सोनीपत: हरियाणा पुलिस एक मामले को लेकर चर्चा में है. सोनीपत पुलिस महकमे पर बुटाना गांव की दलित महिला और उसकी नाबालिग चचेरी बहन द्वारा हिरासत में सामूहिक बलात्कार के गंभीर आरोप लगा है. दोनों महिलाएं दो पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में आरोपी हैं.
सोनीपत के महिला थाने में नाबालिग की मां द्वारा 30 जुलाई को दर्ज की गई एक प्राथमिकी के अनुसार, तीन मुख्य आरोपियों – सहायक उप-निरीक्षक संजय, विशेष पुलिस अधिकारी राधे और कांस्टेबल संदीप समेत ‘7-9’ अज्ञात पुलिसकर्मियों ने हिरासत के दौरान 3 से 5 जुलाई के बीच बड़ौदा पुलिस स्टेशन और अपराध जांच एजेंसी के कार्यालय गोहाना में दोनों के साथ बलात्कार किया.
तीन मुख्य आरोपियों पर पोक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (ए) और 376-डी के तहत आरोप लगाए गए हैं. लेकिन बाद में एफ़आईआर में एससी एसटी एक्ट भी जोड़ा गया है.
नाबालिग लड़की बीते 22 अगस्त को ही 18 साल की हुई है और उसकी चचेरी बहन, 5 जुलाई के बाद से ही करनाल जेल में बंद हैं.
पिछले एक पखवाड़े से इस मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सक्रिय हुए हैं. मानवाधिकार आयोग ने 21 से लेकर 23 अक्टूबर के बीच एक पैनल तहक़ीक़ात के लिए सोनीपत भेजा है. इसके अलावा अनुसूचित जाति आयोग ने 22 अक्टूबर को हरियाणा पुलिस को एक नोटिस भेजा है और इस मामले की रिपोर्ट जमा कराने के लिए कहा है.
राज्य के कई दलित संगठनों ने भी इस मुद्दे को लेकर सोनीपत ज़िले में विरोध प्रदर्शन किया है. इन विरोध प्रदर्शनों में दोनों लड़कियों को न्याय मिलने और आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग की गई है. हालांकि इस केस को लेकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक आरोपी अधिकारियों की गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
इस संदर्भ में सोनीपत के पुलिस अधीक्षक जशनदीप सिंह रंधावा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने एएसपी निकिता खट्टर के तहत एक एसआईटी का गठन किया है. वह मामले की जांच कर रही हैं. उनके साथ एसएचओ महिला थाना, इंस्पेक्टर प्रोमिला भी उनकी मदद कर रही हैं.’
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हत्या का मामला
बुटाना में 29 जून को दो पुलिसकर्मियों की हत्या के साथ ये मामला शुरू हुआ. रंधावा बताते हैं, ’29 जून को लगभग सुबह 5 बजे बुटाना पुलिस चौकी से क़रीब 500 मीटर दूर हमें एक बंद पुरानी इमारत के पास खून से लथपथ पुलिसकर्मियों के शव मिले थे. बाद में दोनों की पहचान विशेष पुलिस अधिकारी कप्तान सिंह (42) और कॉन्स्टेबल रविंद्र कुमार (28) के रूप में हुई.’
वो आगे कहते हैं, ‘जांच के दौरान हमने रविंद्र के हाथ पर एक वाहन का नंबर लिखा हुआ पाया. इसी नंबर ने हमें उनकी हत्या के केस में छह अभियुक्तों तक पहुंचाया.’
इनमें मुख्य आरोपी अमित नाम का एक स्थानीय गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर था. पुलिस के अनुसार, गश्त करने गए दोनों पुलिस जवानों ने अमित को एक कार में नाबालिग दलित लड़की के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पाया. साथ ही पास में एक और कार थी, जिसमें लड़की की चचेरी बहन और बाक़ी तीन लड़के थे.
रंधावा के मुताबिक, ‘आरोपियों ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वे उस दिन शराब पी रहे थे. कुमार और कप्तान ने गैंगस्टर अमित और नाबालिग लड़की को आपत्तिजनक स्थिति में पाया था.’
रंधावा आगे जोड़ते हैं, ‘कुमार और कप्तान ने उन्हें पुलिस चौकी चलने के लिए कहा तो आरोपियों ने उन्हें घूस देने की कोशिश की. लेकिन मामला खिंचता चला गया. अमित ने लड़कियों की पहचान छुपाने और इज़्ज़त के नाम पर दोनों पुलिसकर्मियों को चाकू से गोद कर मार डाला.’
हालांकि, आरोपी नाबालिग की मां ने घटना के इस एंगल से इनकार किया है. वो कहती हैं, ‘हमारी लड़कियों ने बताया है कि उन दो पुलिसकर्मियों ने मांग की थी कि नाबालिग लड़की को इन्जॉयमेंट के लिए उन्हें सौंप दिया जाए. इस वजह से मामला आगे बढ़ा.’
हत्या के मामले में दोनों लड़कियों को 30 जून को धारा 302 (हत्या की कोशिश) के तहत दर्ज एक प्राथमिकी में आरोपियों के तौर पर नामित किया गया है. गैंगस्टर अमित उसी दिन पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.
पुलिस के मुताबिक़, जब पकड़े गए बाक़ी आरोपियों ने दोनों लड़कियों की पहचान उजागर की तो दोनों महिलाओं को 3 जुलाई को गांव के एक बाहरी रास्ते से गिरफ्तार किया गया.
‘बलात्कार’ का मामला
नाबालिग की मां, जो सामूहिक बलात्कार की प्राथमिकी में शिकायतकर्ता हैं, ने पुलिस द्वारा बताई गए गिरफ़्तारी की तारीख़ से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि वो अपनी बेटी को ख़ुद 2 जुलाई को आत्मसमर्पण के लिए पुलिस स्टेशन लेकर गई थीं क्योंकि पुलिस ने उनके परिवार के बाक़ी सदस्यों को परेशान करना शुरू कर दिया था.
वो कहती हैं, ‘मैं 2 जुलाई को बड़ौदा पुलिस स्टेशन में लड़की के साथ रही. पुलिसवालों ने मुझे गाली दी और थप्पड़ मारा. वे परिवार की एक अन्य नाबालिग लड़की को भी उठाकर ले गए और उसे घंटों थाने में बैठाए रखा. पुलिस ने उसे भी थप्पड़ मारे और गालियां दीं.’
दिप्रिंट जब बुटाना गांव पहुंचा तो तीसरी नाबालिग लड़की घर पर ही मिली. नाबालिग ने दिप्रिंट से इस बात की पुष्टि करते हुए बताया, ‘उन्होंने मुझे गालियां दीं और दुर्व्यवहार किया. मैंने कहा कि अगर मैंने कुछ भी गलत किया है तो आप मेरा डॉक्टरी मुआयना करवा लें. इसपर पुलिस वालों ने कहा कि सारा डॉक्टरी मुआयना हम यहीं कर देंगे.’
बड़ौदा पुलिस स्टेशन के एसएचओ बदन सिंह ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा, ‘हमने आरोपियों लड़कियों के अलावा परिवारों के किसी भी सदस्य को पुलिस स्टेशन में नहीं बुलाया है. गालियों का आरोप झूठा है.’
हत्या के मामले में आरोपी दोनों लड़कियां 3 जुलाई को पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी के बाद हिरासत में ही रखी गईं. लेकिन एक स्थानीय अदालत में 5 तारीख़ को पेश किए जाने के बाद उन्हें करनाल जेल भेज दिया गया.
महिला थाना सोनीपत में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, ‘हिरासत में लिए जाने की इन दो दिन की अवधि के दौरान ही पुलिसकर्मियों द्वारा दोनों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.’ शिकायतकर्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘पुलिस अधिकारियों ने उनके गुप्तांगों में उंगलियां, लकड़ी के डंडे और कांच बोतलें डालीं.’
एसएचओ प्रमिला के अनुसार, ‘नाबालिग लड़रकी की मां ने दोनों लड़कियों के हवाले से शिकायत दर्ज कराई है. दूसरी लड़के के परिवार ने ना ही पुलिस से संपर्क किया है और ना ही वो इस केस में अपनी तरफ़ से कोई दावा पेश कर रहे हैं. ना वो कोई बयान दर्ज कराने आ रहे हैं.’
मेडिकल जांच पर सवाल
आधिकारिक रिकॉर्ड्स के अनुसार, 3 जुलाई से 1 अगस्त के बीच दोनों लड़कियों की तीन बार मेडिकल जांच की गई है.
रंधावा बताते हैं, ‘पहली मेडिकल जांच गिरफ्तारी के दिन यानि कि 3 जुलाई को हुई थी. दूसरी मेडिकल जांच 5 जुलाई को कोर्ट में पेश करने से पहले कराई गई थी.’
महिला थाना एसएचओ, इन्सपेक्टर प्रमिला आगे बताती हैं, ‘इसके बाद लड़कियों ने करनाल जेल में 7 जुलाई को अपने गुप्तांगों से खून बहने की शिकायत की थी. जिसके बाद उन्हें सिविल अस्पताल करनाल भेजा गया था. 12 तारीख़ को इसी सिलसिले में अल्ट्रासाउंड के लिए उन्हें कल्पना चावला अस्पताल भी ले जाया गया था.’
वो कहती हैं, ‘परिवार ने अदालत में एक याचिका भी दायर की थी. इस याचिका संज्ञान लेते हुए गोहाना अदालत ने मेडिकल जांच का आदेश दिया था. एक अगस्त को मेडिकल कराया गया था.’
प्रमिला के अनुसार इनमें से कोई भी मेडिकल रिपोर्ट किसी तरह के अब्यूज के बार में संकेत नहीं देती.
हालांकि वो ये भी कहती हैं, ‘हमने दोनों लड़कियों को जांचने वाली महिला डॉक्टरों से भी पूछताछ की है. करनाल सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने गुप्तांगों से खून बहने और सूजन आने की बात की पुष्टि तो की है. लेकिन अभी तक डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है को वो चोट गुप्तांगों में डाली गई किसी वस्तु की वजह से थी.’
दिप्रिंट ने इस मामले में दोनों लड़कियों के केस को देख रहे वकील नरेंद्र छिकारा से टेलिफोनिक बातचीत भी की, ‘हां, मेडिकल रिपोर्ट में ऐसी कोई बात तो सामने नहीं आई है. लेकिन हमारे पास अन्य कई सारे सबूत हैं जो लड़कियों के आरोपों की सत्यता को प्रमाणित करेंगे.’
लेकिन नाबालिग की मां ने आरोप लगाया है कि इन मेडिकल रिपोर्ट्स के साथ छेड़छाड़ की गई है.
इन्सपेक्टर प्रमिला कहती हैं, ‘लड़कियों द्वारा लगाया गया आरोप गंभीर है. हमने लड़कियों के बयान दर्ज कर लिए हैं. हम उन्हें अपराध स्थल- बड़ौदा पुलिस स्टेशन और अपराध जांच एजेंसी, गोहाना भी लेकर गए. अभी तक लड़कियों के बयानों में कुछेक विरोधाभास हैं. अभी हम इसकी जांच कर ही रहे हैं.’
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