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Sunday, 22 December, 2024
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ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट का फैसला- विवादित वजू टैंक को छोड़कर, मस्जिद परिसर को ASI सर्वे की इजाजत

ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि अदालत का फैसला इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है.

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नई दिल्ली: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले विष्णु शंकर जैन ने शुक्रवार को कहा कि वाराणसी की एक अदालत ने वज़ू टैंक को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई से और वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया है.

ज्ञानवापी और आदि विश्वेश्वर मामलों के विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने बताया कि वाराणसी के जनपद न्यायाधीश ए के विश्‍वेश ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया.

मिश्रा ने बताया कि ए के विश्वेश की अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी है.

विश्‍वेश की अदालत ने पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक जांच कराने की मांग से संबंधित मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद आज (21 जुलाई) के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था.

ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि अदालत का फैसला इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. “एएसआई सर्वेक्षण के लिए हमारा आवेदन स्वीकार कर लिया गया है. यह मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है.”

उन्होंने कहा, “मुझे सूचित किया गया है कि मेरा आवेदन मंजूर कर लिया गया है और अदालत ने वजू टैंक को छोड़कर, जिसे सील कर दिया गया है, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है. मुझे लगता है कि सर्वेक्षण 3 से 6 महीने के भीतर पूरा हो जाएगा.”

अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ के लिए निर्देश देने की मांग करने वाली हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका पर अपना आदेश सुनाया.

हिंदू पक्ष ने वाराणसी कोर्ट में एक याचिका पत्र दाखिल कर विश्वनाथ मंदिर स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का एएसआई अध्ययन कराने की मांग की थी.

हिंदू पक्ष के वकील और समर्थक आशान्वित हैं और याचिका पर कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को एक याचिका पर बहस पूरी कर ली थी.

याचिका इस साल मई में पांच महिलाओं द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने पहले एक अन्य याचिका में मंदिर परिसर के अंदर ‘श्रृंगार गौरी स्थल’ पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी थी. मस्जिद परिसर में एक संरचना पाई गई – जिसके एक तरफ ‘शिवलिंग’ और दूसरी तरफ एक ‘फव्वारा’ होने का दावा किया गया.

सर्वेक्षण में वज़ुख़ाना को बाहर रखा जाएगा जिसमें ‘शिवलिंग’ जैसी संरचना है. उस इलाके को सील कर दिया गया है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है. मुस्लिम पक्ष इस आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दे सकता है.

इससे पहले 6 जुलाई को, ज्ञानवापी मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करे, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग सहित ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का निर्देश दिया गया था. कहा जाता है कि पिछले साल एक वीडियो ग्राफिक्स सर्वेक्षण के दौरान वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाया गया था.

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर कहा कि मामला 19 मई, 2023 को शीर्ष अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जब उसने निर्देशों के कार्यान्वयन को 6 जुलाई, 2023 तक के लिए टाल दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग पर रोक लगाते हुए कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में निहित निर्देशों का कार्यान्वयन सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेगा.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश, वाराणसी की देखरेख और निर्देशन में ज्ञानवापी परिसर के परिसर में “शिवलिंग” के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” को यह कहते हुए स्थगित कर दिया था, “चूंकि विवादित आदेश के निहितार्थ बारीकी से जांच के लायक हैं, इसलिए आदेश में संबंधित निर्देशों का कार्यान्वयन अगली तारीख़ तक के लिए स्थगित रहेगा.”

पीठ ने “शिवलिंग” की आयु निर्धारित करने के लिए एएसआई द्वारा वैज्ञानिक जांच के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की अपील पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया था.

ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने पीठ को बताया था कि कार्बन डेटिंग और सर्वेक्षण जल्द ही शुरू होगा.

उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संरचना को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए, जिसे एक पक्ष “शिवलिंग” का दावा करता है और दूसरा इसे फव्वारा कहता है.

मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई के विशेषज्ञ पहले ही बता चुके हैं कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.


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