अहमदाबाद, 15 जुलाई (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से उसके समक्ष लंबित उन मामलों की पहचान करने के लिए एक समिति बनाने को कहा है, जिनमें दोषी अविश्वसनीय या संदेहास्पद सबूत के आधार पर लंबे समय से जेल में बंद हैं।
अदालत ने शुक्रवार को एक आदेश में कहा कि वह ऐसे मामलों की प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने की इच्छुक है, लेकिन साथ ही उसने स्पष्ट किया कि वह सरकार को यह स्वीकार करने का सुझाव नहीं दे रही है कि सजा उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति एम.आर. मेंगडे की खंडपीठ ने सामूहिक बलात्कार व डकैती के मामले में 12 साल से अधिक समय जेल में बिताने वाले दो अपीलकर्ताओं की सजा को रद्द करने के बाद यह आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामला उन मामलों में से एक है जिसमें दोषी ऐसे सबूतों जिनका ”अनुचित अभिमूल्यन” किया गया या जो ”संदेह पैदा” करते हैं के आधार पर लंबी अवधि तक कारावास काट रहे हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित इस तरह के मामलों की पहचान करने की आवश्यकता है ताकि दोषियों की सजा को जल्द से जल्द रद्द किया जा सके, भले ही सजा निलंबित कर दी गई हो।’
आदेश में कहा गया है, “हम राज्य सरकार से इस संबंध में समिति गठित करके जरूरी कदम उठाने का अनुरोध करते हैं।”
अदालत ने कहा कि वह सरकार को यह स्वीकार करने का सुझाव नहीं दे रही है कि दोषसिद्धि उचित नहीं थी, बल्कि यह सुझाव दे रही है कि ऐसी अपीलों को प्राथमिकता के आधार पर सुना जा सकता है।
गुजरात के अमरेली शहर की एक सत्र अदालत ने 18 अगस्त, 2011 को गोविंद परमार और विराभाई परमार को सामूहिक बलात्कार व डकैती का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
इन दोनों पर चार लोगों के एक गिरोह का हिस्सा होने का आरोप था जिसने एक महिला को रात में जबरन खुले मैदान में ले जाकर उससे छह बार बलात्कार किया जबकि उसके पति को उनकी झोपड़ी में खाट से बांध दिया था। निचली अदालत ने 29 गवाहों और दस्तावेजी सबूतों की पड़ताल के बाद उन्हें दोषी ठहराया।
हालांकि उच्च न्यायालय ने पाया कि चार जुलाई, 2023 तक दोनों 12 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं, जिसमें गिरफ्तारी और सजा के बीच का समय भी शामिल है।
अदालत ने उनकी दोषसिद्धि को रद्द करते हुए कहा कि साक्ष्य का समग्र अभिमूल्यन अभियोजन पक्ष के गवाहों, सामूहिक बलात्कार की पीड़िता और उसके पति के बयान विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते।
भाषा जोहेब पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.