नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) केंद्र ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, ताकि रासायनिक खतरों के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया के वास्ते उनकी तैयारी को बढ़ाया जा सके, जिसमें रासायनिक जोखिम के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों की पूर्व चेतावनी, आकलन और शमन के लिए निगरानी तंत्र की सहायता ली जा सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के साथ साझेदारी में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भारत के तकनीकी सहयोग से तीन विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किए गए हैं।
शुरुआती पहचान से लेकर मौके पर प्रतिक्रिया और समय पर चिकित्सा सहायता तक, ये कार्यक्रम एकजुटता से काम करते हैं, तथा एक ऐसा ढांचा विकसित करते हैं जो संपूर्ण रासायनिक आपातकालीन प्रबंधन से निपटता है।
तीन कार्यक्रम हैं: रासायनिक आपात स्थितियों के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए तैयारी, निगरानी और प्रतिक्रिया; रासायनिक आपात स्थितियों का अस्पताल-पूर्व प्रबंधन और रासायनिक आपात स्थितियों का चिकित्सा प्रबंधन।
योजना के अनुसार, प्रत्येक जिले में एक रासायनिक आपातकालीन त्वरित प्रतिक्रिया दल (आरआरटी) का गठन किया जाएगा। इस दल में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, अग्निशमन सेवा, आपदा प्रबंधन इकाई, एम्बुलेंस सेवा और पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्य शामिल होंगे।
उन्हें रासायनिक खतरों की पहचान करने, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का उपयोग करने, परिशोधन प्रक्रियाओं और रासायनिक प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने में तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जब आवश्यक होगा, आरआरटी घटना स्थल पर पहुंचेगी, प्रभावित व्यक्तियों को संदूषण-निवारण इकाइयों में ले जाएगी, तथा परीक्षण और रिपोर्टिंग के लिए रासायनिक नमूने एकत्र करेगी।
भारत तेजी से औद्योगिक और तकनीकी विकास के लिए एक प्रमुख वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। दस्तावेज में कहा गया है कि चूंकि रसायन आधुनिक औद्योगिक प्रणालियों का अभिन्न अंग हैं, इसलिए औद्योगीकरण की गति ने रासायनिक खतरों के जोखिम को भी बढ़ा दिया है।
ऐसे पदार्थों के अनियंत्रित उत्सर्जन से सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से रासायनिक आपातस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
इन रासायनिक आपात स्थितियों का मानव स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रायः मौतें होती हैं, दीर्घकालिक परिणाम होते हैं, तथा संपत्ति और पर्यावरण को नुकसान होता है।
दस्तावेज में कहा गया है कि रासायनिक आपात स्थितियों के प्रभावी प्रबंधन से ऐसी घटनाओं से होने वाली संभावित क्षति को कम करने में मदद मिल सकती है।
भाषा
प्रशांत नेत्रपाल
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