्य लोग हैं – फ़रीदाबाद (32), रोहतक और करनाल (दोनों में 31), अंबाला (30), जिंद (24), हिसार (14), पंचकुला (10), सोनीपत (9), रेवारी (5), और पानीपत (3).
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने दिप्रिंट को बताया कि वह पुलिस अधिकारियों से जनहित में मामलों की जांच में तेजी लाने के लिए कहते रहे हैं. उन्होंने कहा, ”मैंने उनसे कहा कि जिन मामलों की जांच लंबे समय से लंबित है, उन्हें प्राथमिकता पर लिया जाना चाहिए क्योंकि लोग पीड़ित हैं और शिकायतें लेकर (मेरे पास) आते हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि, “मई में, मुझे बताया गया था कि 3,229 मामले ऐसे हैं जिनमें जांच अधिकारियों द्वारा एक वर्ष से अधिक समय के बाद भी मामले को सुलझाया नहीं जा सका है. लोग दर-दर भटक रहे हैं और मामलों का निपटारा नहीं हो रहा है. हमने लंबित मामलों के संबंध में अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा, और 372 अधिकारियों ने संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया.”
विज ने सोमवार को डीजीपी शत्रुजीत कपूर को पत्र लिखकर 372 आईओ को निलंबित करने का आदेश दिया था, जिनके बारे में उन्होंने कहा था कि उन्होंने ‘संतोषजनक’ स्पष्टीकरण नहीं दिया था. उन्होंने आगे उनके मामलों को एक महीने में निपटारे के लिए डीएसपी को स्थानांतरित करने का आदेश दिया. मंत्री ने लिखा, ”नहीं तो इन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.”
मंगलवार को, डीजीपी ने हरियाणा पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें जनता की शिकायतों का तुरंत समाधान करने और निष्पक्ष जांच को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया.
कपूर ने अधिकारियों से कहा कि फीडबैक लेने के लिए शिकायतकर्ताओं को रैंडम कॉल करें. उन्होंने उन्हें बताया, “इन कॉलों का उपयोग पुलिस स्टेशनों और अधिकारियों के प्रदर्शन का आकलन करने, रेटिंग प्रणाली स्थापित करने के लिए किया जाएगा.”
पुलिस प्रमुख ने वरिष्ठ अधिकारियों से फीडबैक सेल के माध्यम से की गई कॉल की समीक्षा करने को कहा, विशेष रूप से फीडबैक तंत्र के एक भाग के रूप में पुलिस की कार्रवाइयों से असंतुष्ट लोगों पर ध्यान केंद्रित किया. कपूर ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कहा, “वरिष्ठ अधिकारियों को असंतोष के पीछे के कारणों की जांच करनी चाहिए और कॉल रिकॉर्डिंग के माध्यम से पारदर्शी कार्य प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए.”
(संपादन: अलमिना खातून)
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