नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) देश के 73वें गणतंत्र दिवस पर बुधवार को यहां आयोजित परेड के दौरान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए 75 विमानों का भव्य ‘फ्लाइपास्ट’ आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। परेड के दौरान राजपथ पर देश की सैन्य ताकत और जीवंत सांस्कृतिक विरासत को गौरवमय तरीके से प्रदर्शित किया गया।
बहरहाल, कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन उतने व्यापक स्तर पर नहीं किया गया, जितना कि सामान्य वर्षों में किया जाता रहा है।
भारतीय सेना ने गणतंत्र दिवस परेड में सेंचुरियन टैंक, पीटी-76 टैंक, 75/24 पैक हॉवित्जर और ओटी-62 टोपाज बख्तरबंद वाहन जैसे प्रमुख हथियारों और साजो-सामान का प्रदर्शन किया, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को हराने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर जीत का जश्न मनाने के लिए 2021 में स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया था। इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का सृजन हुआ था।
सेना की टुकड़ियों ने एक पीटी-76 टैंक, एक सेंचुरियन टैंक, दो एमबीटी अर्जुन एमके-आई टैंक, एक ओटी-62 टोपाज बख्तरबंद वाहन, एक बीएमपी-प्रथम पैदल टुकड़ी का लड़ाकू वाहन और दो बीएमपी-द्वितीय पैदल टुकड़ी के लड़ाकू वाहनों को प्रदर्शित किया।
समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय समर स्मारक पर देश के शहीदों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। वर्ष 1971 और इसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के समस्त भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय समर स्मारक पर अंकित किए गए हैं।
राष्ट्र समर स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किए जाने के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और देश की तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के प्रमुख वहां मौजूद थे।
प्रधानमंत्री हर साल की तरह इस बार गणतंत्र दिवस पर अपनी परंपरागत पगड़ी की जगह उत्तराखंड की टोपी पहने नजर आए। टोपी पर उत्तराखंड का राजकीय पुष्प ब्रह्मकमल अंकित था। उन्होंने मणिपुर का गमछा भी कंधे पर डाला हुआ था।
कोविड-19 के कारण इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में लगातार दूसरे साल किसी विदेशी अतिथि ने हिस्सा नहीं लिया।
बहरहाल, परेड में स्वच्छाग्रह, अग्रिम मोर्चे के कर्मी, ऑटो रिक्शा चालक, निर्माण कार्य में लगे श्रमिक और भव्य झांकी तैयार करने वाले मजदूर विशिष्ट अतिथियों के रूप में शामिल हुए।
परेड इस साल पूर्वाह्न साढ़े दस बजे आरंभ हुई। यह अन्य वर्षों में होने वाली परेड से आधे घंटे देरी से शुरू की गई, ताकि बेहतर दृश्यता सुनिश्चित हो सके।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजपथ पर आयोजित परेड की सलामी ली। परेड की कमान परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा ने संभाली और मेजर जनरल आलोक काकर परेड के सेकेंड-इन-कमांड रहे। राजपथ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने के बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान की धुन बजाई गयी। परंपरा के अनुसार 21 तोपों की सलामी 871 फील्ड रेजिमेंट की ‘सेरेमोनियल बैटरी’ द्वारा दी गई, जिसकी कमान लेफ्टिनेंट कर्नल जितेंद्र सिंह मेहता ने संभाली।
भारतीय सेना की 61 ‘कैवेलरी रेजीमेंट’ के घुड़सवार सैनिकों का दल गणतंत्र दिवस परेड की पहली मार्चिंग टुकड़ी रहा। इस दल का नेतृत्व मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान ने किया। यह वर्तमान में दुनिया में सक्रिय एकमात्र घुड़सवार इकाई है। 61 ‘कैवेलरी रेजीमेंट’ का गठन 1953 में सभी राज्यों की अश्व इकाइयों को मिलाकर किया गया था।
परेड में नेशनल कैडेट कोर ने ‘शहीदों को शत शत नमन’ कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान राजपथ पर 10 विशाल ‘स्क्राल’ कैनवास पर स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की बहादुरी को चित्रकारी के जरिये प्रदर्शित किया गया। हर स्क्रॉल की लंबाई 75 मीटर और ऊंचाई 15 फुट है। इसे रक्षा और संस्कृति मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘कला कुंभ’ के दौरान तैयार किया गया था।
सुरक्षा बलों की टुकड़ियों के बाद विभिन्न राज्यों की झांकियों के जरिए स्वतंत्रता संग्राम से लेकर जैवविविधता तक भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाया गया।
विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों ने भी झांकियां निकालीं और जल जीवन मिशन जैसी अहम पहलों को रेखांकित किया। केंद्रीय लोक निर्माण विकास की झांकी के जरिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार लोक अदालत को दर्शाने वाली एक झांकी निकाली गई। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने झांकी का विषय ‘‘एक मुट्ठी आसमान: लोक अदालत’’ रखा था। झांकी के आगे के हिस्से में ‘न्याय सबके लिए’ का विषय दिखाया गया। साथ ही निडरता, गारंटी और सुरक्षा के प्रदर्शित करने वाली हाथ की मुद्रा को दर्शाया गया।
पंजाब की झांकी में शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम को दर्शाया गया, जबकि डाक विभाग की झांकी में भारतीय डाक की मजबूत पहुंच और आधुनिक रूप को प्रदर्शित किया। साथ ही इसमें लैंगिक समानता की दिशा में उठाए गए कदमों को प्रदर्शित करने के लिए केवल महिलाओं द्वारा संचालित डाकघरों को भी दर्शाया गया।
कुनबी समुदाय के नर्तक, गोवा के मूल निवासी और मुक्ति संग्राम की झलक गणतंत्र दिवस परेड के दौरान राजपथ पर प्रदर्शित तटीय राज्य गोवा की झांकी में मुख्य आकर्षण रहे।
इसके अलावा परेड में कर्नाटक की समृद्ध हस्तकला का नजारा देखने को मिला। मैसूर के शीशम से तैयार विशेष नक्काशी वाली हाथी की एक विशालकाय प्रतिमा, मनमोहक बिदरी धातु शिल्पियां, कांस्य कलाकृतियां और चन्नापटना के खिलौनों के अलावा हाथ से बुनी साड़ियां ‘कर्नाटक : पारंपरिक हस्तकला का पालना’ थीम पर आधारित झांकी का मुख्य आकर्षण थीं।
भारत की विविधता में एकता को दर्शाते हुए प्रतियोगिता के माध्यम से चुने गए 485 नर्तकों ने परेड में अपना प्रदर्शन दिया।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की महिला डेयरडेविल्स की टीम ने राजपथ पर परेड के दौरान गुरुत्वाकर्षण को धत्ता बताते हुए बेहद कमाल के स्टंट दिखाए।
‘सीमा भवानी’ मोटरसाइकिल टीम ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं। दर्शक दीर्घा में मौजूद विभिन्न महिला मंत्रियों सहित तमाम केन्द्रीय मंत्रियों ने खड़े होकर उनका उत्साह बढ़ाया।
इसके बाद परेड में 75 लड़ाकू विमानों ने भव्य ‘फ्लाई पास्ट’ कर देश की सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया। ऐसा पहली बार है जब गणतंत्र दिवस समारोह में इतने भव्य फ्लाई पास्ट का आयोजन किया गया है। इस साल दर्शक परेड स्थल पर लगे बड़े-बड़े स्क्रीन पर विमान के कॉकपिट के भीतर का नजारा भी देख सकते थे।
परेड का समापन बेहद भावनात्मक रहा। राष्ट्रपति के अंगरक्षक कमांडेंड का काला घोड़ा ‘विराट’ वर्षों लंबी सेवा के बाद बुधवार को 73वें गणतंत्र दिवस समारोह के बाद सेवानिवृत हुआ।
परेड के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘विराट’ को थपथपा कर उसकी विदाई की।
कोरोना वायरस महामारी का असर इस साल की गणतंत्र दिवस परेड पर भी देखने को मिला, जहां महज 5,000 लोग उपस्थित हुए और टीकों की दोनों खुराक लेने के अलावा सभी ने दोहरे मॉस्क पहन रखे थे तथा समारोह स्थल पर ‘दो गज की दूरी’ के नियम का भी पालन किया गया। पिछले साल परेड देखने 25,000 लोग आए थे। महामारी से पहले के दौर में एक लाख से अधिक लोग परेड देखने आते थे।
कोविड रोधी टीके की दोनों खुराक ले चुके वयस्कों और टीके की कम से कम एक खुराक ले चुके 15 साल से अधिक उम्र के किशोरों को इस समारोह में शामिल होने की अनुमति मिली थी। 15 साल से कम उम्र के बच्चों को इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी।
समारोह स्थल के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की चौकस निगाहबानी रही। कुर्सियों को सामाजिक दूरी का पालन करते हुए लगाया गया था। समारोह में भाग लेने वालों को सफेद रंग की एक टोपी भी दी गई थी जिस पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ लिखा हुआ था।
गणतंत्र दिवस समारोह के मद्देनजर दिल्ली में भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए। दिल्ली पुलिस ने खुफिया एजेंसियों द्वारा आतंकवादी घटनाओं को लेकर जारी किए गए ‘अलर्ट’ के मद्देनजर किसी भी अप्रिय घटना को विफल करने के लिए गश्त तेज कर दी और पड़ोसी राज्यों के अपने समकक्षों के साथ समन्वय कर राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं को सील कर दिया।
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर 27,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था और आतंकवाद रोधी उपाय तेज कर दिए गए।
भाषा अर्पणा माधव
माधव
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