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Thursday, 11 December, 2025
होमदेशगोवा नाइटक्लब आग: थाईलैंड भागने की जल्दबाज़ी पर सवाल, पुलिस ने कहा—कोई बिज़नेस कारण नहीं

गोवा नाइटक्लब आग: थाईलैंड भागने की जल्दबाज़ी पर सवाल, पुलिस ने कहा—कोई बिज़नेस कारण नहीं

गोवा पुलिस ने दिल्ली कोर्ट में लूथरा ब्रदर्स की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया. दोनों ने उसी समय फुकेट के टिकट बुक किए जब उनका नाइटक्लब आग में जल रहा था और 25 लोग मारे गए.

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नई दिल्ली: गोवा के ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइटक्लब के मालिक, जहां आग में 25 लोगों की मौत हुई, का थाईलैंड में कोई बिज़नेस, कोई ऑफिस या कोई भी कमर्शियल एक्टिविटी नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें वहां जाना ज़रूरी था — यह बात गोवा पुलिस ने गुरुवार को दिल्ली कोर्ट को बताई.

पुलिस ने कहा कि आग लगने और उनके तुरंत देश छोड़ने का समय यह दिखाता है कि दोनों घटना की ज़िम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे थे.

इसके साथ ही, गोवा पुलिस ने दिल्ली-आधारित नाइटक्लब मालिक सौरभ और गौरव लूथरा की ट्रांज़िट अग्रिम ज़मानत याचिका का विरोध किया. दोनों भाई आग लगने के कुछ ही घंटों बाद सुबह-सुबह इंडिगो की फ्लाइट से थाईलैंड के फुकेट भाग गए थे.

6 दिसंबर की रात देर से लगे इस नाइटक्लब की आग में 25 लोगों की मौत हुई, जिनमें 20 कर्मचारी और 5 टूरिस्ट शामिल थे. घायलों का इलाज गोवा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में चल रहा है.

बुधवार को दिप्रिंट ने रिपोर्ट की थी कि आग की इमरजेंसी कॉल गोवा फायर डिपार्टमेंट को मिलने के सिर्फ 90 मिनट बाद ही लूथरा ब्रदर्स ने थाईलैंड के टिकट बुक कर लिए थे. नाइटक्लब नॉर्थ गोवा जिले के अर्पोरा गांव में चल रहा था.

थाई अधिकारियों ने 11 दिसंबर की सुबह लूथरा ब्रदर्स को इंटरपोल की ब्लू कॉर्नर नोटिस के आधार पर जो सीबीआई की जानकारी पर जारी किया गया था, हिरासत में लिया और उन्हें डिपोर्ट कर दिया.

सूत्र ने कहा, गोवा पुलिस के हलफनामे में कोर्ट को बताया गया कि, “आवेदक कहता है कि वह बिज़नेस के काम से थाईलैंड गया था, लेकिन आवेदक, उसकी LLP और उससे जुड़ी संस्थाओं का थाईलैंड में कोई बिज़नेस, कोई ऑपरेशनल ऑफिस और कोई कमर्शियल एक्टिविटी नहीं है.”

सूत्र के अनुसार, हलफनामे में यह भी कहा गया कि लूथरा ब्रदर्स ने MakeMyTrip पर टिकट बुक करने के लिए एक लाख रुपये चुकाए थे. पुलिस ने ट्रैवल एजेंसी और एयरलाइन से सारे सबूत हासिल कर लिए हैं.

सूत्र ने गोवा पुलिस के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा, “घटना के तुरंत बाद टिकट बुक करना साफ दिखाता है कि यात्रा का मकसद घटना के नतीजों से बचना था. आवेदक का यह व्यवहार जानबूझकर भागने की कोशिश है और जांच से बचने की नीयत दिखाता है.”

“बिज़नेस ट्रिप का झूठा दावा इस बात को और मजबूत करता है कि यह यात्रा असली वजह से नहीं, बल्कि कानूनी नतीजों से बचने के लिए की गई थी. मान लेते हैं बिना स्वीकार किए कि आवेदक के बिज़नेस मीटिंग या साइट इंस्पेक्शन थे, तो उन्हें पहले से टिकट बुक करनी चाहिए थी.”

इसमें आगे कहा गया, “यह तथ्य कि टिकट आग की घटना के बाद ही बुक किए गए और पहले से नहीं उनकी सफाई को पूरी तरह गलत बनाता है.”

गोवा पुलिस ने कोर्ट को यह भी बताया कि 8 दिसंबर को जब जांच अधिकारी दिल्ली में उनके घर पहुंचे, तो उनकी मां ने कहा कि उन्हें बेटों के बारे में कुछ नहीं पता. उनके वकीलों ने कोर्ट में भी यही बात दोहराई.

पुलिस ने कहा कि अभी तक की जांच से यह साबित हुआ है कि मालिकों को आग की जानकारी तुरंत मिल गई थी, इसलिए उनका “नैतिक और कानूनी कर्तव्य” था कि वे गोवा आते.

पुलिस के अनुसार, वे अधिकारियों के साथ सहयोग कर सकते थे और पीड़ितों व उनके परिवारों की मदद कर सकते थे, “लेकिन इसके बजाय, आवेदक ने देश छोड़ने का सबसे पहला मौका चुना.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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