चंडीगढ़, एक मार्च (भाषा) हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दी गई पैरोल को सही ठहराते हुए कहा है कि वह ‘दुर्दांत कैदी’ की परिभाषा में नहीं आता है और उसे ‘सीरियल किलर’ नहीं कहा जा सकता है।
डेरा प्रमुख अपनी दो शिष्यओं के साथ बलात्कार करने के जुर्म में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है। उसे 20 जनवरी को 40 दिन की पैरोल दी गई थी। उसे हत्या के दो मामलों में भी दोषी ठहराया गया है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने पैरोल के आदेश को हाल में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
अदालत में दाखिल किए जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि राम रहीम को पैरोल देकर कुछ भी गैर कानूनी नहीं किया गया है। यह जवाब रोहतक की सुनारिया जेल के अधीक्षक के माध्यम से दायर किया गया है। इसी जेल में राम रहीम अपनी सजा काट रहा है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि हत्या के दो मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद राम रहीम अब हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा 2 (1) (जी) के तहत ‘दोषी दुर्दांत कैदी’ की परिभाषा में आता है।
एसीजीपीसी ने यह भी दलील दी है कि हत्या के दो मामले कानून के तहत ‘ सीरियल किलिंग’ के समान हैं।
डेरा प्रमुख और चार अन्य को डेरा के एक प्रबंधक रणजीत सिंह के कत्ल की साजिश रचने के जुर्म में 2021 में दोषी ठहराया गया था। 2019 में उसे तथा तीन अन्य को 16 साल पहले एक पत्रकार की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराया गया था।
राज्य सरकार ने एसजीपीसी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि राम रहीम की हत्या के दो अलग अलग मामलों में दोषसिद्धि को ‘सीरियल किलिंग्स’ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि वह हमलावर नहीं है और उसने कत्ल को अंजाम नहीं दिया है।
सरकार ने कहा कि उसे इन हत्याओं के लिए सह आरोपियों के साथ मिलकर आपराधिक साज़िश रचने के लिए दोषी ठहराया गया है।
सरकार ने कहा कि डेरा प्रमुख को तीन अलग-अलग मौकों पर पैरोल और फरलो दिया जा चुका है और ये सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रदान किया गया है। सरकार ने कहा कि जेल से उसकी अस्थायी रिहाई के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।
सरकार ने कहा कि राज्य की जेलों से लगभग 1,000 दोषियों ने अधिनियम के तहत पैरोल और फरलो पर अस्थायी रिहाई का लाभ उठाया है।
भाषा नोमान पवनेश
पवनेश
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