नई दिल्ली: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने संकेत दिया है कि राज्य में जारी जातीय हिंसा में बाहरी ताकतों का हाथ हो सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा, “यह पूर्व नियोजित लगता है.”
राज्य में जारी हिंसा के में अबतर 120 से अधिक लोग मारे गए हैं जबकि हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा.
मणिपुर के सीएम ने कहा, “मणिपुर की सीमा म्यांमार के साथ लगती है. चीन भी पास में है. हमारी 398 किलोमीटर की सीमाएं असुरक्षित हैं. हमारी सीमाओं पर सुरक्षा बल तैनात हैं लेकिन यहां तक कि एक मजबूत और व्यापक सुरक्षा तैनाती भी इतने बड़े क्षेत्र को कवर नहीं कर सकती है. हालांकि, जो हो रहा है उसे देखते हुए, हम न तो इस बात से इनकार कर सकते हैं और न ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं कि यह पूर्व नियोजित नहीं लगता है लेकिन कारण स्पष्ट नहीं है.”
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार राज्य में शांति बहाल करने के लिए सभी प्रयास कर रही है. मणिपुर के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने दिन में अपने “कुकी भाइयों और बहनों” से टेलीफोन पर बात की और कहा, “आइए एक दूसरे को माफ करें और पुरानी बात भूल जाएं”.
उन्होंने कहा, “हम शांति बहाल करने के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. कुछ घंटे पहले, मैंने अपने कुकी भाइयों और बहनों से टेलीफोन पर बात की थी और उनसे सुलह करने का और हमेशा की तरह एक साथ रहने का आग्रह किया. हमने केवल म्यांमार की अशांति के मद्देनजर बाहर से आने वाले लोगों की जांच करने और स्थिति में सुधार होने पर उन्हें वापस भेजने की कोशिश की है. हमारी प्राथमिकता मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना है.”
मणिपुर के लोगों से भावपूर्ण अपील में उन्होंने कहा कि सभी जनजातियों को एक साथ आना होगा. उन्होंने कहा कि वह मणिपुर को जातीय आधार पर विभाजित नहीं होने देंगे.
बीरेन सिंह ने कहा, “हम एक हैं. मणिपुर एक छोटा राज्य है लेकिन हमारे पास 34 जनजातियां हैं. इन सभी 34 जनजातियों को एक साथ रहना होगा. हमें बस यह सावधान रहना होगा कि बाहर से बहुत से लोग यहां आकर न बस जाएं. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई जनसांख्यिकीय असंतुलन नहीं हो. सीएम के रूप में, मैं वादा करता हूं कि मैं मणिपुर को टूटने नहीं दूंगा और न ही राज्य में एक अलग प्रशासनिक प्राधिकरण होगा. मैं सभी को एक साथ रखने के लिए बलिदान देने के लिए तैयार हूं.”
मेइती को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान झड़प के बाद 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी. इसके बाद से राज्य में अब तक हिंसा जारी है.
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