नई दिल्ली : देश के केंद्रीय विद्यालयों की इमारतें सुरक्षित नहीं हैं. यह हम नहीं सरकार कह रही है. एक रिपोर्ट में ऐसे 20 से अधिक केंद्रीय विद्यालयों की इमारतों को आंशिक या पूरी तरह से असुरक्षित करार दिया गया है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इन इमारतों में स्कूलों को न चलाने का आदेश दिया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक दशकों पुरानी इन केंद्रीय विद्यालयों की इमारतों में सबसे खतरनाक स्थिति महाराष्ट्र (8) की है और फिर असम (3) का स्थान आता है. महाराष्ट्र में मौजूद आठ स्कूलों में से तीन इमारतों का निर्माण 1960 के दशक में हुआ था. इसी तरह की 2-2 इमारतें उत्तर प्रदेश और गुजरात में जबकि त्रिपुरा, मेघालय, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और सिक्किम के एक-एक स्कूल की इमारत की स्थिति भी खतरनाक है.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘केंद्रीय विद्यालय संगठन ने 10 साल से पुरानी हो चुकी इमारतों के लिए एनआईटी, आईआईटी और दूसरे प्रोद्योगिकी संस्थानों को देश के केंद्रीय विद्यालयों की इमारतों का तकनीकी ऑडिट करने का आदेश दिया था. इस ऑडिट में 21 केंद्रीय विद्यालय की इमारतें असुरक्षित पायी गयीं. इनमें से 18 आंशिक रूप से असुरक्षित पायी गयी वहीं जबकि तीन की स्थिति चिंताजनक मिलीं.’ ये तीनों असुरक्षित इमारतें गुजरात और महाराष्ट्र में हैं.
मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र की तीनों और गुजरात की एक इमारत में मरम्मत का काम शुरू हो चुका है. बाकी के बचे हुए 17 केंद्रीय विद्यालयों के मरम्मत व उन्हें बदले जाने का काम कंस्ट्रक्शन एजेंसी के द्वारा खर्चे के अनुमानित राशि बताये जाने के बाद ही आगे बढ़ाया जाएगा. तब तक के लिए विद्यालय न चलाये जाने के आदेश दे दिए गए हैं.
ज्ञात हो कि केंद्रीय विद्यालय संगठन देशभर में 260 विद्यालय अस्थायी जगहों पर चलाता है जिनमें अधिकतर मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर एवं बिहार में हैं. संगठन द्वारा 1260 विद्यालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत पूरे भारत में चलाये जाते हैं और ऐसे तीन विद्यालय विदेशों में भी मौजूद हैं.