नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि यूनियन बैंक और एक पुस्तक से संबंधित घपलेबाजी के कारण सरकार ने केवी सुब्रमण्यन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कार्यकारी निदेशक पद से समय से पहले से हटाने का फैसला किया।
पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस पूरे मामले में खुलासा होने के बाद मोदी सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।
कांग्रेस के इस आरोप पर फिलहाल सरकार या सुब्रमण्यन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सरकार ने पिछले दिनों एक अप्रत्याशित कदम के तहत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कार्यकारी निदेशक (ईडी) के वी सुब्रमण्यन की सेवाएं उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले समाप्त कर दीं।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड कर्ज में डूबे पाकिस्तान के लिए वित्तीय सहायता पर विचार करने वाला है। पिछले महीने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत कूटनीतिक और विभिन्न वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को घेरने का प्रयास कर रहा है। भारत का मानना है कि इस हमले में पाकिस्तान शामिल है। इस आतंकवादी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे।
श्रीनेत ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी सरकार ने दो दिन पहले अचानक आईएमएफ में भारत के कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यन का कार्यकाल समाप्त कर दिया है जबकि उनके कार्यकाल में अभी भी 6 महीने बाक़ी थे। सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। ये वही केवी सुब्रमण्यन हैं, जो कोविड के दौरान -24 प्रतिशत वृद्धि दर के बावजूद ‘वी-शेप्ड रिकवरी’ (भारी गिरावट के बाद तेज सुधार) की बात कर रहे थे।’’
उन्होंने सवाल किया कि ऐसा क्या हुआ कि इन्हें अचानक बर्खास्त कर दिया गया?
कांग्रेस ने अपने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए दावा किया कि ऐसा एक घपलेबाजी के चलते हुआ है और यह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है।
श्रीनेत ने आरोप लगाया, ‘‘यूनियन बैंक ने प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और ‘‘समर्पित चीयरलीडर’’ केवी सुब्रमण्यन द्वारा लिखी गई किताब ‘इंडिया ऐट100’ की करीब दो लाख प्रतियां ऑर्डर कीं। इन 2 लाख प्रतियों की कुल कीमत 7.25 करोड़ रुपये से ज़्यादा थी और यही नहीं, 3.5 करोड़ रुपये तो एडवांस भी दे दिए गए।’’
उनका कहना है कि इनमें 1,89,450 प्रतियां पेपर बैक और 10,422 हार्ड कवर की प्रतियां शामिल थीं।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इन किताबों को बैंक के क्षेत्रीय और जोनल ऑफिस से लेकर खाताधारकों, स्कूल और कॉलेजों में बांटा जाना था। बैंक के 18 जोनल ऑफिस हैं और हर जोनल ऑफिस को 10,525 प्रतियां दी जानी थीं।’’
श्रीनेत ने दावा किया कि आधे भुगतान के बाद बैंक ने तमाम क्षेत्रीय दफ्तरों को कहा कि बाकी भुगतान अतिरिक्त खर्च में दिखा दिया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘सवाल है कि इनका भोंडा प्रचार क्यों किया गया? इसका जवाब यह है कि इन्होंने सरकार की हर गलत नीति को सही बताने का काम किया और पहले की सरकारों की आर्थिक नीतियों पर जबरदस्ती की टिप्पणी की थी।’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि इस शर्मनाक खुलासे के कारण ही मोदी सरकार को मजबूरन केवी सुब्रमण्यन को उनके पद से हटाना पड़ा है।
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