नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) सरकार की एक उच्चस्तरीय अंतर-विभागीय समिति ने दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम के तहत निर्दिष्ट दिव्यांगता की सूची में अस्थमा, मिर्गी और एक कान का बहरापन सहित नौ नई चिकित्सा स्थितियों को शामिल करने के प्रस्तावों को खारिज कर दिया है।
नौ स्थितियां पामोप्लांटार केराटोडर्मा (त्वचा विकार), एक कान का बहरापन, मिर्गी, फैक्टर-13 की कमी (इसकी कमी से अप्रत्याशित रक्त स्राव होता है), इचथियोसिस (त्वचा रोग है जिसमें त्वचा मोटी, सूखी, पपड़ीदार और कठोर हो जाती है), अस्थमा, लेरिंजेक्टोमी(स्वर यंत्र निकाले जाने की स्थिति), महत्वपूर्ण अंग खराब होने और ऑस्टोमी को सूची में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया था।
बैठक 20 अगस्त को हुई। इस बैठक का नेतृत्व दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने किया और इसकी अध्यक्षता दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने की। बैठक के विवरण के अनुसार, इसमें हितधारकों से प्राप्त अभ्यावेदनों की समीक्षा की गई, लेकिन निष्कर्ष निकाला गया कि किसी भी स्थिति को नए सिरे से शामिल करने की आवश्यकता नहीं है।
बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
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