तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य के सरकार सीएए विरोधी कदम पर एक बार फिर नाराजगी जताई है. उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें सूचना दिए बिना संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने का राज्य सरकार का कदम ‘अनुचित’ है.
वहीं इससे पहले खान राज्य सरकार अखबार में दिए गए विज्ञापन को गैरजरूरी बताते हुए इसे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग बताकर आलोचना की थी.
Arif Mohammad Khan, Governor, on Kerala govt challenging #CAA in SC: This is breach of protocol and breach of courtesy. I will look into it whether the state govt can go to the SC without the approval of the Governor. If not the approval, they could have just informed me. https://t.co/zFk5djrzxa pic.twitter.com/wMmRgDzYCX
— ANI (@ANI) January 16, 2020
खान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले सूचित किया जाना चाहिए था.
उन्होंने कहा, ‘विधानसभा के नियमों के अनुसार भी विधायिका को ऐसे किसी भी विषय पर चर्चा नहीं करनी चाहिए जो उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. मुझे कोई दिक्कत नहीं है, यदि वे उच्चतम न्यायालय जाते हैं. पर मुझे लगता है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख को सूचित किए बिना उन्होंने जो किया, वह ठीक नहीं है.’
राज्यपाल ने कहा, ‘तब भी, मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता. मुझे उच्चतम न्यायालय जाने के उनके फैसले में कोई त्रुटि नहीं दिखती क्योंकि संविधान न्यायालय को अधिकार देता है, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले मुझे सूचित करना चाहिए था.’
केरल सरकार ने 13 जनवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके कहा था कि सीएए संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है.
केरल में सीएए के खिलाफ वाम सरकार के विज्ञापन पर राज्यपाल ने जताया था ऐतराज
वहीं हाल ही में राज्यपाल ने केरल की माकपा नीत वाम मोर्चे की सरकार की ओर से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ राष्ट्रीय अखबारों के पहले पन्ने पर सरकारी पैसे से दिए गए विज्ञापन के विरोध में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान खुलकर सामने आए थे. उन्होंने इसे ‘पूरी तरह से गैरजरूरी’ करार दिया था.
उल्लेखनीय है कि राज्य प्रायोजित विज्ञापन में दावा किया गया था ‘राज्य संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की कोशिशों का नेतृत्व कर रहा है और केरल विधानसभा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाली पहली विधानसभा है.
खान ने दिल्ली में टेलीविजन चैनलों से कहा था कि सार्वजनिक धन का प्रयोग राजनीतिक अभियान पर खर्च करना ‘पूरी तरह गैरजरूरी’ है.
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)