पणजी, 27 जनवरी (भाषा) गोवा के राज्यपाल पी. एस. श्रीधरन पिल्लै ने सोमवार को 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी लीबिया लोबो सरदेसाई से मुलाकात की और कहा कि उन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिया जाना देश के प्रति उनके समर्पण के लिए एक यथोचित सम्मान है।
सरदेसाई ने 1955 में गोवा में तत्कालीन पुर्तगाली शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए एक जंगली इलाके में एक भूमिगत रेडियो स्टेशन – ‘वोज दा लिबरडेड’ (स्वतंत्रता की वाणी) की सह-स्थापना की थी।
राज्यपाल से मिली प्रशंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए सरदेसाई ने विनम्रतापूर्वक कहा कि उन्होंने कोई असाधारण प्रयास नहीं किया था बल्कि उन्हें जो सही लगा, वह किया।
रविवार को 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति ने उन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित करने का ऐलान किया।
जब 19 दिसंबर 1961 को गोवा आजाद हुआ, तो लीबिया लोबो सरदेसाई और उनके पति वामन सरदेसाई ने भारतीय वायुसेना के एक विमान में पणजी और गोवा के अन्य हिस्सों की यात्रा की, जिसमें एक रेडियो ट्रांसमीटर और एक लाउडस्पीकर लगा हुआ था।
उन्होंने पुर्तगाली और कोंकणी भाषा में घोषणाएं कीं और पर्चे बांटकर लोगों को बताया कि पुर्तगाली शासकों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और 451 वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद गोवा स्वतंत्र हो गया है।
राज्यपाल पिल्लै ने सोमवार को पणजी में सरदेसाई के घर जाकर उन्हें गोवा सरकार और केंद्र की ओर से बधाई दी तथा उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। आधे घंटे की मुलाकात के दौरान पिल्लै ने केंद्र सरकार द्वारा सरदेसाई को पुरस्कार दिये जाने पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि यह पुरस्कार राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण के लिए एक सच्ची मान्यता है।
राज्यपाल से मिली सराहना पर प्रतिक्रिया देते हुए सरदेसाई ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ असाधारण किया; मैंने तो बस वही किया जो मेरे सामने आया।”
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने जीवनकाल में, यहां तक कि इस स्तर पर भी, इस सौभाग्य के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं। भगवान की कृपा के बिना, यह सब संभव नहीं हो पाता।’
भाषा जोहेब मनीषा
मनीषा
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