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गुरूवार, 19 जून, 2025
होमदेशसरकार ने ‘सिकल सेल’ रोग के इलाज के लिए नयी दवा के वास्ते 10 करोड़ रुपये के पुरस्कार की घोषणा की

सरकार ने ‘सिकल सेल’ रोग के इलाज के लिए नयी दवा के वास्ते 10 करोड़ रुपये के पुरस्कार की घोषणा की

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नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को ‘सिकल सेल’ रोग के इलाज के लिए दवा विकसित करने के वास्ते 10 करोड़ रुपये के पुरस्कार की घोषणा की।

यह बीमारी भारत की जनजातीय आबादी को विशेष तौर पर प्रभावित करती है।

‘सिकल सेल’ रोग वंशानुगत रक्त विकारों का एक समूह है, जो हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है, जिससे लाल रक्त कोशिकाएं सिकल (हंसिया) के आकार की हो जाती हैं और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देती हैं, जिससे स्ट्रोक, आंखों की समस्याएं और संक्रमण जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक इस बीमारी को खत्म करने के उद्देश्य से एक जुलाई, 2023 को राष्ट्रीय ‘सिकल सेल एनीमिया’ उन्मूलन मिशन की शुरुआत की थी। सरकार का लक्ष्य इस मिशन के तहत 40 वर्ष तक की आयु के सात करोड़ लोगों की जांच करना है।

केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने ‘विश्व सिकल सेल दिवस’ के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रोग के इलाज के लिए दवा विकसित करने के वास्ते बिरसा मुंडा पुरस्कार की स्थापना की घोषणा की।

मंत्री ने कहा कि इस बीमारी के इलाज के लिए अभी केवल एक ही दवा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रोगी की शारीरिक स्थिति और बीमारी की गंभीरता के आधार पर कई विकल्पों में से उपयुक्त दवा चुनने का कोई विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा कि गर्भावस्था या अन्य गंभीर चिकित्सा स्थितियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है, इसलिए एक नयी दवा विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है।

जनजातीय मामलों का मंत्रालय दवा विकसित करने के लिए दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सहयोग से एक प्रतियोगिता आयोजित करेगा।

उइके ने कहा कि चयनित प्रस्ताव को 10 करोड़ रुपये तक का वित्त पोषण किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय एम्स-दिल्ली के तहत जनजातीय स्वास्थ्य और अनुसंधान संस्थान के लिए एक केंद्र स्थापित करेगा, जिसमें आदिवासी लोगों को उच्चतम गुणवत्ता वाली चिकित्सा प्रदान करने के वास्ते बाह्य रोगी और आंतरिक रोगी सुविधाएं भी होंगी।

मंत्री ने कहा कि आदिवासी चिकित्सा में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी तैयार किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इससे जनजातीय समुदायों की दीर्घकालिक स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने में मदद मिलेगी, जो अक्सर भौगोलिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और प्रणालीगत बाधाओं के कारण वंचित रह जाते हैं।

इस विशेष पाठ्यक्रम को जनजातीय परिवेश के अनुरूप प्रासंगिक ज्ञान, नैदानिक ​​कौशल और सार्वजनिक स्वास्थ्य दक्षताओं के साथ चिकित्सकों का एक कैडर विकसित करने के लिए डिजाइन किया जाएगा।

भाषा सुरेश अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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