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Friday, 22 November, 2024
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हरियाणा ने दो साल तक खाली पड़े पदों को खत्म किया, विपक्ष और यूनियनों ने पूछा-‘बेरोजगारी का क्या’

पहले इन पदों को वित्त विभाग के अनुमोदन से बहाल किया जा सकता था. लेकिन अब इन्हें पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. अगर किसी विभाग को इनकी जरूरत है तो बहाली के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होगा.

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चंडीगढ़: हरियाणा वित्त विभाग की दो दशक पुरानी कार्यप्रणाली को इस महीने की शुरुआत में थोड़े से संशोधन के साथ लागू किया गया, जिसे लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है. राजनीतिक दल और कर्मचारी संघ, दोनों ही इसके पीछे दिए गए तर्क पर सवाल उठा रहे हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की एक रिपोर्ट की मानें तो हरियाणा दिसंबर में देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर दर्ज करने वाले राज्य रहा है. इस तरह का आदेश राज्य की पृष्ठभूमि के खिलाफ है.

विवाद की जड़ में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त विभाग) के कार्यालय की ओर से 6 फरवरी को ‘आर्थिक उपाय’ विषय के तहत सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागों के प्रमुखों, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल, बोर्डों और निगमों के प्रबंध निदेशकों, आयुक्तों, उपायुक्तों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को जारी किया गया आदेश है. इस आदेश की एक प्रति दिप्रिंट के पास है.

निर्देश में कहा गया है, ‘सभी पद, चाहे नव सृजित हों या पुराने हों, आस्थगित रखे गए हों या जो दो साल से अधूरे/खाली पड़े हों, उन्हें समाप्त माना जाएगा. औपचारिक समाप्ति आदेश संबंधित विभाग द्वारा एक माह के भीतर वित्त विभाग (व्यय नियंत्रण शाखा) को सूचना के तहत जारी किया जाना है और इसे वित्त विभाग के विचार-विमर्श करने के बाद ई-पोस्ट पर अपडेट करना होगा. दो साल के बाद पद की बहाली पर किसी भी स्थिति में विचार नहीं किया जाएगा. अगर विभाग को इन पदों की जरूरत है, तो (एक) पूर्ण कार्यात्मक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए एक नया पद सृजित करने का नया प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जा सकता है.

इस नए आदेश ने इस विषय पर 15 फरवरी 2016 के एक पत्र में उल्लिखित उस पूर्व प्रक्रिया को बदल दिया है, जहां एक विभाग वित्त विभाग से अनुमोदन से इस तरह के पद को भर सकता था. अब दो साल से अधिक समय से खाली पड़े पद को समाप्त माना जाएगा और एक उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए एक नया पद सृजित किया जा सकता है. दिप्रिंट के पास 2016 के पत्र की एक प्रति भी है.

नए आदेश के मुताबिक ये शर्तें उन पदों पर लागू नहीं होंगी, जिनके लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) या हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को पहले ही डिमांड भेजी जा चुकी है और जिनके लिए विज्ञापन जारी किया जा चुका है. इसके अलावा सभी पदोन्नति वाले पदों पर भी इनका असर नहीं होगा. इसका अर्थ है कि अगर किसी कर्मचारी को जिस पद पर पदोन्नत किया जा रहा है, उसे समाप्त कर दिया गया है तो उसकी पदोन्नति को रोका नहीं जाएगा.


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कोई नई बात नहीं

वित्त विभाग ने 2002 में ‘आर्थिक उपाय’ विषय के तहत इस तरह का पहला पत्र जारी किया था और इस विषय पर बाद के सभी पत्र इसका उल्लेख करते हैं.

लेकिन दो साल से अधिक समय से खाली पड़े सभी पदों को समाप्त करने का आदेश जारी करने वाले इस पत्र ने हलचल मचा दी है. अब चाहे वह राजनीतिक दल हों या संघ के नेता, हर कोई इसकी आलोचना कर रहा है.

फैसले का विरोध करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपिंदर सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘सरकारी विभागों में 1.82 लाख पद खाली पड़े हैं, लेकिन बीजेपी-जेजेपी सरकार भर्ती करने के बजाय पदों को खत्म करने में लगी है. यह सरकार युवाओं पर अत्याचार कर रही है.’

उन्होंने कहा, ‘बेरोजगारी को बढ़ावा देने वाले इस फैसले को सरकार वापस ले और खाली पड़े पदों पर तुरंत भर्ती करे. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो आने वाले समय में कांग्रेस ऐसा करेगी. पार्टी के सत्ता में आने के बाद हम स्थायी भर्तियां कर सभी रिक्त पदों को भर देंगे.

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को हिंदी में एक ट्वीट किया ‘भाजपा के ‘अमृत काल’ में बेरोजगार युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ गया है’. सुरजेवाला ने इस फैसले को भाजपा-जजपा सरकार की नापाक नीयत और जनविरोधी नीति का उदाहरण बताया और रिक्त पड़े पदों की संख्या को लेकर सरकार को तलब किया.

सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष धरमवीर फोगट ने दिप्रिंट को बताया कि यह विडंबना है कि एक ओर बेरोजगार युवा राज्य सरकार की नौकरियों के विज्ञापन का इंतजार कर रहे हैं, और दूसरी तरफ सरकार खाली पदों को खत्म करने में लगी है.

फोगट ने कहा, ‘4.58 लाख स्वीकृत पदों में से 1.82 लाख खाली पड़े हैं. कोई भी कल्पना कर सकता है कि मौजूदा कर्मचारियों को कितना अधिक काम करना पड़ रहा होगा. फोगट ने कहा, बढ़ती आबादी को देखते हुए सरकार से अधिक नौकरियां पैदा करने की उम्मीद थी, लेकिन यहां तो मौजूदा पदों को ही खत्म किया जा रहा है.

हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सरबत सिंह पुनिया ने इस फैसले को बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय बताया.

पिछले महीने ही सीएमआईई ने दिसंबर 2022 में बेरोजगारी दर पर अपनी रिपोर्ट में बताया था कि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत है और इसके मुकाबले 37.4 प्रतिशत की बेरोजगारी दर के साथ हरियाणा शीर्ष पर बना हुआ है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य का बचाव करते हुए दावा किया था कि उक्त अवधि के लिए बेरोजगारी दर सिर्फ 6 प्रतिशत थी. उन्होंने सीएमआईई द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया और कहा ‘ये आंकड़े बहुत छोटे सर्वेक्षण नमूने पर आधारित हैं.

दिप्रिंट ने फोन और व्हाट्सएप के जरिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) अनुराग रस्तोगी से प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क करने की कोशिश की थी. उनका जवाब मिलने के बाद इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

उधर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि यह सदियों से चली आ रही कार्यप्रणाली है, जिसमें दो साल या उससे अधिक समय से खाली पड़े पदों पर रोक लगा दी जाती थी.

अधिकारी ने कहा, ‘जब कोई पद दो साल से अधिक समय से खाली पड़ा रहता है, तो यह माना जाता है कि संबंधित विभाग को इसकी जरूरत नहीं है. पुराने आदेश के मुताबिक, उक्त पदों को वित्त विभाग की स्वीकृति से भरा जा सकता था. लेकिन नया आदेश कहता है कि पदों को खत्म कर दिया जाएगा और अगर किसी विभाग को उन पदों की जरूरत है और कर्मचारियों की भर्ती करनी है, तो नए पदों के निर्माण के लिए एक उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा.’

(अनुवादः संघप्रिया मौर्या | संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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