नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शुक्रवार को कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के लिए 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु उनके कानूनी अनुभव को बर्बाद करना है।
सिंह ने न्यायमूर्ति अभय एस ओका के सम्मान में आयोजित एससीबीए के कार्यक्रम में उन्हें सबसे प्रगतिशील न्यायाधीशों में से एक बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करता हूं कि 65 वर्ष की आयु सेवानिवृत्त होने की कोई उम्र नहीं है। मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से एक ऐसा मामला है जिस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है और सरकार यह अच्छी तरह से कर सकती है। पैंसठ वर्ष की आयु में एक न्यायाधीश के कानूनी अनुभव को बर्बाद करना वास्तव में व्यवस्था को नुकसान पहुंचाना है।’’
उन्होंने न्यायमूर्ति ओका के फैसलों को ‘‘अद्भुत कार्य’’ बताया।
सिंह ने कहा, ‘‘उन्होंने (न्यायमूर्ति ओका ने) यह प्रावधान किया कि जब किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाना हो तो उसे गिरफ्तारी के आधार बताए जाने चाहिए। उन्होंने फैसला सुनाया कि भले ही आपके पास कोई ऐसा दस्तावेज हो जिस पर भरोसा न किया जा सके, जिसे आम तौर पर आपराधिक कानून में आरोपी को नहीं दिया जाता, लेकिन उसे अवश्य दिया जाना चाहिए, क्योंकि उसमें आरोपी के पक्ष में कुछ बातें हो सकती हैं।’’
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति ओका ‘‘आम आदमी’’ और ‘‘आम वकील’’ को राहत देने के लिए तैयार रहते थे, बशर्ते मामला उनके पक्ष में बनता हो।
एससीबीए अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हर कोई, चाहे वह अमीर हो या गरीब, चाहे उसका प्रतिनिधित्व अच्छा हो या न हो, चाहे वह वरिष्ठ वकील हो या कनिष्ठ, हर किसी को उनकी अदालत में राहत मिली और यह वास्तव में बताता है कि हम न्यायपालिका से क्या उम्मीद करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति ओका ने महिलाओं और युवा वकीलों, दोनों को प्रोत्साहित किया।
न्यायमूर्ति ओका ने न्यायपालिका में दो दशक से अधिक समय तक सेवा दी।
वह शीर्ष अदालत में वरिष्ठता के क्रम में तीसरे स्थान पर हैं। उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख 24 मई है, जो अदालत में अवकाश का दिन है।
उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा दी, जिसके बाद उन्हें 31 अगस्त 2021 को शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया गया।
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सुभाष सुरेश
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