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Sunday, 22 September, 2024
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हर्ष वर्धन श्रृंगला बने नए विदेश सचिव, कहा- नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री के साथ काम करने को उत्साहित

हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि मैंने विदेश सेवा को शीत युद्ध के दौरान ज्वाइन किया था और मैं विदेश सचिव के तौर पर उस समय शामिल हो रहा हूं जब ग्लोबल वार्मिंग बड़ी समस्या है.

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नई दिल्ली: हर्ष वर्धन श्रृंगला ने बुधवार को नए विदेश सचिव का कार्यभार संभाल लिया. वह विजय गोखले की जगह लेंगे. वरिष्ठ राजनयिक हर्ष वर्धन श्रृंगला को दो वर्ष के लिए नया विदेश सचिव नियुक्त किया गया है. कार्यभार संभालने से पहले श्रृंगला ने पत्रकारों से कहा था कि सभी प्रयास देश को समर्पित होंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं राष्ट्र-निर्माण में मंत्रालय की भूमिका के लिए प्रतिबद्ध हूं जैसा कि मैं 36 साल पहले था. तब मैं एक युवा के तौर पर इनसे जुड़ा था. मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री के मार्गदर्शन में काम करने के लिए उत्साहित हूं.’

हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि विदेश मंत्रालय और आईएफएस का पहला काम है कि वो पूरे विश्व में अपने देश के हितों को रखें और भारत के लोगों की सेवा करे. हम लोग अपने नागरिकों के लिए काम करते हैं चाहे देश में हो या विदेश में. देश की सुरक्षा और समृद्धि को बाहरी गठजोड़ों से बढ़ावा देना ही हमारा मिशन है.

विदेश सचिव के तौर पर मेरा ध्यान होगा कि अंतर्राष्ट्रीय माहौल में भारत के साझेदारों के साथ काम करें जिससे विकास और आर्थिक गतिविधियों को मजबूती मिले.

भारत के विकास से जुड़े अनुभवों को अपने मित्र देशों जैसे कि अफ्रीका और लेटिन अमेरिका से साझा करना हमारी प्राथमिकता होगी. मैं नए शुरूआतों की दिशा में आगे बढूंगा.

हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि मैंने विदेश सेवा को शीत युद्ध के दौरान ज्वाइन किया था और मैं विदेश सचिव के तौर पर उस समय शामिल हो रहा हूं जब ग्लोबल वार्मिंग बड़ी समस्या है.

हर्ष वर्धन श्रृंगली 1962 बैच के भारतीय राजनयिक हैं. 29 जनवरी 2020 को उन्होंने 33वें विदेश सचिव के तौर पर कार्यभार संभाला है. इससे पहले वे यूनाइटेड स्टेट्स में भारत के राजदूत थे और बांग्लादेश में हाई कमिश्नर भी रह चुके हैं. श्रृंगला थाइलैंड में भी भारत के राजदूत रह चुके हैं.

श्रृंगला ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक किया है. आईएफएस में चयनित होने से पहले वे भारत में निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करते थे. उन्होंने कंफ्लिक्ट प्रिवेंशन, आर्थिक कूटनीति, भारतीय प्रवासी और भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर पेपेर्स लिखे हैं जो पब्लिश हो चुके हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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