पटना: राज्य आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में पता चला है कि ग्रामीण बिहार के बड़े हिस्से में भूजल में रसायन मिला हुआ है, जो पीने के लिए बिलकुल भी सुरक्षित और उपयुक्त नहीं है. यही नहीं यह पानी बड़ी आबादी के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक तो है ही साथ ही लगातार इस पानी को पीने वालों के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है.
हाल ही में उपमुख्यमंत्री तारा किशोर प्रसाद द्वारा विधानसभा में पेश 16वीं बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 में कहा कि राज्य के 38 में से 31 जिलों के ग्रामीण इलाकों में भूजल आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन का मिश्रण है जो इसे जहरीला बना रहा है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, ’38 में से 31 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन का बड़ी मात्रा में मिलना इसे पीने वालों में स्वास्थ्य संबंधी खतरा पैदा कर रही है. 30,272 ग्रामीण वार्डों में भूजल में केमिकल कंटामिनेशन है. इसके साथ ही गंगा के किनारे स्थित 14 जिलों में कुल 4,742 ग्रामीण वार्ड विशेष रूप से आर्सेनिक कंटामिनेटेड यानी जहरीला हो चुका है. ‘
इसमें कहा गया है कि 11 जिलों के 3,791 ग्रामीण वार्डों में पेयजल स्रोत फ्लोराइड से प्रभावित हैं. कोसी बेसिन के नौ जिलों और अन्य जिलों के कुछ क्षेत्रों में पानी में अतिरिक्त आयरन की उपस्थिति है.
दूषित पानी के सेवन से त्वचा, लिवर, किडनी और अन्य जल जनित रोग होते हैं.
प्रभावित जिलों में बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, सारण, सीतामढ़ी, पटना, वैशाली, औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, गया, जमुई, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, रोहतास, शेखपुरा, नवादा और अररिया शामिल हैं.
रिपोर्ट में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) द्वारा बिहार के जल गुणवत्ता मानचित्रण से संबंधित आंतरिक मूल्यांकन और निष्कर्षों का उल्लेख किया गया है.
इन प्रभावित जिलों में, लोगों को सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार विभाग ने पानी के गहरे बोरवेल खोदना शुरू कर दिया है.
पीएचईडी सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम स्थिति की गंभीरता को समझते हैं, जिसके कारण विभाग सतही जल और भूजल के मिश्रण आधारित योजनाओं पर काम कर रहा है.’
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