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Friday, 22 November, 2024
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कठुआ मामले की सुनवाई कर रहे जज की पत्नी को, हरियाणा सरकार ने बनाया सूचना आयुक्त

भंडारी उन तीन सूचना आयुक्तों में से एक हैं जिन्हें हरियाणा सरकार ने राज्य का सूचना आयुक्त बनाया है. इन्हें 8 मार्च को सूचना आयुक्त बनाया गया है.

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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने कठुआ रेप केस की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश कमलदीप भंडारी की पत्नी को सूचना आयुक्त बनाया है. सरकार ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आचार संहिता) लागू होने के महज दो दिन पहले उन्हें यह महत्वपूर्ण पोस्ट दी गई है.
भंडारी उन तीन सूचना आयुक्तों में से एक हैं जिन्हें हरियाणा सरकार ने राज्य का सूचना आयुक्त बनाया है. इन्हें 8 मार्च को सूचना आयुक्त बनाया गया है. इन तीनों में एक लेफ्टिनेंट जेनरल के जे सिंह, सेवानिवृत्त सी वेस्टर्न कमांड और पूर्व कांग्रेसी जय सिंह बिश्नोई जो सितंबर 2018 में भाजपा में शामिल हुए हैं.

तीनों आयुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष होगा

इस पोस्ट के लिए 229 प्रविष्टियां आईं थीं जिसमें सेवानिवृत और मौजूदा आईएएस अधिकारियों ने भी अप्लाई किया था. इस पूरे सलेक्शन में एक साल का समय लगा है.

यह नियुक्तियां आचार संहिता लागू होने के महज कुछ मिनटों पहले की गई. हरियाणा ने जून 2018 और अगस्त 2018 में पदों के लिए विज्ञापन दिया था.

जब इस मामले में दिप्रिंट ने हरियाणा चीफ सेक्रेटरी देपिंदर ढेसी और मुख्यमंत्री के प्रिसिंपल सेक्रेटरी राजेश खुल्लर सवालों के जवाब देने के लिए उपलब्ध नहीं थे. जैसे ही इस मामले में कोई भी आधिकारिक सूचना आएगी खबर को अपडेट किया जाएगा.

पंजाब में राइट टू सर्विस कमीशन की सदस्य रह चुकी और पठानकोट के डिस्ट्रिक्ट जज डॉ तेजविंदर सिंह की पत्नी भंडारी बीते जुलाई से ही संवेदनशील कठुआ रेप केस की सुनवाई कर रही है. कानून में पीएचडी डॉ सिंह पिछले मई से ही रेप केस की सुनवाई कर रही हैं. जब इस केस को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू से पंजाब के पठानकोट में स्थानतरित कर दिया था.

यह पिछले साल जनवरी में जम्मू के बकरवाल में एक नौ साल की मुस्लिम लड़की से रेप और मर्डर का मामला है. एक ऐसा जघन्य अपराध जिसने देश को हिला दिया था.

इस केस ने जम्मू व कश्मीर को संप्रदायिकता में बांट दिया था. जहां भाजपा नेताओं ने मामले के आरोपी का समर्थन किया और जांच को ‘कश्मीर आधारित’ बता कर उस पर सवाल खड़े किए थे. यही नहीं यह केस भाजपा और पीडीपी के बीच विवाद का विषय भी बना जिसके बाद पिछले जून में भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था.

अभिनेत्री और एक्टिविस्ट

भंडारी पंजाब की जानी-मानी अदाकारा हैं. जिन्हें सुनहरे पर्दे पर गुलछु जॉली के नाम से जाना जाता है. एक दशक से लंबे समय के करियर में, भंडारी ने ‘शरीक’, ‘जट’, ‘जुलियट-1’ जैसी फिल्मों में भी काम किया है.

हालांकि, भंडारी किसी सैंविधानिक पद पर बैठने के लिए नई नहीं हैं. उन्हें 2016 में शिरोमणी अकाली दल व भाजपा की पिछली सरकार में राइट टू सर्विस कमीशन का सदस्य बनाया गया था. उन्हें और 6 अन्य लोगों को सितंबर 2016 में पांच साल के लिए शपथ दिलाई थी.

लेकिन 2017 में जब कांग्रेस सत्ता में आई तब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कमीशन को भंग कर सदस्यों की सेवाएं समाप्त कर दी.

भंडारी ने अंग्रेजी में मास्टर की डिग्री हासिल करने के अलावा बीएड भी किया है. वे एलएलबी और एलएलएम भी हैं.

उनके नाम का सुझाव करने वाले सर्च कमेटी के एक सदस्य ने बताया, ‘वे सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी रही हैं. और समाज के वंचित तबको के लिए काफी काम किया है. उन्होंने कानून और अंग्रेजी भी पढ़ाते हुए एजुकेशनल कंसलटेंट के रूप में भी काम किया है.  ‘

आईएएस और आईपीएस अधिकारी को किया गया नजरंदाज

इन तीनों को हरियाणा की तीन सदस्यीय एक पैनल ने हरी झंडी दी है. जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पीडब्लूडी मंत्री राव नरबीर सिंह और विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला शामिल हैं.

ये राज्य के चीफ सेक्रिटरी के निर्देशन में सर्च कमेटी द्वारा सुझाए गए नौ नामों में से हैं.

अन्य नाम जिन्हें शार्टलिस्ट किया गया था, उनमें सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और हरियाणा के पूर्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पी.के महापात्रा, हरियाणा के सेवानिवृत्त डीजीपी सुधीर चौधरी, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और पूर्व डायरेक्टर जनरल आईटीबीपी आर. के पंचनंदा, कार्यरत अधिकारी अनिल कुमार, पूर्व न्यायिक अधिकारी कुलदीप जैन, और शिक्षाविद व हिसार स्थित गुरु जंबेश्वर युनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ अनिल कुमार पुंडीर के नाम शामिल थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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