नई दिल्ली: दिप्रिंट को यह जानकारी मिली हैं कि मोदी सरकार आईएएस, आईपीएस, भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों और अन्य सेवाओं के लोगों के लिए सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रही है ताकि उन्हें जनता के साथ और अधिक ‘लोगों के अनुकूल’ और ‘नैतिक’ बनाया जा सके.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सूत्रों के अनुसार, जबकि सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम हर साल आयोजित किए जाते हैं, इस वर्ष के मॉड्यूल का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होगा कि अधिकारी जनता के साथ प्रभावी ढंग से व्यवहार करें और पहुंच के बाहर न हों.
सूत्रों ने कहा कि स्वैच्छिक प्रशिक्षण कार्यक्रम अगले साल फरवरी में पंचगनी में आईसी सेंटर ऑफ गवर्नेंस द्वारा आयोजित किया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि सचिव के रैंक तक सभी तरह की सेवा में न्यूनतम चार साल के अधिकारी भाग लेने के लिए पात्र होंगे. कार्यक्रम केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के अधिकारियों के लिए खुला होगा.
दिप्रिंट व्हाट्सएप और टेलीफोन के माध्यम से एक टिप्पणी के लिए डीओपीटी प्रवक्ता तक पहुंचा, लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.
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एक अधिकारी ने कहा कि सतर्कता विभाग और गैर-सरकारी संगठनों के इनपुट के आधार पर सरकार द्वारा किए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया है कि सिविल सेवक, जो जनता के बीच रहते हैं, उनके साथ सौहार्दपूर्ण या सहयोगात्मक संबंध नहीं है.
अधिकारी ने कहा कि लालफीताशाही भी मौजूद है.
सूत्रों ने कहा, उदाहरण के लिए, फील्ड पर अधिकारी अक्सर लोगों से आसानी से नहीं मिलते हैं और उन्हें मिलने के लिए इंतजार करना पड़ता है, कुछ मामलों में, वे आम लोगों के लिए उनसे मिलने के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल स्थापित करते हैं, जिससे जनता का सरकार के कामकाज से मोहभंग हो जाता है.
उपरोक्त अधिकारी ने कहा, इस समस्या को ठीक करने के लिए सरकार सभी सेवाओं और सभी स्तरों पर अधिकारियों को यह प्रशिक्षण दे रही है. अधिकारी ने कहा, ‘यह मूल रूप से जनता के साथ नैतिक, प्रभावी और सहकारी संचार के संबंध में उन्हें आचार संहिता में प्रशिक्षित करने के लिए है.’
डीओपीटी अधिकारी ने कहा, ‘अधिकारियों के प्रशिक्षण पर इस सरकार में महत्वपूर्ण ध्यान केंद्रित किया गया है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां प्रशिक्षण की बहुत आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक ‘सार्वजनिक’ सेवा है. सभी विशेषज्ञता और नीति-निर्माण कौशल इस मौलिक गुणवत्ता के बाद आते हैं.’
अधिकारियों को ‘विशेषज्ञ’ बनाने के लिए मॉड्यूल का अनुसरण
मोदी सरकार ने सिविल सेवा में कई सुधार लाने की मांग की है. इस साल की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने सिविल सेवकों को ‘विशेषज्ञों’ में बदलने के लिए ‘कर्मयोगी योजना’ या सिविल सर्विसेज कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया.
कार्यक्रम का उद्देश्य सिविल सेवकों के खिलाफ बार-बार होने वाली आलोचना को चुनौती देना है कि वे अपने ट्वेन्टिस में परीक्षा को क्लियर करते हैं और अपने कौशल निर्माण पर कम काम करते हैं.
एक और उद्देश्य सिविल सेवकों के उन्मुखीकरण को बदलना है, जिन्हें अक्सर ‘नियम से ऑब्सेस्सेड’ देखा जाता है अब इसे ‘नियम’ से ‘भूमिका’ के रूप में बदलना है.
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