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Sunday, 19 May, 2024
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‘बच्चे डर गए हैं’ बालासोर दुर्घटना में मारे गए शवों को रखने के लिए इस्तेमाल स्कूल की इमारत को गिराने का काम शुरू

स्कूल प्रबंधन समिति ने शुरू में शव रखने के लिए केवल तीन कक्षाओं की अनुमति दी थी. बाद में जिला प्रशासन ने पहचान के लिए शवों को रखने के लिए स्कूल के हॉल का इस्तेमाल किया था.

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नई दिल्ली: ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को 65 साल पुराने बाहानगा हाई स्कूल की इमारत को गिराना शुरू कर दिया जिसका इस्तेमाल कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना में मारे गये लोगों के शव रखने के लिए अस्थायी रूप से किया जा रहा था.

विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सदस्यों और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में इमारत को गिराया जा रहा है.

एसएमसी ने कहा था कि विद्यालय भवन पुराना है और सुरक्षित नहीं है, वहीं बच्चे भी इसलिए स्कूल नहीं आ रहे हैं क्योंकि कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना में मारे गए लोगों के शव वहां रखे गए थे. इसके बाद इमारत को गिराने का फैसला किया गया.

अभिभावकों ने भी इमारत को ढहाने की मांग की थी.

एसएमसी के फैसले और स्थानीय लोगों एवं अभिभावकों के अनुरोध पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बृहस्पतिवार को मुख्य सचिव समेत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और संस्थान के पुनर्निर्माण की मंजूरी दी.

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उन्होंने पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला और डिजिटल कक्षाओं समेत आधुनिक सुविधाओं के साथ आदर्श विद्यालय का निर्माण करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी.

ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए रेल हादसे में 288 यात्रियों की मौत हुई थी तथा 1,200 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस दुर्घटना के तुरंत बाद, 65 साल पुराने इस स्कूल भवन में कफन में लिपटे शवों को रखा गया था.

स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) ने शुरू में शव रखने के लिए केवल तीन कक्षाओं की अनुमति दी थी. बाद में जिला प्रशासन ने पहचान के लिए शवों को रखने के लिए स्कूल के हॉल का इस्तेमाल किया था.

बहानागा स्कूल की एक शिक्षिका ने बताया, इतना बड़ा हादसा हुआ है, इस वजह से बच्चों में डर का माहौल है. हादसे के पहले सभी बच्चे खुशी से स्कूल आ रहे थे लेकिन अब स्कूल आने के लिए वे खुद मना कर रहे हैं. हम प्रशासन से बच्चों को समझाने के लिए और हमारी मदद करने का आग्रह करते हैं.

दो दिन बाद शवों को राज्य सरकार ने स्कूल से हटा कर भुवनेश्वर के विभिन्न अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया था.

अधिकारियों ने बताया कि अब तक 200 से अधिक शवों की पहचान हो चुकी है और उन्हें उनके परिजन को सौंपा जा चुका है, लेकिन करीब 80 शवों की न तो अब तक पहचान हो पाई है और न ही उनके लिए किसी ने दावा किया है. ये शव भुवनेश्वर स्थित एम्स के शवगृह में रखे हैं.


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