नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की देश में इंजीनियरिंग कोर्स के लिए न्यूनतम फीस लगभग 68,000 रुपये तय करने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
पिछले महीने दिप्रिंट ने रिपोर्ट की थी कि एआईसीटीई ने एक पैनल रिपोर्ट में न्यूनतम और अधिकतम फीस सीमा तय करने के सुझाव दिए हैं. परिषद ने अब इसे लागू करने के लिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को पत्र लिखा है.
पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स के लिए न्यूनतम सालाना फीस 67,900 रुपये है, जबकि अधिकतम फीस 1,40,900 रुपये है. इंजीनियरिंग में चार साल के डिग्री प्रोग्राम के लिए न्यूनतम फीस 79,600 रुपये सालाना और अधिकतम फीस 1,89,800 रुपये निर्धारित की गई है. इस रिपोर्ट की एक प्रति दिप्रिंट ने देखी है.
इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए फीस 1,41,200 रुपये से लेकर 3,04,000 रुपये रखी गई है. मैनेजमेंट में पीजी प्रोग्राम के लिए न्यूनतम और अधिकतम फीस क्रमश: 85,000 रुपये और 1,95,200 रुपये तय की गई है.
पैनल ने इंजीनियरिंग और तकनीकी, मैनेजमेंट, एप्लाइड आर्ट एंड क्राफ्ट्स, प्लानिंग और एमसीए सहित विभिन्न तकनीकी संस्थानों के लिए न्यूनतम और अधिकतम फीस का सुझाव दिया है.
इसकी पुष्टि करते हुए एआईसीटीई के सदस्य सचिव राजीव कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस सप्ताह की शुरुआत में मंत्रालय ने पैनल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था और हम फीस स्लैब को लागू करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिख चुके है.’
उन्होंने कहा, ‘यह अब राज्यों पर निर्भर है कि वे सुझावों की समीक्षा करें और उसके अनुसार फीस स्ट्रक्चर तय करें, क्योंकि हर राज्य की अपनी फी रिव्यू कमेटी होती है.’
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पहली बार तय हुई न्यूनतम फीस
पैनल की रिपोर्ट के लिए एआईसीटीई को आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश से प्रतिक्रिया मिली थीं.
एआईसीटीई ने मौजूदा फीस स्ट्रक्चर की समीक्षा करने, मानदंड तय करने के साथ-साथ ट्यूशन व अन्य चीजों के नाम पर शुल्क वसूलने पर गाइडलाइन निर्धारित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. समिति ने अगस्त 2021 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. इसे विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजा गया था.
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों प्रतिक्रिया मिलने और सभी पहलुओं की समीक्षा करने के बाद रिपोर्ट को अंततः शिक्षा मंत्रालय को सौंप दिया गया.
यह पहली बार है कि न्यूनतम फीस के लिए सुझाव दिए गए हैं, जबकि अधिकतम फीस स्लैब एक बार पहले भी तय किया जा चुका है.
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