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Friday, 3 May, 2024
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गिलगित बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग, पाकिस्तान इसे तुरंत खाली करें- विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय द्वारा गिलगित बाल्टिस्तान में आम चुनाव कराए जाने की अनुमति के बाद कड़ी आपत्ति जताई है. साथ ही पाकिस्तान के राजनयिक को भी तलब किया है.

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नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर पाकिस्तान से कहा है जम्मू-कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है. भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि उसे उन सभी इलाकों को तुरंत खाली कर देना चाहिए जिनपर उसने अवैध कब्जा किया हुआ है.

विदेश मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय द्वारा गिलगित बाल्टिस्तान में आम चुनाव कराए जाने की अनुमति के बाद कड़ी आपत्ति जताई है. साथ ही पाकिस्तान के राजनयिक को भी तलब किया है.

विदेश मंत्रालय ने अपने जारी बयान में पाकिस्तान को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले पर भारत की स्थिति साल 1994 में संसद में पास हुए प्रस्ताव में नज़र आई थी जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया था.

भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों की ‘स्थिति में बदलाव’ लाने के प्रयासों के लिए पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज कराया और उससे उन्हें खाली करने को कहा.

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक को आपत्ति पत्र जारी किया और तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है.’

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बयान में कहा गया है, ‘यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि केंद्र शासित प्रदेश पूरा जम्मू- कश्मीर और लद्दाख जिसमें गिलगित और बाल्टिस्तान भी शामिल हैं, वह पूरी तरह से कानूनी और अपरिवर्तनीय विलय के तहत भारत का अभिन्न अंग हैं.’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार या उसकी न्यायपालिका को उन क्षेत्रों पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं हैं जो उसने ‘अवैध तरीके से और जबरन कब्जाए ‘ हुए हैं.

बयान में कहा गया है कि भारत इस तरह के कदमों को पूरी तरह से खारिज करता है और भारतीय जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों की स्थिति में बदलाव लाने के जारी प्रयासों पर आपत्ति जताता है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के हालिया कदम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों पर उसके ‘अवैध कब्जे’ को छुपा नहीं सकते हैं और न ही इस पर पर्दा डाल सकते हैं कि पिछले सात दशकों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, शोषण किया गया और उन्हें स्वतंत्रता से वंचित’ रखा गया.

बता दें कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को गिलगित बाल्टिस्तान के एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर कहा है कि प्रांतीय सरकार को यह निर्देश है कि वह गिलगित बाल्टिस्तान में चुनावों के लिए वह साल 2018 में आए आदेश में जरूरी बदलाव कर सूबे में कार्यकारी सरकार तैयार करे. वहीं 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यहां चुनाव कराने का आदेश दिया है जिसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया जारी की है.

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