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Monday, 8 July, 2024
होमदेशदिल्ली की लड़की को मिला कोविड-19 से ठीक हो चुकी बहन का लिवर, पहली बार हुआ इस तरह का ट्रांसप्लांट

दिल्ली की लड़की को मिला कोविड-19 से ठीक हो चुकी बहन का लिवर, पहली बार हुआ इस तरह का ट्रांसप्लांट

मैक्स सुपर स्पेशिएलटी अस्पताल में 20 मई को हुई सर्जरी के बाद दोनों बहनें स्वास्थ्य लाभ कर रही है, डॉक्टरों की राय में भविष्य में किसी तरह की परेशानी की आशंका नहीं है.

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नई दिल्ली : दिल्ली के एक अस्पताल में पिछले माह 13 साल की एक बच्ची का लिवर सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया, उसे शरीर का यह अहम अंग अपनी सगी बहन से मिला. लेकिन यह मामला अन्य लिवर ट्रांसप्लांट से एकदम जुदा था क्योंकि लिवर देने वाली बहन कुछ समय पहले ही कोविड संक्रमण से उबरी थी.

साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल, जहां 20 मई को यह ट्रांसप्लांट हुआ के डॉक्टरों के मुताबिक, यह संभवत:पहला ऐसा केस है जिसमें किसी को कोविड-19 से उबरे मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है.

लिवर दानकर्ता इसे ग्रहण करने वाली बच्ची की बड़ी बहन है जिसने सर्जरी के तीन हफ्ते पहले ही कोविड-19 को मात दी थी.

यह सर्जरी वैसे तो मार्च में ही होनी थी. लेकिन प्रक्रिया शुरू होने के दो दिन पहले ही ऑपरेशन पूर्व की नियमित जांच के दौरान डॉक्टरों को पता लगा कि बड़ी बहन कोविड-19 पॉजीटिव है. इससे सर्जरी की पूरी तैयारी धरी रह गई और डॉक्टर उलझनों में घिर गए.

मैक्स सेंटर फॉर लिवर एंड बिलिअरी साइंस के चेयरमैन डॉ. सुभाष गुप्ता, जिनकी निगरानी में यह सर्जरी हुई ने बताया कि बच्ची की हालत ऐसी थी कि सर्जरी को ज्यादा समय तक टाला नहीं जा सकता था और अन्य कोई डोनर मिलने की संभावना भी नहीं थी.

बच्ची करोली रोग से पीड़ित थी, यह दुर्लभ जन्मजात बीमारी पित्त वाहिनियां को प्रभावित करती है. ट्रांसप्लांट के करीब छह माह पहले से उसे बुखार आ रहा था और बार-बार संक्रमण हो जाता था. अन्य इलाज नाकाम रहने के बाद यह सर्जरी ही आखिरी विकल्प थी.

डॉ. गुप्ता ने बताया, कमजोरी के कारण वह एकदम निर्जीव हो गई थी. हमने फैसला किया कि डोनर को आइसोलेशन में रखकर इलाज करेंगे और हमने उसकी रिपोर्ट निगेटिव आने का इंतजार किया. हमने ट्रांसप्लांट से पहले पूरे पांच हफ्ते इंतजार किया.

बड़ी बहन तीन हफ्ते के बाद जांच में निगेटिव मिली और इसके बाद पूरी सावधानी बरतते हुए सर्जरी के लिए दो हफ्ते और इंतजार किया गया. कोविड-19 संक्रमण शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है और इसके दीर्घकालिक असर का पता लगाया जाना अभी बाकी है.

हालांकि, डॉ. गुप्ता ने यह कहते हुए आगे किसी तरह की परेशानी की संभावना से इनकार किया कि दानकर्ता के स्वास्थ्य की अच्छी तरह जांच की गई थी और वह कोविड -19 से पूरी तरह ठीक हो चुकी थी. कोविड-19 जांच के अलावा उसके सीने का सीटी स्कैन भी कराया गया था ताकि पता लगाया जा सके कि ऊतकों को कोई क्षति तो नहीं हुई है और उसे एकदम ठीक पाया गया.

डॉ. गुप्ता ने बताया, इस सर्जरी में एक बड़ी परेशानी यह आई कि दोनों बहनों का ब्लड ग्रुप अलग-अलग था. ऐसे में सर्जरी की प्रक्रिया शुरू करने से पहले बच्ची की प्रतिरोधक क्षमता नीचे लानी थी, जिसकी वजह से बेहद सीमित समय में सर्जरी पूरी करनी थी. हमने बहुत ज्यादा सावधानी बरती और सर्जरी सफल रही. दोनों मरीज अभी स्वस्थ हैं.

दोनों बहनें स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं और अभी कम से कम तीन दिन और अस्पताल में रहेंगी. डॉ. गुप्ता ने बताया कि दोनों को गहन निगरानी में रखा गया है और लिवर ट्रांसप्लांट के बाद अभी करीब एक साल तक नियमित तौर पर बच्ची के ब्लड टेस्ट की आवश्यकता होगी जब तक उसका शरीर नए अंग के अनुकूल न हो जाए.

कोविड डोनर पर क्या कहते हैं प्रमुख संस्थान

कोविड-19 के मरीजों में किसी अंग का ट्रांसप्लांट किए जाने और हाल में ट्रांसप्लांट कराने वाले किसी मरीज के नोवल कोरोनावायरस की चपेट में आने और उससे उबरने के मामले सामने आए हैं. यहां तक कि कोविड-19 से उबरे मरीजों को अपना ब्लड प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है. लेकिन ऐसे किसी मरीज द्वारा अंगदान करने के बारे में स्पष्ट रूप से कोई जानकारी नहीं है. एक तथ्य यह भी है कि कोविड से ठीक होने वाले मरीजों के अंग दानकर्ता बनने को लेकर कोई स्पष्ट प्रोटोकाल भी नहीं है.

डॉ. गुप्ता का कहना है, तमाम सारे लोग कोविड-19 पॉजीटिव पाए जा रहे हैं. यद्यिप सक्रिय केस में मरीज को अंगदान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. आमतौर पर यह सहमति है कि 3-4 हफ्तों के बाद ऐसा करना सुरक्षित है. उन्होंने दावा किया कि मैक्स की यह सर्जरी अपनी तरह का पहला मामला है.

बहरहाल, नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (एनओटीटीओ) की गाइडलाइन कहती है कि कोविड-19 पॉजीटिव रह चुके मरीजों को कम से कम 3-6 माह तक अंगदान नहीं करना चाहिए, जब तक कोविड-19 से उबरने वालों पर दीर्घकालिक असर के बारे में कुछ स्पष्ट न हो जाए.

गाइडलाइन में आगे कहा गया है, जीवन बचाने के लिए बेहद आवश्यक होने वाले ट्रांसप्लांट के बारे में हमारा सुझाव है कि पूर्व में कोविड-19 पीड़ित रह चुके दानकर्ता के दो टेस्ट नेगेटिव आने का पूरा ब्योरा होना चाहिए. कोई लक्षण नजर न आने की 28 दिन की अवधि पूरी होने के बाद अंगदान के समय एक और टेस्ट निगेटिव आना सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

दुनिया के कुछ प्रमुख प्रत्यारोपण संस्थान डॉक्टरों को कोविड-19 से उबरे लोगों को अंगदाता के तौर पर स्वीकारते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रांसप्लांटेशन का कहना है कि कोविड-19 पॉजीटिव पाए गए जीवित दानकर्ता को कम से कम 28 दिन लक्षण न दिखने और फिर सार्स कोव-2 पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने तक अंगदान टाल देना चाहिए. यदि दानकर्ता कोई मृत व्यक्ति है तो कोई लक्षण न पाए जाने के 28 या उससे ज्यादा दिन होने और उसके निगेटिव पाए जाने के बाद अंगदान सुरक्षित हो सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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