नई दिल्ली: उत्तराखंड के हल्द्वानी में 4 हजार से ज्यादा परिवारों की जिंदगी अधर में लटकी हुई है. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को हल्द्वानी में बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाए गए ढांचों को गिराने के आदेश दिए थे जिसके बाद से ही स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.
हालांकि हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है जिस पर शीर्ष अदालत 5 जनवरी को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की तरफ से मामले का जिक्र किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया.
इस मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मामला कोर्ट में हैं इसलिए अभी उस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा. उन्होंने कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला होगा वही सर्वमान्य होगा.
बता दें कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने दिसंबर में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था जिसके बाद हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित ह्रदयेश जो इस इलाके के रहने वाले भी हैं, उन्होंने सोमवार को हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
बताया जा रहा है कि इस इलाके में 4,365 घरों को हटाया जाना है. यहां पर रहने वाले लोग कई दशकों से इस इलाके में रह रहे हैं. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के नजदीक गफ्फूर बस्ती और धोलक बस्ती में लोगों के बीच अभी भय का माहौल है क्योंकि प्रशासन द्वारा लगातार लाउडस्पीकर्स के जरिए अतिक्रमण खाली करने को कहा जा रहा है.
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ इलाके की सैकड़ों महिलाओं ने प्रदर्शन किया. बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार 8 जनवरी को अतिक्रमण हटाया जाना है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदर्शनकारियों के समर्थन में एक घंटे का मौन व्रत किया जिसपर धामी ने कहा कि सभी लोगों को कोर्ट के फौसले का सम्मान करना चाहिए.
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