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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशघासफूस और मिट्टी का घर - कैसे BJP सांसद लुटियंस दिल्ली में ला रहे हैं ग्रामीण इलाकों का स्पर्श

घासफूस और मिट्टी का घर – कैसे BJP सांसद लुटियंस दिल्ली में ला रहे हैं ग्रामीण इलाकों का स्पर्श

पिछले साल, बालासोर के सांसद प्रताप चंद्र सारंगी को एक असामान्य परेशानी से जूझना पड़ा- अपने मेहमानों को रखने के लिए जगह की कमी, लेकिन उन्होंने इसका समाधान अपने मकान के पिछले हिस्से में मिट्टी का एक और घर बनवा कर निकाला.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के वीआईपी हुमायूं रोड के एक शांत कोने में एक मंजिला, दो बेडरूम का एक स्ट्रक्चर है, जिसकी दीवारें मिट्टी की हैं, छत बांस की है, पत्थर के नक्काशीदार स्टूल के साथ यह निर्माणाधीन घर इस आलीशान इलाके में ग्रामीण टच दे रहा है.

यह घर बालासोर के संसद सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रताप चंद्र सारंगी के आधिकारिक निवास के पिछले हिस्से में बना हुआ है और इसकी मिट्टी के बरामदे के साथ, गाय के गोबर के रंग से रंगी हुई दीवारें, मिट्टी से बना एक बिस्तर, और हल्की आंतरिक सज्जा उतनी ही कठोर है जितना ये व्यक्ति.

यह सारंगी की एक असामान्य समस्या का समाधान था- उनके घर आने वाले मेहमानों के लिए पर्याप्त जगह की कमी.

सारंगी ने दिप्रिंट से कहा, “इस घर में जगह की कमी है. जब मेहमान आते हैं, तो मैं उन्हें रहने के लिए जगह नहीं दे सकता. इसलिए मैंने इस घर को पिछले हिस्से में बनाने का फैसला किया. अपने गृहनगर में भी, मैं मिट्टी के घर में रहना पसंद करता हूं.”

Balasore MP Pratap Chandra Sarangi in his under-construction house | Unnati Sharma | ThePrint
बालासोर के सांसद प्रताप चंद्र सारंगी अपने निर्माणाधीन मकान में | उन्नति शर्मा | दिप्रिंट

घर में स्टूल हरियाणा में नदी से प्राप्त पत्थरों से बनाए गए हैं. सामने की दीवारों पर नक्काशी मिट्टी और गाय के गोबर और नीम के रस के मिश्रण से की गई है.

सारंगी ने कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बजरंग दल के पूर्व सदस्य” के रूप में, वह एक साधारण जीवन जीना पसंद करते हैं.

जब सारंगी ने 2019 में मोदी 2.0 सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली, तो उनकी जीवनशैली ने सुर्खियां बटोरीं. ओडिशा के बालासोर में अपने फूस के घर से पहली बार सांसद बने सारंगी की एक तस्वीर वायरल हुई थी और चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें साइकिल और ऑटोरिक्शा पर मतदाताओं तक पहुंचते देखा गया था.

इस बात पर जोर देते हुए कि इसके लिए वैज्ञानिक प्रमाण हैं, उनका मानना है कि गाय का गोबर घर को “एंटी-रेडियोएक्टिव गुण” देगा.

उन्होंने कहा, “जब भोपाल में गैस त्रासदी (1984) और जापान में फुकुशिमा परमाणु आपदा (2011) हुई थी, तब वैज्ञानिकों ने दीवारों पर गाय के गोबर का पेस्ट लगाने का सुझाव दिया था क्योंकि यह रेडियोएक्टिव होता है. इसमें कई स्वास्थ्य-अनुकूल गुण हैं, यही वजह है कि हमने इसका इस्तेमाल किया है.”

सारंगी को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम और पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी, लेकिन 2021 के कैबिनेट फेरबदल में उन्हें सरकारी पद से हटा दिया गया था. तब से, सारंगी अपना अधिकांश समय अपने निर्वाचन क्षेत्र बालासोर में बिताते हैं और संसद सत्र या पार्टी की बैठकों के दौरान दिल्ली आते हैं.


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‘बायोडिग्रेडेबल और आसानी से तोड़ा जा सकता है’

सारंगी ने कहा, घर बनाने के लिए अन्य प्राकृतिक रूप से प्राप्त सामग्रियों का भी इस्तेमाल किया गया है. उदाहरण के लिए, यह गेहूं के ठूंठ का उपयोग किया गया है, जो पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में बड़े विवाद का विषय रहा है क्योंकि इसके जलने से वायु प्रदूषण होता है.

Bed at Balasore MP Pratap Chandra Sarangi's under-construction house | Unnati Sharma | ThePrint
बालासोर के सांसद प्रताप चंद्र सारंगी के निर्माणाधीन मकान में एक बिस्तर | उन्नति शर्मा | दिप्रिंट

घर का निर्माण सितंबर में शुरू हुआ था और इसे रहने योग्य बनने से पहले अभी भी कुछ सप्ताह का काम बाकी है.

सारंगी ने दिप्रिंट को बताया कि इस तरह के मिट्टी के घरों की लागत कंक्रीट के घरों की तुलना में 30 प्रतिशत कम होती है और ये पर्यावरण के अधिक अनुकूल होते हैं.

उन्होंने कहा, “यह एक कंक्रीट के घर की तुलना में कम खर्चीला है और बायोडिग्रेडेबल है. घर बनाने में इस्तेमाल गाय का गोबर, मिट्टी, ठूंठ और चूना पत्थर का पाउडर हरियाणा के सोनीपत से यहां लाया गया था.”

उन्होंने कहा, “गांव में कच्चा माल मुफ्त में मिल जाता है, लेकिन यहां कच्चा माल हरियाणा से लाना पड़ता है.”

घर में कलाकृति ओडिशा के कलाकारों द्वारा गाय के गोबर से बने पेंट का उपयोग करके बनाई गई है, जिसे उनके पूर्व मंत्रालय, एमएसएमई ने 2021 में विकसित और विपणन किया था.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा लॉन्च किया गया पेंट, जिसे ‘खादी प्राकृतिक’ के नाम से जाना जाता है, के बारे में कहा गया था कि यह भारत के कृषि आधारित उद्योग को बढ़ावा दे सकता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या आपको अपने सरकारी आवास में ऐसा ढांचा बनाने की अनुमति मिलने में परेशानी हुई? उन्होंने कहा- बिल्कुल नहीं. मुख्य रूप से क्योंकि “इसे आसानी से और बिना प्रदूषण के ढहाया जा सकता है”.

तो जब आपके घर छोड़ने का समय आयेगा तो क्या होगा?

इधर सारंगी दार्शनिक हो गए. “हम सभी को अंततः वह सब कुछ छोड़ना होगा जो हमने बनाया है. मुझे आशा है कि जो कोई भी यहां आएगा वह इससे कुछ सीख सकता है. या वे बस इसे पानी में मिला सकते हैं और इसे ज़मीन पर गिरा सकते हैं.”

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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