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शनिवार, 14 जून, 2025
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गोवा : गांव के बच्चे गणेश उत्सव के दौरान ‘घूमत आरती’ गाना सीख रहे

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(रूपेश सामंत)

पणजी, एक सितंबर (भाषा) निश नितेश नाइक अभी सिर्फ दो साल के हैं, लेकिन उनकी दिनचर्या में गोवा में उनके गांव के एक मंदिर में नियमित रूप से जाना शामिल है, जहां वह और अन्य बच्चे मिट्टी के बर्तन से बनने वाले वाद्ययंत्र ‘घूमत’ को बजाना सीख रहे हैं।

दक्षिण गोवा जिले के शिरोडा इलाके के तारवलेम गांव के ये बच्चे मोबाइल फोन गेम खेलने के बजाय, बुधवार से शुरू हुए 10 दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान विशेष रूप से गाए जाने वाले भक्ति गीतों के लोक स्वरूप ‘घूमत आरती’ सीख रहे हैं। कहा जा सकता है कि घूमत आरती लोक गीत में गाई जाने वाली आरती है। गोवा में खास तौर पर गणेशोत्सव के दौरान घूमत आरती गाई जाती है।

गांव के गायक और संगीतकार राहुल कृष्णानंद लोटलीकर ने इन बच्चों की संगीत प्रतिभा को निखारने और सम्मानित करने का बीड़ा उठाया है। ग्रामीण मयूर नाइक ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कैसे लोटलीकर ने अन्य स्थानीय लोगों के सहयोग से बच्चों को मोबाइल फोन पर गेम खेलने और सोशल मीडिया मंच पर रील बनाने में व्यस्त होने के बजाय घूमत जैसे वाद्ययंत्र बजाने में रुचि पैदा की है।

घूमत बजाना सीखने वाले बच्चों के समूह में मयूर का भतीजा निश सबसे छोटा है। मयूर ने कहा, ‘‘निश अभी दो साल का है। जब मैं घर पर बैठकर घूमत बजाता था तो उसने घूमत में दिलचस्पी दिखाई थी। इसलिए हमने उसे इन कक्षाओं से परिचित कराया और वह अब नियमित रूप से इसमें शमिल होता है।’’

तारावले में रत्नदीप कल्चरल एंड स्पोर्ट्स क्लब इस मिशन में लोटलीकर को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। करीब 30 साल के लोटलीकर ने कहा ‘‘ मुझे याद है कि कैसे मैं बचपन में अन्य बच्चों के साथ घूमत आरती गाता था, लेकिन पिछले एक दशक में यह परंपरा बंद हो गई।’’

उन्होंने कहा ‘‘दस साल पहले मैंने बच्चों का एक समूह बनाया जो घूमत आरती प्रतियोगिता में हिस्सा लेता था। लेकिन बड़े हो कर वह अन्य गतिविधियों में जुट गए। पांच छह साल बाद यह हालत हो गई कि गांव में किसी भी बच्चे ने घूमत आरती सीखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।’’

गांव के निवासी दीपक सावर्डेकर ने हाल ही में लोटलीकर से संपर्क कर बच्चों को घूमत आरती फिर से सिखाने का आयडिया दिया। लोटलीकर ने कहा ‘‘मैंने बच्चों को घूमत आरती सिखाना शुरू किया इस साल जून के दूसरे सप्ताह से। शुरू में केवल सात आठ बच्चे आए और आज 24 बच्चे घूमत आरती सीख रहे हैं। इनमें 12 लड़के और 12 लड़कियां हैं।’’

लोटलीकर ने बताया कि वह उन लड़कियों को प्रेरित करते हैं जो स्कूल में समूह में गाती हैं।

गांव की भरतनाट्यम शिक्षिका मानिला शिरोडकर ने बताया कि उनका 15 साल का बेटा समूह में घूमत वाद्य यंत्र बजा कर बहुत खुश होता है। उन्होंने कहा ‘‘दिन में स्कूल में वह संगीत की कक्षा में घूमत बजाता है और शाम को घूमत आरती की कक्षा में जाता है। इन बच्चों के लिए अब मोबाइल फोन पुरानी बात हो गई है।’’

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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