नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सरकार की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में गरीबों, किसानों और श्रमिकों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए और 10 लाख करोड़ रुपये के व्यापक वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करनी चाहिए.
पूर्व वित्त मंत्री ने यह दावा भी किया कि सरकार की ओर से घोषित पैकेज में सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपये की वित्तीय प्रोत्साहन राशि है जो भारत की जीडीपी का सिर्फ 0.91 फीसदी है.
उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘हमने वित्त मंत्री की ओर से घोषित पैकेज का पूरे ध्यान से विश्लेषण किया. हमने अर्थशास्त्रियों से बात की. हमारा यह मानना है कि इसमें सिर्फ 1,86,650 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज है.’
LIVE: Congress Party briefing by Shri @PChidambaram_IN, former Union Finance Minister via video conferencing https://t.co/jAzFj07gME
— Congress (@INCIndia) May 18, 2020
चिदंबरम के मुताबिक आर्थिक पैकेज की कई घोषणाएं बजट का हिस्सा हैं और कई घोषणाएं कर्ज देने की व्यवस्था का हिस्सा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के आर्थिक पैकेज से 13 करोड़ कमजोर परिवार, किसान, मजदूर और बेरोजगार हो चुके लोग असहाय छूट गए हैं.
पूर्व वित्त मंत्री ने सरकार से आग्रह किया, ‘सरकार आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करे, समग्र वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करे जो जीडीपी का 10 फीसदी हो. यह 10 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज होना चाहिए.’
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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री के पांच दिनों के ‘धारावाहिक’ से देश के गरीबों, मजदूरों, किसानों और मध्य वर्ग के लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगी है.
उन्होंने कहा, ‘यह जुमला पैकेज है. वित्त मंत्री ने जो पांच दिनों तक धारावाहिक दिखाया है उससे साबित होता है कि इस सरकार को गरीबों की कोई चिंता नहीं है. लोगों की दर्द की अनदेखी की गई है.’
सुप्रिया ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने संसद के पटल पर मनरेगा का मजाक मनाया था. आज वही मनरेगा ग्रामीण भारत में संजीवनी का काम कर रही है.’