चेन्नई, 18 मार्च (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने खासतौर पर मोटर दुर्घटना दावों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अधिकरण का गठन करने का राज्य और केंद्र सरकार को सुझाव दिया है।
तमिलनाडु और पुडुचेरी में 322 मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण हैं, जो इस साल 31 जनवरी तक के आंकड़ों के अनुसार एक लाख 57 हजार 719 मोटर दुर्घटना से संबंधित मूल याचिकाओं (एमसीओपी) की सुनवाई कर रहे हैं, जिनमें हजारों करोड़ रुपये के दावे शामिल हैं।
न्यायमूर्ति पी एन प्रकाश और न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दहोस की पीठ ने स्वत: संज्ञान वाली रिट याचिका पर आदेश जारी करते हुए यह सुझाव दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने अभी भानुमति का पिटारा नहीं खोला है, केवल एमसीओपी के अधिकार क्षेत्र की ऊपरी सीमा को ही स्पर्श किया है, जो खुद प्रदर्शित करता है इसके अंदर कैंसरकारी ट्यूमर है, जो दीवानी और आपराधिक अदालतों के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि ईमानदार न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को दूषित होने से बचाया जाए।’’
इस सिलसिले में पीठ ने रश्मिता बिस्वाल मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिाया फैसले का उल्लेख किया, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि एमसीओपी मामलों में उच्च न्यायालय के अपीलीय अधिकार क्षेत्र को वापस ले लिया जाना चाहिए और अलग से अपीलीय अधिकरण का गठन किया जाना चाहिए, ताकि उच्च न्यायालय संवैधानिक मामलों पर अपना ध्यान केंद्रित कर सके।
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