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Saturday, 16 November, 2024
होमदेश'गणतंत्र दिवस के कवरेज़' के लिए राजकोट की जिलाधिकारी ने पत्रकारों को दिए 50 हज़ार रुपए, बढ़ा विवाद

‘गणतंत्र दिवस के कवरेज़’ के लिए राजकोट की जिलाधिकारी ने पत्रकारों को दिए 50 हज़ार रुपए, बढ़ा विवाद

कलेक्टर रेम्या मोहन ने कहा कि यह धन विज्ञापनों के लिए सरकारी अनुदान से नहीं आया, बल्कि एक 'नागरिक निधि' है. दैनिक भास्कर के राजकोट संपादक ने कहा कि उन्होंने उस पैसे को लेने से इंकार कर दिया, जो पेश किया जा रहा था क्योंकि यह पत्रकारिता की नैतिकता का उल्लंघन करता है.

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नई दिल्ली: गुजरात के राजकोट की जिलाधिकारी रेम्या मोहन ने राज्य में हुए गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को कवर करने वाले पत्रकारों को 50 हज़ार रुपए का चेक देकर विवाद खड़ा कर दिया है.

मोहन ने आठ समाचार संगठनों के पत्रकारों को जिसमें गुजराती दैनिक दिव्य भास्कर जो कि दैनिक भास्कर समूह का हिस्सा है, उन्हें पैसा दिया. हालांकि दिव्य भास्कर से जुड़े पत्रकार ने इस तरह के किसी भी चेक के मिलने से नकार दिया. उन्होंने कहा कि ये पत्रकारीय मूल्यों के विपरीत है.

मोहन ने दिप्रिंट को बताया चेक गणतंत्र दिवस से जुड़ी विभिन्न घटनाओं की तारीखों, समय और स्थानों के लिए हमारे विज्ञापन सामग्री को प्रकाशित करने के लिए थे. वे इस आयोजन के लिए मुख्य समिति में उचित प्रक्रिया के बाद स्थापित नागरिक निधि से जारी किए गए थे.

दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि जब उसके संपादकों से सामना हुआ, तो कलेक्टर ने कहा कि पैसा रियल एस्टेट डेवलपर्स से आया था, जो ऐसे को पैसा देना चाहते थे, जो इस आयोजन के प्रचार में योगदान देते थे.

मोहन ने दिप्रिंट को बताया, ‘फंड नागरिक निधि, शिक्षा, उद्योग, सहकारी समितियों के जिले के संगठनों से आई है जिन्हें गणतंत्र दिवस के लिए आमंत्रित किया गया था. रियल एस्टेट कंपनियों ने भी योगदान दिया है.’

हालांकि, दैनिक भास्कर राजकोट के कार्यकारी संपादक ने कहा कि पेपर ने कभी भी राज्य के गणतंत्र दिवस समारोह का कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया.

‘चौंकाने वाला है कि विज्ञापन का पैसा संगठन के नाम से दिया जा रहा है’

राजकोट के रेसकोर्स ग्राउंड में आयोजित भव्य गणतंत्र दिवस समारोह के एक हफ्ते बाद 1 फरवरी को चेक की पेशकश की गई थी. 26 जनवरी को राज्यस्तरीय समारोह की मेजबानी करने वाले राजकोट में राज्य के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री विजय रूपानी के साथ अन्य मंत्रियों और राज्य के अधिकारियों की उपस्थिति देखी गई.

दैनिक भास्कर राजकोट के कार्यकारी संपादक अर्जुन डांगर ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब मेरे रिपोर्टर ने मुझे बताया कि उसे चेक दिया जा रहा है, तो मैं चौंक गया. आखिरकार, हमने कभी समारोह के लिए एक विज्ञापन पोस्ट नहीं किया.’

डांगर ने कहा, ‘अगर कोई आपको पैसे की पेशकश कर रहा है, तब भी जब आपने कुछ नहीं किया है – यह क्या संकेत करता है?’

मोहन ने कहा कि पैसा केवल ‘विज्ञापन विवरणिका के साथ तारीखों, समय और सभी घटनाओं के स्थानों के लिए दिया जा रहा था ताकि अधिक से अधिक नागरिक भाग ले सकें.’ लेकिन डांगर ने कहा कि सभी आधिकारिक विज्ञापन सरकार के एक रिलीज ऑर्डर के साथ आते हैं, जो कि संगठन के नाम पर होते हैं रिपोर्टर के नहीं.

डांगर ने कहा, ‘किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित करने के लिए कोई आधिकारिक रिलीज आदेश नहीं था. ये रिलीज़ ऑर्डर सामग्री की पूरी जानकारी के साथ आते हैं, जिस पृष्ठ पर विज्ञापन प्रकाशित किया जाना है, चाहे वह रंगीन या काला और सफेद हो.’

उन्होंने कहा, ‘इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तरह के विज्ञापनों के लिए पैसा संगठन के नाम पर दिया जाता है, व्यक्तिगत तौर पर पत्रकार के लिए नहीं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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