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Friday, 17 May, 2024
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सरकार ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों का नए सिरे से वर्गीकरण किया

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नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित जिलों को नए सिरे से वर्गीकृत किया है, क्योंकि पिछले नौ वर्ष में इनकी संख्या लगभग आधी रह गई है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने संबंधित पुलिस महानिदेशकों के साथ साझा की गई सूची के बारे में बताया कि 10 राज्यों में कुल 38 जिलों को एक अप्रैल, 2024 से वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि 2015 में यह संख्या 75 थी।

आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों का वर्गीकरण 2015 में अनुमोदित राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना के तहत संसाधनों की तैनाती के लिए आधार प्रदान करता है। इस नीति का उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद का समग्र रूप से मुकाबला करना है।

अधिकारियों ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा और विकास दोनों से संबंधित कई कार्य किए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वामपंथी उग्रवाद में उल्लेखनीय कमी आई है।

उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के मामले में छत्तीसगढ़ अभी तक शीर्ष पर है और राज्य के 15 जिलों को इस सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि ओडिशा के सात जिलों, झारखंड के पांच, मध्य प्रदेश के तीन, केरल, महाराष्ट्र, तेलंगाना के दो-दो और पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के एक-एक जिले को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों की सूची में शामिल किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि ‘सबसे अधिक प्रभावित’ जिलों की श्रेणी में 12 जिलों को वर्गीकृत किया गया है जिनमें से छत्तीसगढ़ के सात, ओडिशा के दो, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के एक-एक जिले को शामिल किया गया है।

उन्होंने बताया कि झारखंड के चार, ओडिशा के दो, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के एक-एक जिले को ‘‘चिंता के विषय वाले जिलों’’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि संसाधनों की केंद्रित तैनाती सुनिश्चित करने के लिए 2015 में 35 जिलों को ‘सबसे अधिक प्रभावित जिलों’ की श्रेणी में रखा गया था। उन्होंने बताया कि 2018 में की समीक्षा के बाद ऐसे जिलों की संख्या घटाकर 30 कर दी गई और उसके बाद 2021 में 25 रह गई।

उन्होंने बताया कि ‘चिंता के विषय वाले जिलों’ की श्रेणी में उन जिलों को शामिल किया गया जहां पर संसाधन के अंतर का समाधान किया जा सके। ये वे जिले हैं जहां पर वामपंथी उग्रवाद का प्रभाव कम हो रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि आठ जिलों को 2021-22 से 2022-23 तक दो वर्षों के लिए सूची में रखा गया था और इन सभी जिलों को सूची से बाहर कर दिया गया है और नौ नए जिलों को शामिल किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा बिहार के आठ जिलों, झारखंड के छह, ओडिशा के तीन और आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के एक-एक जिले को ‘‘विरासत एवं जोर दिये जाने वाले’’ (लीगेसी एंड थ्रस्ट) जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

उन्होंने कहा कि इन जिलों में वामपंथी उग्रवाद का समर्थन करने की विरासत है और इसलिए, स्थिति को मजबूत करने और कुछ और समय के लिए सुरक्षा व विकास उपायों के संबंध में समर्थन जारी रखने के लिए राज्यों को समर्थन की आवश्यकता है।

भाषा धीरज माधव

माधव देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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