नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा के सभी पहलुओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं वर्ष 2021-22 की बजटीय घोषणाओं से जोड़ते हुए ‘‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’’ नामक एक नयी योजना को मंजूरी प्रदान की है।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी । उन्होंने कहा कि ‘‘ नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’’ को वित्त वर्ष 2022 से 2027 की अवधि के लिये मंजूरी प्रदान की गई है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, इसमें प्रौढ़ शिक्षा के स्थान पर ‘सभी के लिये शिक्षा’ रखा गया है।
इसमें कहा गया है कि इस योजना के दायरे में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 15 वर्ष एवं इससे अधिक आयु के सभी निरक्षर आयेंगे । इसका मकसद वित्त वर्ष 2022-27 के दौरान 5 करोड़ शिक्षार्थियों को बुनियादी साक्षरता और अंक ज्ञान प्रदान करना है । इसे प्रति वर्ष एक करोड़ शिक्षार्थियों के हिसाब से रखा गया है जिसमें आनलाइन शिक्षण, पठन-पाठन और मूल्यांकन प्रणाली का उपयोग किया जायेगा ।
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘ नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’’ के लिये कुल अनुमानित आवंटन 1037.90 करोड़ रूपया है जिसमें वित्त वर्ष 2022-27 के दौरान केंद्र का हिस्सा 700 करोड़ रूपये और राज्य का हिस्सा 337.90 करोड़ रूपया होगा ।
गौरतलब है कि केंद्रीय बजट 2021-22 में संसाधनों, ऑनलाइन मॉड्यूल तक पहुंच बढ़ाने की घोषणा की गई थी, ताकि प्रौढ़ शिक्षा को समग्र रूप से इसमें शामिल किया जा सके।
मंत्रालय के अनुसार, नयी योजना का उद्देश्य न केवल आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान करना है, बल्कि 21वीं सदी के नागरिक के लिए आवश्यक अन्य घटकों को भी शामिल करना है।
इसमें वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता सहित, शिशु देखभाल तथा शिक्षा एवं परिवार कल्याण सहित जीवन कौशल को शामिल किया गया है । साथ ही स्थानीय रोजगार प्राप्त करने की दृष्टि से व्यावसायिक कौशल विकास तथा प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक स्तर की समकक्षता सहित बुनियादी शिक्षा और कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल और मनोरंजन सहित सतत शिक्षा में समग्र प्रौढ़ शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ-साथ स्थानीय शिक्षार्थियों के लिए रुचि या उपयोग के अन्य विषय को रखा गया है ।
मंत्रालय के अनुसार, ‘‘ योजना को ऑनलाइन प्रारूप के माध्यम से स्वयंसेवा के माध्यम से लागू किया जाएगा। स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण, अभिविन्यास, कार्यशालाओं का आयोजन फेस-टू-फेस (आमने-सामने) मोड के माध्यम से किया जा सकता है।’’
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, स्कूल इस योजना के क्रियान्वयन की इकाई होगा। इसमें लाभार्थियों और स्वैच्छिक शिक्षकों (वीटी) का सर्वेक्षण करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्कूल भी होंगे ।
इसके तहत साक्षरता में प्राथमिकता और पूर्ण साक्षरता पहल में 15-35 आयु वर्ग को पहले पूर्ण रुप से साक्षर किया जाएगा और उसके बाद 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को साक्षर किया जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार, इस कार्यक्रम में लड़कियों और महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी /अल्पसंख्यकों, विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों (दिव्यांगजन), हाशिए वाले/घुमंतू /निर्माण श्रमिकों/ मजदूरों/आदि श्रेणियों को प्राथमिकता दी जाएगी ।
बयान के अनुसार, इसमें सभी आकांक्षी जिलों, राष्ट्रीय/राज्य औसत से कम साक्षरता दर वाले जिलों, 2011 की जनगणना के अनुसार 60 प्रतिशत से कम महिला साक्षरता दर वाले जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अल्पसंख्यक की अधिक जनसंख्या, शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों/ब्लॉकों पर ध्यान दिया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, इसमें यूडीआईएसई के तहत पंजीकृत लगभग 7 लाख स्कूलों के तीन करोड़ छात्र / बच्चों के साथ-साथ सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के लगभग 50 लाख शिक्षक स्वयंसेवक के रूप में भाग लेंगे। इसमें शिक्षक शिक्षा और उच्च शिक्षा संस्थानों के अनुमानित 20 लाख छात्र स्वयंसेवक के रूप में सक्रिय रूप से शामिल किए जाएंगे।
इसके अलावा पंचायती राज संस्थाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और नेहरू युवा केंद्र संगठन, एनएसएस और एनसीसी के लगभग 50 लाख स्वयंसेवकों से सहायता प्राप्त की जाएगी।
मंत्रालय के अनुसार, 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में गैर-साक्ष्यों की कुल संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिला 16.68 करोड़) है।
2009-10 से 2017-18 के दौरान साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत साक्षर के रूप में प्रमाणित व्यक्तियों की 7.64 करोड़ की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में भारत में लगभग 18.12 करोड़ वयस्क अभी भी गैर-साक्षर हैं।
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