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Thursday, 19 December, 2024
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आयकर कर्मचारी का जागा राष्ट्रवाद, चीन में बनी पानी की बोतलों का किया विरोध

अहमदाबाद के एक आयकर अधिकारी ने चीन को संकीर्णतावादी बताते हुए चीनी बोतलों को भारत में बनी पानी की बोतलों से बदलने के लिए पत्र लिखा है.

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बेंगलुरु: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पेट प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ योजना का प्रभाव भारत में भले न पड़ा हो लेकिन अहमदाबाद के आयकर विभाग में काम करने वाले कर्मचारी के लिए यह भावनात्मक मुद्दा बन गया. इस मुद्दे से वे इतना परेशान हुए कि उन्होंने अपने विभाग के अधिकारियों को एक पत्र लिख दिया.

आयकर विभाग अपने कर्मचारियों को ऑफिस में काम आने वाली ग्लास और नैपकिन जैसी चीजें मुहैया करा रही है. इनमें से एक है ‘बोरोसिल हायड्रा’ नामक पानी की बोतल जिसे चीन से मंगाया गया है.

इससे नाराज एक सीनियर आयकर अधिकारी ने अपने विभाग को एक पत्र लिखा है, जिसमें उसने चीन की पानी की बोतल पर नाराजगी जताई है. उसने लिखा है कि भारतीय बोतल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अपने पत्र में उसने इस बात पर भी जोर दिया है कि चीन कैसे भारत के बाजार को ‘बर्बाद’ कर रहा है.

अपने पत्र में वे लिखते हैं, ‘जैसा कि हम जानते हैं चीन एक आत्ममुग्ध और शोषक देश है और वह भारत की अर्थव्यवस्था और उसके व्यापक हित को लेकर चिंतित नहीं है. वह न केवल हमारे बारे में एकदम नकारात्मक है, बल्कि भारत के बाजार को तबाह कर रहा है और हमारा कीमती पैसा देश से ले जा रहा है, जिसके चलते वह अपनी अति महत्वाकांक्षी और अतिव्यापी परियोजनाओं को धन मुहैया करा रहा है, जो किसी भी तरह से हमारे देश के लिए अनुकूल नहीं है.

लिहाजा, देश के दूरदर्शी हित को देखते हुए ‘चीनी पानी की बोतल को भारतीय बोतल से बदला जाए.

बाजार में चीनी सामानों की भरमार

अगर ध्यान दें तो चीन भारतीय बाजार में अपने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस, खिलौनों, पानी की बोतलों, पेंसिल बॉक्सों और गर्म कपड़ों से लेकर काफी सस्ते सामानों की भरमार दिखाई देती है.

2017-18 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 89.6 बिलियन हो गया है, लेकिन यह चीन के पक्ष में जा रहा है. हालांकि, ताजा वित्तीय वर्ष में अप्रैल-अक्तूबर में चीन से आयात पिछले साल की तुलना में दो फीसदी की गिरावट आई है.

एक व्यापार विशेषज्ञ ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि, ‘यह संभवतः अमेरिका-चीन के व्यापार झगड़े के कारण हुआ है, लेकिन भारत को सतर्क होने की जरूरत है.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे)

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