कासगंज/फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश पुलिस के सब-इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए राम सनेही राजपूत कहते हैं, “सब ढकोसला है और दुनिया लकीर की फकीर है.” वे याद करते हैं कि कैसे उनके एक सीनियर सूरजपाल जाटव पर एक बार एक मृत 16-वर्षीय लड़की को ‘पुनर्जीवित’ करने का प्रयास करने के लिए मामला दर्ज किया गया था और उन्होंने अपने इर्द-गिर्द एक पंथ खड़ा कर लिया था.
राजपूत को वो वक्त भी याद है जब वे और जाटव 1993 में कानपुर देहात जिले में सब-इंस्पेक्टर तैनात थे. राजपूत ने दिप्रिंट को बताया, “पहले तो वे सामान्य थे, लेकिन बाद में उनका व्यवहार बदल गया. 2000 के दशक में यूपी पुलिस छोड़ने के बाद, वे एक बार मेरे पास आए और मुझसे कहा कि वे लोगों का धर्म परिवर्तन शुरू करने जा रहे हैं. मैंने उनसे कहा कि मैं आपका विरोध नहीं करूंगा, लेकिन आपका समर्थन भी नहीं करूंगा.”
दो जुलाई को हाथरस में जाटव के धार्मिक समागम के दौरान भगदड़ मचने से 123 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जिनमें 100 से ज़्यादा महिलाएं शामिल थीं. इस मामले की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी, जिसने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
जाटव द्वारा बनाया गया श्री नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट कथित तौर पर पूरे भारत में लगभग 24 आश्रम चलाता है.
कासगंज के पटियाली क्षेत्र के चक गांव में अपने घर के बाहर चारपाई पर बैठे राजपूत कहते हैं कि सूरजपाल जाटव “आगरा में कोर्ट मोहरिर (क्लर्क) थे, फिर इटावा में सिविल पुलिस में और बाद में स्थानीय खुफिया इकाई में स्थानांतरित हो गए थे”.
जाटव के पिता नन्हे सिंह जाटव एक हिस्ट्रीशीटर थे. उन्होंने कहा, हालांकि, पटियाली पुलिस का दावा है कि उनके पास इसकी पुष्टि करने वाले पुराने रिकॉर्ड नहीं हैं.
राजपूत के अनुसार, पड़ोसी बहादुर नगर गांव में आश्रम, जहां जाटव — जिन्होंने इस समय ‘भोले बाबा’ का नाम अपनाया था — और उनके भक्त नियमित रूप से सभाएं करते थे, 1997 के आसपास बनाया गया था.
राजपूत के घर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर पूर्व सब-इंस्पेक्टर भगवान सिंह का परिवार रहता है, जिनके बेटे को आश्रम में जाटव की जयंती समारोह देखना याद है. हर साल, भोले बाबा के भक्त 15 अगस्त को उनकी जयंती के रूप में मनाते हैं.
बेटे ने कहा, “पहले हम भी उनकी सभाओं में जाते थे. 2000 के दशक में, जब मैं छठी कक्षा में था, मैंने एक बार उनके आस-पास बहुत से लोगों को इकट्ठा होते देखा. उन्हें दूध से नहलाया जा रहा था और उसी दूध से खीर बनाई गई थी जिसे यहां के ग्रामीणों में बांटा गया था. मैं फिर कभी वहां नहीं गया.”
राजपूत ने बताया कि आश्रम में दिन-रात सत्संग चलता रहता था, जब तक कि यौन उत्पीड़न की खबरें नहीं आने लगीं. उन्होंने कहा, “बहुत सारी महिलाएं उनके सत्संग में आती थीं. पहले, सत्संग दिन-रात चलता था, लेकिन धीरे-धीरे भक्तों ने रात में इकट्ठा होना बंद कर दिया क्योंकि महिलाओं के यौन उत्पीड़न की खबरें आने लगी थीं. स्थानीय थाने में शायद ही कभी शिकायत दर्ज की गई होगी.”
उन्होंने यह भी बताया कि युवा लड़कियों और महिलाओं का जाटव के इर्द-गिर्द “उसकी सेवा करना, उसकी मालिश करना” एक आम दृश्य था.
भगवान सिंह के बेटे ने बताया कि जाटव और उसका परिवार गांव में रह रहा था और 2013 में बलात्कार के दोषी और धर्मगुरु आसाराम बापू की गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस द्वारा उसके परिसर पर छापेमारी शुरू करने के बाद ही वे वहां से गए.
बेटे ने बताया, “आसाराम बापू की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उसके (जाटव) बारे में भी जानकारी जुटानी शुरू कर दी. वो इलाके से भाग गया और कभी वापस नहीं लौटा.”
जाटव का सबसे छोटा भाई अभी भी बहादुर नगर में आश्रम के पीछे एक मंजिला मकान में रहता है.
जब दिप्रिंट ने इस इलाके का दौरा किया, तो उनकी बेटी आरती ने कहा कि परिवार का जाटव से कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने कहा, “मेरे पिता छह भाइयों में सबसे छोटे हैं जबकि भोले बाबा छह भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं. हमारा उनसे कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कई सभाओं में कहा है कि उनका कोई रिश्तेदार नहीं है.”
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मुर्दा को ज़िंदा करना और हैंडपंप से ‘ठीक’ करना
बहादुर नगर से करीब 100 किलोमीटर दूर, एनएच-19 के किनारे, फिरोजाबाद के टूंडला इलाके में जलसा रिसॉर्ट है. इसके मालिक सेवानिवृत्त यूपी पुलिस इंस्पेक्टर तेजवीर सिंह यादव हैं, जिन्होंने मार्च 2000 में सूरजपाल जाटव को गिरफ्तार किया था.
यादव को याद है कि वे आगरा के शाहगंज में एक श्मशान घाट पर पुलिसकर्मियों की एक टीम को ले जा रहे थे, जहां उस समय वे तैनात थे. “हमें सूचना मिली कि एक बाबा लगभग 16-17 साल की मृत लड़की को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा था. जब हम मौके पर पहुंचे तो हमने देखा कि शव के साथ बैठे बाबा के साथ 300-400 भक्त थे. वे ‘एक आकार, एक निराकार’ का जाप कर रहे थे. उनका दावा था कि लड़की उठकर दूध पीना शुरू कर देगी.”
यादव ने कहा कि पुलिस द्वारा उन्हें समझाने के बावजूद, जाटव वहीं रहे और बाद में उनके भक्तों ने पुलिस पर हमला कर दिया, यहां तक कि पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “अन्य पुलिस थानों से बल (बैकअप) बुलाना पड़ा और हमने बाबा के साथ पांच-छह लोगों को जेल भेजा.”
यादव के अनुसार, हालांकि, भोले बाबा और उनके “अप्रोच” की बदौलत मामले की फिर से जांच के आदेश दिए गए.
जाटव, उनकी पत्नी और समर्थकों सहित छह लोगों के खिलाफ आगरा के शाहगंज पुलिस स्टेशन में ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 2 (सी) और 7 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 109 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
जैसा कि यादव बताते हैं, मामले की जांच एक सब-इंस्पेक्टर द्वारा की जा रही थी, जिसने जाटव का नाम लेकर चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन फिर से जांच का आदेश दिया गया और मामला एक सर्कल ऑफिसर रैंक के अधिकारी को सौंप दिया गया, जिन्होंने मामले में अंतिम रिपोर्ट (क्लोजर रिपोर्ट का अग्रदूत) दायर की. यादव ने दुख जताते हुए कहा, “उन्होंने पुलिस द्वारा दर्ज किए गए एक मामले में एफआर (अंतिम रिपोर्ट) दर्ज की, जिसमें उनके अपने बल पर हमला किया गया था. उन्हें एफआर दर्ज नहीं करानी चाहिए थी.”
शाहगंज के केदार नगर से तत्कालीन भाजपा पार्षद हेमा परिहार को याद है कि कैसे 18 मार्च, 2000 को कुछ लोग उनके दरवाजे पर पहुंचे और उन्हें स्थानीय श्मशान घाट पर चल रही घटना के बारे में बताया. भोले बाबा को तांत्रिक कहने वाले परिहार ने ही पुलिस को सूचना दी थी.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “उनके अपने कोई बच्चे नहीं थे. मुझे बताया गया कि उन्होंने अपने साले की बेटी को गोद लिया और उसे मार डाला क्योंकि वह उस पर सिद्धि (तांत्रिक क्रिया) करने की कोशिश कर रहा था. उसने कुछ तांत्रिक क्रिया करने के लिए उसका कलेजा निकालने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा. उसकी मौत के बाद, उसने शव को दो दिनों तक अपने घर पर रखा और बाद में उसे श्मशान घाट ले आया, जहां वो उसे पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा था. जब मैंने इसका विरोध किया, तो उसके भक्तों ने मुझे बताया कि बाबा सिद्धि कर रहा था और उसे पुनर्जीवित कर देगा. उसने मौके से भागने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे भागने नहीं दिया और पुलिस को बुलाया.”
परिहार ने बताया कि कुछ दिनों बाद भोले बाबा के भक्त उनके पास एक संदेश लेकर आए — वो उनसे उनके आश्रम के अलावा किसी अन्य स्थान पर मिलना चाहते थे, जो उस समय तक बंद हो चुका था, ताकि उनका “सम्मान” किया जा सके, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
लेकिन परिहार के लिए भोले बाबा की छाया से बच पाना आसान नहीं रहा. उनके घर से बमुश्किल 200 मीटर की दूरी पर संगमरमर के फर्श और टाइल की दीवारों वाली एक दो मंजिला इमारत है. यह इमारत भोले बाबा की है और पड़ोसियों का कहना है कि हाल के वर्षों में इसमें और मंजिलें जोड़ी गई हैं, जो उनके भक्तों के दान की बदौलत संभव हो पाई हैं, जो बंद दरवाजे के सामने अपना सम्मान प्रकट करने के लिए यहां आते रहते हैं. ऐसी ही एक भक्त 60 साल की चंद्रावती देवी थीं, जिन्होंने घर के बंद दरवाजे के सामने माथा टेका, जिसके बाद उन्होंने अपने नंगे हाथों से दरवाजे की चौखट साफ करना शुरू कर दिया.
जब उनसे पूछा गया कि उन्हें भोले बाबा पर किस बात का भरोसा है, तो उन्होंने कहा: “मुझे पेट से जुड़ी समस्या थी जो ठीक हो गई थी.”
परिहार बताती हैं कि जाटव ने अपने घर के अंदर एक हैंडपंप लगाया था और दावा करता था कि इसके पानी से कैंसर सहित सभी बीमारियां ठीक हो सकती हैं.
राजपूत, जिनका पहले उल्लेख किया गया है, पुष्टि करते हैं कि जाटव लोगों को कई तरह की बीमारियों, यहां तक कि कैंसर से भी ठीक करने का दावा करता था. उन्होंने पूछा, “क्या इस तरह से किसी व्यक्ति को कैंसर से ठीक करना संभव है?”
‘चमत्कारी चरण राज’
इस महीने की शुरुआत में हुई जानलेवा भगदड़ के बावजूद, उनके कई भक्तों के लिए भोले बाबा भगवान के अवतार हैं. स्वयंभू बाबा के कभी-कभार ही उनके बहादुर नगर स्थित आश्रम में आने के बावजूद लोग आज भी उनके पास आते हैं.
बदायूं के निवासी गुड्डू, जो हर साल 14 जुलाई को आयोजित होने वाले ‘प्राकट्य दिवस’ के लिए आश्रम में आए थे, बताते हैं, “वे (जाटव) पूर्ण ब्रह्म हैं. उनका न तो कोई आरंभ है और न ही कोई अंत.”
हाथरस के मुरसान क्षेत्र के नगला बाबू गांव की पप्पी देवी भी दावा करती हैं कि भोले बाबा कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि भगवान के अवतार हैं. वे पिछले 18 सालों से उनकी भक्त हैं.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “वे (जाटव) नश्वर नहीं हैं. मैं बहुत बीमार रहती थी. मुझे एसिडिटी और पेट संबंधी समस्याएं होती थीं, लेकिन आज भोले बाबा की बदौलत मैं ठीक हूं. मैं प्रभु के चरणों में एक छोटी सी सेवादार हूं और मरते दम तक उनकी सेवा करती रहूंगी. मेरे दोनों बेटों को क्रमशः यूपी पुलिस और दिल्ली पुलिस में नौकरी मिल गई है.” उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अपनी पड़ोसी लता देवी को भी भोले बाबा से मिलवाया था.
लता देवी का दावा है कि स्वयंभू बाबा की भक्त बनने से पहले उनकी तीन भैंसें चली गई थीं और उनकी बेटी पर “भूत सवार था”.
उन्होंने कहा, “मेरी बेटी भूत के चंगुल से मुक्त हो गई है. अब हमने उसकी शादी करवा दी है.”
पप्पी देवी का दावा है, “मुझे पता है कि राजस्थान (आश्रम) में अगर लोग उनके (जाटवों के) चरण रज को इकट्ठा करके अपने शरीर पर लगाते हैं, तो उनका स्वास्थ्य बेहतर हो जाता है.”
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सीसीटीवी कैमरे, ‘गोपिकाएं’ और ‘माताश्री’
फिरोजाबाद के टूंडला के बसई गांव में बैनीवाल गार्डन के मालिक देवेंद्र बैनीवाल के पास भी भोले बाबा के बारे में कई कहानियां हैं. भोले बाबा से उनकी पहली मुलाकात 2015 में हुई थी, जब उनके रिसॉर्ट से कुछ ही दूरी पर एक प्लॉट पर एक समागम हो रहा था. वे बताते हैं कि उनके भक्तों ने उनसे भोले बाबा और उनके सहयोगियों के लिए कमरे मांगे थे. “उन्होंने कहा कि वे जाटव हैं और इतना खर्चा नहीं उठा सकते और उन्होंने मुझसे कुछ कमरे देने को कहा. मैंने इसे दान समझा और मान गया.”
हालांकि, बैनीवाल का आरोप है कि भोले बाबा के भक्तों ने रिसॉर्ट पर “कब्ज़ा कर लिया” और उन्हें और उनके छोटे भाई को परिसर में घुसने से भी रोक दिया.
बैनीवाल ने दिप्रिंट को बताया, “जैसे ही उनके भक्त अंदर दाखिल हुए, उन्होंने इलाके पर कब्ज़ा कर लिया और सबसे पहला काम उन्होंने सीसीटीवी कैमरे हटाने का किया. मेरी मना करना बेकार था. उनमें से कुछ ने कहा कि वे बाबा के सहयोगियों के लिए शौचालय और कुछ कमरे बनाना चाहते हैं. उन्होंने रातों-रात तीन कमरे बना दिए. बाबा के ठहरने के दौरान हमें परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी. उनके काफिले में एंडेवर, फॉर्च्यूनर, इनोवा गाड़ियां थीं. जब भी बाबा अपनी कार में बैठते या बाहर निकलते, तो काफिले के चारों ओर पर्दा लगा होता था.”
उन्हें रिसॉर्ट के लॉन में आयोजित एक समागम को देखना भी याद है.
उन्होंने याद किया, “हमारे रिसॉर्ट में ठहरने के दौरान, हमारे लॉन में एक समागम का आयोजन किया गया था. मैंने देखा कि 17-25 वर्ष की युवा लड़कियां लहंगे में सजी-धजी और गोपिकाओं की वेशभूषा में आईं, उन्होंने भजनों पर नृत्य किया और जब बाबा वहां से चले गए, तो मैंने उन्हें रोते और चिल्लाते हुए देखा, जैसे कि उन्होंने किसी को खो दिया हो. वे हैरान थे और उनमें से कुछ तो इस हाथापाई में घायल भी हो गए, क्योंकि वे चिल्लाते हुए उनके पीछे भाग रहे थे. कुछ के हाथ में चोटें आईं, कुछ के सिर में. यह हैरान करने वाला था.”
बैनीवाल का दावा है कि भोले बाबा के पुरुष भक्त स्वयंभू बाबा के कमरे से कुछ दूरी बनाए रखते थे, लेकिन उन्होंने देखा कि महिला भक्त कमरे को घेर लेती थीं और बाकी भक्तों को संदेश देती थीं. उन्होंने कहा, “महिलाएं काले कपड़े पहने हुए थीं और उनमें से एक अपने साथ वॉकी-टॉकी लेकर चलती थीं. वो बाबा के निर्देश और संदेश देती थी.”
उन्होंने आगे कहा कि बाबा के सहयोगियों ने उनके कमरे के अंदर एक अस्थायी रसोई बनाई थी.
उन्होंने बताया, “इससे कमरे के अंदर रिसाव हो गया था, जिसके बारे में मुझे पता चला, लेकिन मुझे अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई. अब भी, फर्श पर निशान हैं. उसके बाद हमने कई बार अनुरोध करने के बावजूद उन्हें रहने के लिए अपना रिसॉर्ट नहीं दिया.”
बैनीवाल को सूरजपाल की पत्नी प्रेमवती उर्फ ‘माताश्री’ द्वारा भक्तों से मुलाकात करना भी याद है, जो बाबा की एक झलक पाने के लिए आते थे. उन्होंने कहा, “वो केवल उन्हीं लोगों से मिलती थीं जिनसे वे मिलना चाहती थीं. मैंने उन्हें उन लोगों को बुरी तरह डांटते देखा है जिनसे वे मिलना नहीं चाहती थीं.”
भोले बाबा और जाटव वोट
बसई गांव में रहने वाले स्वर्गीय हीरालाल का परिवार, जो कभी भोले बाबा के सत्संग की स्थानीय आयोजन समिति का प्रमुख था, का कहना है कि वे अब इसमें शामिल नहीं होते हैं.
उनके बेटे मनोज ने दिप्रिंट को बताया, “उन्होंने (पिता ने) अपना जीवन सत्संग के लिए समर्पित कर दिया. वे ईमानदार थे, इसलिए हमें समिति का प्रमुख बनने के लिए कहा जाता था, लेकिन, कुछ साल पहले, भोले बाबा ने समागम के लिए दान के बारे में कुछ ऐसा कहा जो मेरे पिता को पसंद नहीं आया. बाद में उन्हें दरकिनार कर दिया गया और उपेंद्र यादव जैसे अन्य लोगों ने आयोजन समिति को संभाल लिया.”
यादव हाथरस भगदड़ के बाद यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए स्वयंभू बाबा के सात भक्तों में से एक है.
मनोज ने कहा, “मैं उसके संपर्क में नहीं रहा हूं, लेकिन मैं कह सकता हूं कि वो प्रॉपर्टी डीलिंग में शामिल था और भोले बाबा का बहुत करीबी था. वो शिकोहाबाद का रहने वाला है और उसने कई गरीब लोगों का शोषण किया है. उपेंद्र ने पिछले कुछ सालों में कई समागम आयोजित किए हैं.”
फिरोजाबाद आयोजन समिति के एक करीबी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि बसई गांव में जिस ज़मीन पर भोले बाबा के समागम होते थे, वह या तो स्थानीय व्यवसायी देवी चरण अग्रवाल की थी या फिर टूंडला नगर पालिका के चेयरमैन भंवर सिंह की. सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “भंवर सिंह और आगरा के एक अन्य राजनेता भीकम सिंह समागमों के आयोजन में मदद करते थे.”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य भंवर सिंह ने कुछ साल पहले समागम के लिए जगह देने की बात स्वीकार की.
भोले बाबा के राजनीतिक संबंधों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “जाटव उनका अनुसरण करते हैं और उनकी बात सुनते हैं. राजनेता उनसे मिलने आते हैं. उनके पीछे बहुत भीड़ होती है, लोग भेड़चाल वाले होते हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में जाटव और बघेल वोट सबसे ज्यादा हैं. पूर्व विधायक और मंत्री अशोक यादव ने उनकी कई समागम आयोजित किए हैं. बाद में उन्होंने भोले बाबा का एक वीडियो बनाया जिसमें पैसे का लेन-देन दिखाया गया था. तब से बाबा ने अपने आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरे हटवाना शुरू कर दिया.”
राजनाथ सिंह सरकार में पर्यटन मंत्री अशोक यादव को 2001 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बर्खास्त कर दिया था और बाद में उन पर बलात्कार, जबरन वसूली, मारपीट और लूटपाट के अलावा अन्य आरोप लगाए गए थे.
भोले बाबा के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि वे पैसे नहीं लेते, भंवर सिंह ने कहा कि लोग स्वयंभू बाबा को दान देते हैं.
तेजवीर सिंह यादव, जिनका पहले उल्लेख किया गया है, ने कहा, पहले जहां केवल दलित, खासकर जाटव समुदाय के लोग ही बाबा के समागमों में हिस्सा लेते थे, वहीं अब यादव भी इसमें हिस्सा लेने लगे हैं.
यादव ने कहा, “जो लोग उनसे मिलने आते हैं, वे ज्यादातर अशिक्षित होते हैं. दलित समुदाय के लोग, खास तौर पर उनके अनुयायी होते हैं. राजनेता अपने वोट बैंक के पीछे होते हैं. नेता उनसे मिलने आते हैं. महिलाएं उनकी बहुत भक्त हैं.”
जुलाई के मध्य में जब दिप्रिंट ने बहादुर नगर में भोले बाबा के भक्तों के आश्रम में जाना शुरू किया तो वहां भी बड़ी संख्या में लोग “प्राकट्य दिवस” मनाने के लिए उमड़ पड़े. गुलाबी रंग के कपड़े पहने सेवादारों को उनका मार्गदर्शन करते देखा जा सकता था.
एटा के मलावन से अपने परिवार के साथ इस कार्यक्रम में आए किराना स्टोर के मालिक मुकेश बाबू ने इस रिपोर्टर को सलाह दी कि “आपको भी उनका मंत्र पढ़ना चाहिए. इससे आपकी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.”
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