कोलकाता/नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि देवी काली का आशीर्वाद हमेशा देश के साथ है, जो दुनिया के कल्याण के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश के संत हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के लिए खड़े रहते हैं।
रामकृष्ण मिशन के पूर्व प्रमुख स्वामी आत्मस्थानंद के शताब्दी जंयती समारोह के अवसर पर जारी वीडियो संदेश में मोदी ने कहा कि इसी विचार से रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी जुड़ी हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस, एक ऐसे संत थे, जिनकी मां काली के बारे में स्पष्ट दृष्टि थी और उनका मानना था कि ये सम्पूर्ण जगत, मां की चेतना से व्याप्त है।
आत्मस्थानंद के साथ अपने जुड़ाव का उल्लेख करते हुए, मोदी ने कहा कि संत अक्सर मां काली का उल्लेख करते थे और बेलूर मठ की अपनी यात्रा के दौरान दक्षिणेश्वर में उनके मंदिर को देखते हुए देवी के साथ जुड़ाव महसूस करना उनके लिए स्वाभाविक था।
उन्होंने कहा कि देवी काली का आशीर्वाद हमेशा देश के साथ है, जो दुनिया के कल्याण के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री का यह भाषण हाल में एक विवाद की पृष्ठभूमि में आया है। उक्त विवाद तब उत्पन्न हुआ था, जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने हाल में कहा था कि उन्हें एक व्यक्ति के रूप में देवी काली की कल्पना मांस खाने वाली और शराब स्वीकार करने वाली देवी के रूप में करने का पूरा अधिकार है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का प्रार्थना करने का अपना अनूठा तरीका है।
मोइत्रा एक फिल्म के पोस्टर पर उत्पन्न विवाद के संबंध में एक सवाल का जवाब दे रही थीं। उक्त पोस्टर में देवी काली के वेशभूषा वाली एक महिला को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया था।
मोदी ने अपने भाषण में इस विषय का कोई जिक्र नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है। यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यही चेतना बंगाल और पूरे भारत की आस्था में दिखती है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘जब भी मुझे अवसर मिला, मैंने बेलूर मठ और (दक्षिणेश्वर) काली मंदिर (नदी के पार) का दौरा किया, तो एक संबंध महसूस करना स्वाभाविक है। जब आपकी आस्था और विश्वास शुद्ध होते हैं, तो शक्ति (देवी) स्वयं आपको रास्ता दिखाती हैं। मां काली की असीम कृपा सदैव भारत पर है। इस आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ देश विश्व कल्याण के लिए आगे बढ़ रहा है।’’
मानवता की सेवा के लिए रामकृष्ण मिशन की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि इसके संत देश में राष्ट्रीय एकता के दूत के रूप में जाने जाते हैं और विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनके हवाले से जारी एक बयान में कहा, ‘‘चाहे सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य रहे हों या आधुनिक काल के स्वामी विवेकानंद, भारत की संत परंपरा हमेशा ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के लिए खड़ी हुई है। रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के विचार से जुड़ी है।’’
आत्मस्थानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके साथ बिताए समय को याद किया और कहा कि यह उनका सौभाग्य रहा कि वह उनके निधन तक उनके संपर्क में रहे।
उन्होंने रेखांकित किया कि आत्मस्थानंद को दीक्षा स्वामी विजनानंद से मिली, जो रामकृष्ण परमहंस की परंपरा के थे। मोदी ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस की जागृत अवस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा स्पष्ट तौर पर उनमें दिखाई देती थी।
मोदी ने देश में त्याग की परंपरा के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि ‘संन्यास’ का अभिप्राय है स्वयं से ऊपर उठकर समाज के लिए कार्य करना और समाज के लिए जीना।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विवेकानंद ने संन्यास की महान परंपरा को आधुनिक रूप दिया और आत्मस्थानंद ने इस परंपरा को जिया तथा अपने जीवन में लागू किया।
मोदी ने कहा कि भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल और बांग्लादेश में भी बृहद पैमाने पर बेलूर मठ और रामकृष्ण मिशन द्वारा राहत और बचाव कार्य किए गए। उन्होंने कहा कि वह गरीबों की सेवा और ज्ञान के प्रसार के बारे में सोचते थे और इसके लिए किए जाने वाले कार्य को पूजा की तरह मानते थे।
मोदी ने कहा, ‘‘सभी जानते हैं कि रामकृष्ण मिशन के संत राष्ट्रीय एकता के वाहक हैं और जब वह विदेश जाते थे तो भारतीयता का प्रतिनिधित्व करते थे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस एक संत थे, जिनका देवी काली को लेकर स्पष्ट विचार था और उन्होंने अपना सबकुछ उनके चरणों में समर्पित कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे ऋषियों ने हमें दिखाया है कि जब हमारे विचार व्यापक होते हैं, तो हम अपने प्रयासों में कभी अकेले नहीं होते हैं। आप देखेंगे कि भारत के ऐसे कई संतों ने शून्य संसाधनों के साथ संकल्प पूरे किए हैं। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता एक उदाहरण है जिस संकल्प को देश ने पूरा किया क्योंकि दृढ़ विश्वास था। बहुत से लोगों को विश्वास नहीं था कि यह सफल हो सकता है।’’
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों को कोविड टीकों की 200 करोड़ खुराक देने की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत हर जिले में 75 ‘अमृत सरोवर’ बनाए जा रहे हैं। उन्होंने सभी से लोगों को प्रेरित करने और मानव सेवा के नेक कार्य में शामिल होने का आग्रह किया।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप
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