नई दिल्ली: ट्विटर के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जैक डॉर्सी ने दावा किया है कि देश में किसानों के प्रदर्शन के दौरान सरकारी दबाव और प्लेटफॉर्म को शट डाउन किए जाने की धमकियों का सामना करना पड़ा था.
जैक डॉर्सी ने दावा किया कि उनसे भारत के कई ऐसे पत्रकारों के अकाउंट बंद करने के लिए कहा गया था जो सरकार के आलोचक थे.
हालांकि, डॉर्सी के बयान को केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने झूठा करार दिया है.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने डॉर्सी के दावों को खारिज करते हुए ट्वीट किया, ‘‘डॉर्सी के समय ट्विटर प्रशासन को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में दिक्कत होती थी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोई जेल नहीं गया और ना ही ट्विटर को शट डाउन किया गया.’’
ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ डॉर्सी ने ये दावा सोमवार को यूट्यूब चैनल ‘ब्रेकिंग पॉइंट्स’ के होस्ट सागर एंजेटी और क्रिस्टल बॉल के साथ एक इंटरव्यू के दौरान किया.
उनसे पूछा गया, “दुनियाभर के ताकतवर लोग आपके पास आते हैं और कई तरह की मांगें करते हैं, आप नैतिक सिद्धांतों वाले व्यक्ति हैं, इन हालात से आप कैसे निकलते हैं?”
उन्होंने कहा कि देश में किसानों के प्रदर्शन के दौरान भारत सरकार ने ट्विटर पर दबाव डाला था और सरकार का कहना नहीं मानने पर भारत में ट्विटर को बंद करने, उसके कर्मचारियों के घरों पर छापे मारने की धमकियां दी गईं थीं.
डॉर्सी ने जवाब में कहा, ‘‘मिसाल के तौर पर भारत एक ऐसा देश है, जहां से किसान आंदोलन के दौरान हमारे पास बहुत सी मांगें आ रहीं थीं. खासतौर से उन पत्रकारों को लेकर जो सरकार के प्रति आलोचनात्मक थे…और ऐसा कहा गया कि हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे, भारत हमारे लिए बड़ा बाज़ार है. अगर आप हमारी बात नहीं मानेंगे, आपके दफ्तरों को बंद करवा देंगे, कर्मचारियों के घरों पर छापे मार देंगे. यह भारत की बात है, एक लोकतांत्रिक देश की.’’
वहीं, चंद्रशेखर ने ट्वीट किया, ‘‘डॉर्सी और उनकी टीम लगातार और बार-बार भारतीय कानून का उल्लंघन कर रहे थे. उन्होंने 2020 से 2022 तक बार-बार कानूनों की अवमानना की और जून 2022 में ही उन्होंने अंतत: अनुपालन शुरू किया.’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डॉर्सी के समय ट्विटर को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में समस्या थी और वे ऐसे व्यवहार करते थे मानो भारत के कानून उनके ऊपर लागू नहीं होते.
उन्होंने कहा ‘‘एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते भारत के पास यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि उसके कानूनों का भारत में संचालित सभी कंपनियां पालन करें.’’
वहीं, डॉर्सी के दावे को लेकर मंगलवार को कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर देश के लोकतंत्र को कमज़ोर करने का आरोप लगाया.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब किसान दिल्ली के आसपास धरने पर बैठे थे तो उस वक्त न सिर्फ उन्हें खालिस्तानी, पाकिस्तानी और आतंकवादी कहा जा रहा था, बल्कि ट्विटर को भी धमकी दी जा रही थी कि इन लोगों की आवाज़ को जगह नहीं दी जाए.’’
सुप्रिया ने सवाल किया, ‘‘आज जैक डॉर्सी को झूठ बोलने की क्या ज़रूरत है? झूठ बोलने से उनको क्या मिलेगा?’’
पार्टी प्रवक्ता ने ये भी दावा किया कि सरकार के निर्देश पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्विटर अकाउंट पर 6 महीने के लिए रोक लगाई गई थी.
उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी कहते हैं कि देश के लोकतंत्र को कमज़ोर किया जा रहा है. डॉर्सी की टिप्पणी से यह बात फिर प्रमाणित हो जाती है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसान आंदोलन के समय बीजेपी की ओर से एक तथाकथित टूलकिट जारी की गई और आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस टूलकिट का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन आज उसके बारे में असलियत सामने आ रही है. ट्विटर के दफ्तरों पर छापा मारा गया था. अब समझ में आ रहा है कि यह सब किसान आंदोलन को दबाने के लिए किया गया था.’’
ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी के भारत के ‘दबाव’ वाले दावे पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘सबसे पहले मैं जानना चाहूंगा कि जैक डॉर्सी ऐसा बयान क्यों देंगे? राजीव चंद्रशेखर कहते हैं कि यह झूठ है वे झूठ क्यों बोलेंगे? जैक डॉर्सी के पास झूठ बोलने का कोई कारण नहीं है, लेकिन किसी और के पास हर कारण है कि दूसरे लोग झूठ बोलते हैं क्योंकि वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते…’’
चंद्रशेखर ने कहा कि जनवरी 2021 में प्रदर्शनों के दौरान अनेक दुष्प्रचार किए गए और यहां तक कि जनसंहार की खबरें थीं जो कि निश्चित रूप से फर्ज़ी थीं.
उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ट्विटर ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का उल्लंघन किया और देश में गलत सूचनाओं को ‘‘हथियार बनाने’’ में मदद की. उन्होंने कहा कि सरकार इस प्लेटफॉर्म से गलत सूचनाओं को हटाने के लिए बाध्य थी क्योंकि फर्ज़ी खबरों के आधार पर हालात और बिगड़ने की आशंका थी.’’
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट किया, ‘‘जब हमारे किसान अपने हक के लिए दिल्ली की सीमाओं पर बैठे थे. जब वे सर्दी, गर्मी, बरसात झेलते हुए अपने प्राण त्याग रहे थे. तब एक तानाशाह उनकी खबर को दबाने में लगा था.’’
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर के पूर्व सीईओ के बयान का हवाला देते हुए सवाल किया कि क्या सरकार इस पर जवाब देगी?
उन्होंने लिखा, ‘‘मोदी सरकार के अत्याचार और मौसम की मार सहते, 700 से अधिक किसान शहीद हो गए! तब ‘डरपोक तानाशाह’ डराने-धमकाने..आवाज़ दबाने की साजिशें करता रहा !’’
उन्होंने कहा, ‘‘’काले कानून’ तो वापस लेने पड़े, मगर ‘काली करतूतों’ का खुलासा जारी हैं !’’
राजीव चंद्रशेखर ने ट्विटर पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए अमेरिका में हुए घटनाक्रम का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘‘जैक के समय ट्विटर पर पक्षपातपूर्ण रवैये का यह स्तर था कि उन्हें भारत में इस प्लेटफॉर्म से गलत सूचनाओं को हटाने में दिक्कत थी, जबकि अमेरिका में अनेक घटनाओं में उन्होंने खुद ऐसा किया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जैक के समय ट्विटर के मनमाने, खुल्लम खुल्ला पक्षपातपूर्ण और भेदभाव वाले रवैये के तथा उस अवधि में इसके मंच पर उनके अधिकारों के दुरुपयोग के अनेक प्रमाण हैं जो अब सार्वजनिक हैं.’’
डॉर्सी डॉर्सीने उल्लेख किया कि तुर्की, भारत की तरह, समान व्यवहार करता है और तुर्की सरकार ने भी ट्विटर को बंद करने की धमकी दी है, क्योंकि प्लेटफॉर्म अक्सर सरकार के साथ कानूनी विवादों में उलझा रहा लेकिन विजयी हुआ.
सुप्रिया ने कहा कि पत्रकारों, मीडिया और सोशल मीडिया मंचों को धमकाने का सिलसिला बंद होना चाहिए.
केंद्र द्वारा 2020 में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों (अब निरस्त) के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमा पर करीब डेढ़ साल तक विरोध प्रदर्शन किया.
26 जनवरी 2021 तक विरोध शांतिपूर्ण था, जब आंदोलनकारियों ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया और पुलिस से भिड़ गए. प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ऐतिहासिक लाल किले को नुकसान पहुंचाया और राष्ट्रीय ध्वज को हटाकर सिख धार्मिक ध्वज फहरायाय हिंसा में एक प्रदर्शनकारी नवरीत सिंह हुंदल (26) की मौत हो गई. दिल्ली पुलिस ने कहा कि लगभग 400 पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं.
बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा राज्यों में पुलिस ने 6 वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों- राजदीप सारदेसाई, मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ, अनंत नाथ, विनोद के. जोस और एक कांग्रेस पार्टी के राजनेता, शशि थरूर – प्रदर्शनकारी की मौत के आसपास के तथ्यों को कथित रूप से ‘‘गलत रिपोर्टिंग’’ करने के लिए दिल्ली पुलिस ने इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था.
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