नई दिल्लीः डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सोमवार को 21 दिनों के लिए फरलो पर रिहा कर दिया गया. वो हरियाणा की एक जेल में आजीवान कारावास की सजा काट रहे हैं.
दो सेविकाओं के साथ बलात्कार और मर्डर के मामले में वे सजा काट रहे हैं. उन्हें हरियाणा के रोहतक जिले के सुनारिया जेल में रखा गया है. उनके ऊपर सिरसा के आश्रम में अपनी दो सेविकाओं का बलात्कार करने का आरोप लगा था. पंचकुला में सीबीआई की एक कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था.
पहले भी पेरोल पर आ चुके हैं बाहर
यह पहली बार नहीं है जब वह जेल से बाहर आए हैं. इससे पहले पिछले साल उनकी मां की तबीयत खराब होने की वजह से इमरजेंसी परोल दिया गया था. इसके अलावा स्वास्थ्य कारणों से भी वो कई बार जेल से बाहर आ चुके हैं.
हालांकि, हरियाणा के जेल मंत्री रंजीत चौटाला ने कहा कि राम रहीम को जेल मैन्युअल के हिसाब से ही रिहा किया गया है. इसमें राज्य सरकार का कोई रोल नहीं है. सजा के तीन साल बाद पेरोल हर कैदी का वैधानिक अधिकार है.
नहीं जा सकेंगे सिरसा
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक उन्हें सिरसा के आश्रम जाने की इजाज़त नहीं होगी बल्कि गुरुग्राम के उनके फॉर्म हाउस पर ही उन्हें रहना होगा. सिरसा के आश्रम में पंजाब और यूपी के काफी फॉलोवर्स रहते हैं. चूंकि इन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं इसलिए इसे राजनीति से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. पंजाब के करीब 23 जिलों के माझा, मालवा और दोआब क्षेत्र में इनके 300 बड़े डेरे हैं जो वहां की राजनीति पर खासा असर रखते हैं.
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क्या होता है फरलो
फरलो मुख्यतः लंबी सज़ा काट रहे कैदियों को समय समय पर दिया जाता है ताकि वे समाज और परिवार के साथ बिल्कुल कटा हुआ न महसूस करें. यह कैदी का अधिकार होता है. इसे रिजेक्ट नहीं किया जा सकता.
पैरोल से अलग है फरलो
हालांकि, पैरोल, फरलो से अलग होता है और इसे अथॉरिटी द्वारा रिजेक्ट किया जा सकता है. पैरोल, शर्त के साथ और कैदी के व्यवहार को देखते हुए दिया जाता है. यह एक सुधारात्मक प्रक्रिया है. चूंकि यह राज्य सूची का विषय है इसलिए हर राज्य अपने अपने कानून के हिसाब से कैदियों को पैरोल पर रिहा करता है. अगर सक्षम अधिकारी द्वारा पैरोल को रिजेक्ट कर दिया जाता है तो दोषी हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है.
डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक रही है सक्रिय
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक विंग भी है जिसकी स्थापना 2006-07 में की गई थी. यह विंग चुनावों के समय में काफी ऐक्टिव रहता है और माना जाता है कि वह चुनावों को काफी प्रभावित भी करता है. इसीलिए अक्सर बड़े बड़े नेताओं को चुनाव के पूर्व डेरा सच्चा सौदा में जाते हुए देखा जाता है. इसलिए चुनावी समय में राम रहीम के रिलीज होने को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है.
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