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Sunday, 22 December, 2024
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आईटीआई को आईआईटी की तर्ज पर चमकाने के लिए सरकार ने निजी कंपनियों को लिया साथ

देशभर में चलाई जा रहीं कई आईटीआई किसी गैराज या छोटी दुकानों या फिर टीन वाली छतों के नीचे चलाई जा रही हैं.

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नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी ने 2015 में ‘स्किल इंडिया’ का नारा बुलंद करते हुए कहा था कि देश के कौशल विकास के लिए आईआईटी नहीं बल्कि आईटीआई की जरूरत है. लेकिन पिछले कुछ सालों से आईटीआई के खराब प्रदर्शन को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. खुद संसदीय स्थायी समिति (लेबर) ने पिछले साल आईटीआई के खराब प्रदर्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर एक रिपोर्ट संसद में पेश की थी. इसके मुताबिक देशभर में चलाई जा रहीं कई आईटीआई किसी गैराज या छोटी दुकानों या फिर टीन वाली छत के नीचे चलाई जा रही हैं.

इतना ही नहीं इस समिति ने कौशल विकास मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं जैसे कौशल केंद्रों का भी मंथन किया गया था. इस रिपोर्ट के एक साल बाद कौशल विकास मंत्रालय ने आईटीआई को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. पिछले 6 महीनों में आईटीआई और 719 निजी कंपनियों व प्राइवेट इंडस्ट्री के बीच एमओयू साइन किए गए हैं. ताकि आईआईटी की तर्ज पर आईटीआई को भी चमकाया जा सके.


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बता दें कि कौशल विकास मंत्रालय की डीजीटी (डायरेक्टर जनरल ऑफ ट्रेनिंग) संस्था आईटीआई को रेग्युलेट करती है.

डीजीटी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल दीपांकर मलिक ने दि प्रिंट को इस बारे में बताया, ‘ये एमओयू 2016 में ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग स्कीम के तहत साइन किए गए हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा स्किल्ड युवाओं को रोजगार मिल सके. इस दिशा में पिछले छह महीनों में मंत्रालय ने ज्यादा से ज्यादा निजी कंपनियों को आईटीआई से जोड़ा है.’

गौरतलब है कि इससे पहले के तीन सालों में मंत्रालय सिर्फ 136 निजी कंपनियों को ही आईटीआई से जोड़ पाया था जिसका सीधा असर रोजगार के अवसरों में देखने को मिला. लेकिन अकेले एनएसटीआई (नेशनल स्किल ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट) पिछले कुछ महीनों में 37 कंपनियों के साथ एमओयू साइन करने में कामयाब रहा है.

इस बारे में केंद्रीय कौशल विकास मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा, ‘हम लगातार आईटीआई को ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग के जरिए प्राइवेट व निजी कंपनियों के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि नए आईटीआई ट्रेनी तैयार हों.’

क्या है ये ‘ड्यूल सिस्ट्म ऑफ ट्रेनिंग’?

कौशल विकास मंत्रालय का दावा है कि ‘ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग’ के जरिए स्किलिंग के इको सिस्टम को मजबूत किया गया है. मंत्रालय के मुताबिक थ्योरिटिक्ल ट्रेनिंग के बाद युवाओं को सीधे तौर पर प्रैक्टिक्ल ट्रेनिंग दिलाने के मकसद से निजी कंपनियों के साथ एमओयू साइन किए गए हैं. ताकि मंत्रालय देश में स्किल्ड मैन पावर की बढ़ती मांग को पूरा कर सके.

2016 में शुरू हुए ‘ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग’ का उद्देश्य प्राइवेट इंडस्ट्री और निजी कंपनियों का सरकार के साथ साझेदारी बढ़ाना था. इस साझेदारी के अंतर्गत सरकारी और प्राइवेट आईटीआई में ट्रेनिंग प्रोग्राम्स का संचालन करना था. ड्यूल सिस्टम ऑफ ट्रेनिंग में आईटीआई में थ्योरिटल ट्रेनिंग और प्राइवेट कंपनियों में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का प्रस्ताव है.

सरकारी रिपोर्ट में आए खराब प्रदर्शन के बाद इस स्कीम को भी जनवरी 2019 में अपग्रेड किया गया. नई गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग के बाद युवाओं को ‘नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट’ देने को आवश्यक किया गया ताकि उन्हें नौकरियां मिलने की संभावना ज्यादा हो सके. ‘नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट’ का मतलब है कि एक खास स्किल में स्पेशलिस्ट युवा. साथ ही आईटीआई को कुछ शर्तों के आधार पर स्वतंत्र रूप से निजी कंपनियों के साथ एमओयू साइन करने का अधिकार भी दिया गया. मतलब अब निजी कंपनियों के साथ समझौते करने के लिए आईटीआई कोडीजीटी से परमिशन लेने की जरूरत नहीं है.

ग्रेडिंग सिस्टम पर जोर

इसके अलावा मंत्रालय आईटीआई के प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए ग्रेडिंग सिस्टम पर भी जोर दे रहा है. ग्रेडिंग का पहला फेज नवंबर 2017 से जून 2018 तक चला था जिसमें 4811 आईटीआई को ग्रेडिंग सिस्टम के तहत लाया गया. इसमें 2940 प्राइवेट पार्टनर को शामिल किया गया. 3 से ऊपर ग्रेड लाने वाली 20 आईटीआई को टॉप लिस्ट में रखा गया है. ज्यादातर आईटीआई 0 से 2 के बीच रही हैं. ग्रेडिंग का दूसरा फेज जनवरी 2019 में शुरू किया गया है जिसमें बची हुई  सभी आईटीआई को शामिल किया जाएगा.

ग्रेडिंग सिस्टम के पैमाने के बारे में दीपांकर मलिक ने बताया, ‘इसमें आउटकम, प्लेसमेंट, एडमिशन और एमओयू जैसे सभी पहलू शामिल किए जाते हैं. उस आधार पर आईटीआई को एक, दो या तीन ग्रेड दिए गए हैं. इसका मुख्य उद्देश्य आईटीआई के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है ताकि पिछड़ चुकी आईटीआई सुधार ला सकें.’


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क्या कहते हैं आईटीआई में ट्रेनिंग ले रहे छात्र?

अप्रैल 2018 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि दिसंबर तक आते-आते देश के हर ब्लॉक में आईटीआई खोले जाएंगे. फिलहाल देश में 14,917 आईटीआई हैं. इनमें करीब 1,97, 053 लोग ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसके अलावा कौशल विकास मंत्रालय ने भी नेशनल स्किल डवेलपमेंट कॉर्पोरेशन के तहत 6,000 से भी ज्यादा प्राइवेट ट्रेनिंग सेंटर खोले हैं. इन्हें प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत चलाया जा रहा है.

हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले की मालड़ा सरकारी आईटीआई में प्लेसमेंट विभाग में काम करने वाले मनोज कुमार ने दि प्रिंट को बताया, ‘पिछले दो साल से प्लेसमेंट में फर्क आया है. सरकारी आईटीआई और निजी कंपनियों के एमओयू की वजह से ज्यादातर युवाओं को रोजगार मिल रहा है.’

इसी आईटीआई के छात्र हिमांशु का कहना है कि पिछले कुछ सालों से इस इलाके के युवा आईटीआई को एक अच्छे करियर के तौर पर देख रहे हैं. गुरुग्राम और मानसेर के नजदीक होने की वजह से यहां अलग-अलग कंपनियां ट्रेनी हायर करने आती हैं.

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