मुंबई, 24 जून (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि सरकारों को संसदीय समितियों की रिपोर्ट को उनके कामकाज की आलोचना के रूप में नहीं, बल्कि रचनात्मक तरीके से लेना चाहिए।
बिरला ने संसद और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश विधान निकायों की प्राक्कलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि विचार-विमर्श के दौरान एक मजबूत दृष्टिकोण सामने आया कि संसदीय समितियां सरकार के खिलाफ काम नहीं करती हैं, बल्कि एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती हैं।
उनका कहना था, ‘‘मेरा मानना है कि सरकारों को संसदीय समितियों की रिपोर्ट को भी रचनात्मक तरीके से लेना चाहिए। अधिकारियों को भी इन रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्रवाई रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत की जाए।’’
उन्होंने कहा कि जो सदस्य संसदीय समितियों का हिस्सा हैं, उनके पास सार्वजनिक सेवा का अच्छा-खासा अनुभव होता है, जिसे वे इस तरह के विचार-विमर्श के दौरान साझा करते हैं।
बिरला के अनुसार, ‘‘हमारे संस्थापकों ने लोकतंत्र की कल्पना लोगों की नब्ज और सरकार से उनकी अपेक्षाओं को समझने की एक कवायद के रूप में की थी।’’
उन्होंने कहा कि लोगों के प्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करें कि इन उम्मीदों और आकांक्षाओं को आवाज मिले तथा उन्हें पूरा किया जा सके।
लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘शासन में अधिक पारदर्शिता से सरकारों का कामकाज बेहतर होगा।’’
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