गोवा के कांग्रेस के दो विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है और वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं. इससे भाजपा की 40 सदस्यीय विधानसभा में स्थिति मज़बूत हो जाएगी.
नई दिल्ली: कांग्रेस के सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपते ने अपना इस्तीफा गोवा विधानसभा के स्पीकर प्रमोद सावंत को सौंप दिया है. सावंत का कहना है कि दोनों ने अपनी मर्ज़ी से इस्तीफा दिया है और उनपर कोई दबाव नहीं है. उन्होंने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
गोवा में मुख्यमंत्री के खराब स्वास्थ्य के कारण भारतीय जनता पार्टी पर नेतृत्व परिवर्तन का दबाव था साथ ही सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस के सत्ता पर दावेदारी पेश करने का खतरा बना हुआ था. अब दोनों भाजपा और कांग्रेस के 14-14 विधायक हैं.
भाजपा के सहयोगी दल गोवा फारवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के तीन-तीन विधायक हैं.
दोनों नेताओं ने मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और पार्टी में शामिल होने की पुष्टि की. समाचार एजेंसी एएनआई को उन्होंने बताया कि कुछ और विधायक भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
गोवा में बहुमत न मिलने के बावजूद भाजपा ने क्षेत्रीय दलों के सहयोग से सरकार गठित कर ली थी पर सरकार के कामकाज का मनोहर पर्रिकर की बीमारी का बुरा असर हुआ था.
कांग्रेस का आरोप
आएएनएस का कहना है कि गोवा के लिए कांग्रेस कमेटी के प्रभारी सचिव चेल्लाकुमार ने कहा कि दोनों विधायकों को शाह ने धमकाया और गोवा की भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए राजी किया हो जो खुद बीमार चल रहे मनोहर पर्रिकर की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर निगाह बनाए हुए हैं.
उन्होंने कहा, “मुझे एक संदेश मिला है कि विश्वजीत राणे वह व्यक्ति हैं जिन्होंने उन्हें (दोनों विधायकों को) राजी किया और दिल्ली लेकर गए. उन्होंने भाजपा हाईकमान के साथ यह सौदेबाज़ी की कि अगर वह दो कांग्रेस विधायकों को भाजपा में शामिल करवा ले जाते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए.”
उन्होंने कहा कि धनबल और सरकारी मशीनरी के बल पर उन्होंने दोनों विधायकों को ले लिया.
कांग्रेस नेता ने भी आरोप लगाया कि भाजपा की लगातार धमकियों के कारण कांग्रेस विधायक डर के साये में थे.
वहीं, राणे ने कहा कि चेल्लाकुमार के बयान उनकी निराशा को दर्शा रहे हैं.