अहमदाबाद, 15 जनवरी (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य लोक सेवा आयोग को “पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता” के लिए फटकार लगाई है।
अदालत ने यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की जिसमें गुजरात लोक सेवा आयोग (जीपीएससी) ने एक महिला उम्मीदवार के साक्षात्कार को स्थगित करने या कोई विकल्प प्रदान करने का अनुरोध ठुकरा दिया था। महिला ने कहा था कि वह बच्चे को जन्म देने के दो दिन बाद साक्षात्कार के लिये उपस्थित होने की स्थिति में नहीं है।
न्यायमूर्ति निखिल कारियल की अदालत ने कहा कि उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका में हस्तक्षेप की आवश्यकता है और जीपीएससी को नोटिस जारी कर 12 जनवरी तक जवाब मांगा।
अदालत ने आयोग को सहायक प्रबंधक (वित्त और लेखा) श्रेणी -2 के पद के लिए साक्षात्कार के परिणाम घोषित नहीं करने का भी निर्देश दिया, जिसके लिए महिला ने आवेदन किया था।
अदालत ने नौ जनवरी के अपने आदेश में कहा, “याचिका में उठाई गई शिकायत सबसे पवित्र प्राकृतिक प्रक्रियाओं में से एक यानी बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया के प्रति प्रतिवादियों की पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाती है।’’
याचिकाकर्ता ने 2020 में जीपीएससी द्वारा विज्ञापित पद पर चयन के लिए लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसको एक या दो जनवरी, 2024 को साक्षात्कार की तारीखों के बारे में 18 दिसंबर, 2023 को सूचित किया गया था।
याचिकाकर्ता ने उसी दिन जीपीएससी को एक ईमेल लिखकर सूचित किया कि वह गर्भवती है और उसकी प्रसव तिथि जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में है और उसके लिए गर्भावस्था के अंतिम चरण में लगभग 300 किमी दूर गांधीनगर की यात्रा करना असंभव होगा।
याचिकाकर्ता महिला ने 31 दिसंबर, 2023 को बच्चे को जन्म दिया और जीपीएससी को एक ईमेल के माध्यम से सूचित किया कि उसने अभी-अभी एक बच्चे को जन्म दिया है और अनुरोध किया कि साक्षात्कार या तो स्थगित कर दिया जाए या उसे इसके लिए कोई वैकल्पिक समाधान दिया जाए।
जीपीएससी ने अपने जवाब में याचिकाकर्ता को दो जनवरी को साक्षात्कार के लिए उपस्थित रहने के लिए कहा। उसने बताया कि उस तारीख के बाद अभ्यर्थी को कोई और समय नहीं दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा पद के लिए आवेदन करने के तीन साल बाद लिखित परीक्षा के परिणाम आठ दिसंबर, 2023 को घोषित किए गए थे।
महिला के लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसे साक्षात्कार के लिये बुलाया गया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “इस अदालत की सुविचारित राय में प्रतिवादियों द्वारा ऐसा उत्तर पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है, विशेष रूप से तब जब यह स्पष्ट था कि याचिकाकर्ता जो एक मेधावी उम्मीदवार थी, बच्चे को जन्म देने के बाद तीसरे दिन साक्षात्कार में भाग लेने में शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होगी।”
अदालत ने कहा कि जब ऐसी स्थिति में उम्मीदवार द्वारा उचित अनुरोध किया गया था तो यह जीपीएससी पर निर्भर था कि या तो साक्षात्कार प्रक्रिया को स्थगित कर दिया जाए या ऑनलाइन साक्षात्कार जैसा वैकल्पिक समाधान प्रदान किया जाए, यदि यह नियमों के अनुसार स्वीकार्य हो।
अदालत ने कहा कि चयन प्रक्रिया भी “तेज गति” से नहीं चल रही थी, वर्ष 2020 में जारी एक विज्ञापन के लिए लिखित परीक्षा के परिणाम दिसंबर 2023 में घोषित किए गए थे।
भाषा प्रशांत धीरज
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