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Friday, 15 November, 2024
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जर्मनी यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रूख का सम्मान करता है : राजदूत

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नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) जर्मन राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने शुक्रवार को कहा कि जर्मनी, यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रूख का सम्मान करता है और उसने कभी भी इस मसले पर भारत की आलोचना करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि हर देश को अपने हितों के हिसाब से अपना रूख तय करने का हक है।

यहां इंडियन वीमेन प्रेस कोर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए लिंडनर ने यह भी घोषणा कि यहां जर्मन राजदूत के रूप में उनकी यह जिम्मेदारी कुछ सप्ताहों में खत्म हो जाएगी और वह शीघ्र ही सेवानिवृत हो रहे हैं।

राजदूत ने कहा कि यूक्रेन युद्ध ने यूरोपीय संघ (ईयू)-भारत व्यापार समझौते की दिशा में काम करने के प्रयास को ‘काफी गति’ दी है , क्योंकि ‘हमें व्यापार जारी रखने के लिए साझेदारों की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि करीब पांच सप्ताह के अंदर जी-7 की बैठक होने वाली है जिसकी मेजबानी जर्मनी करेगा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उसमें आने का न्यौता दिया गया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

जब उनसे रूस-यू्क्रेन संघर्ष पर भारत के रूख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा प्रश्न अब नया तो रहा नहीं क्योंकि लड़ाई को अब तीन महीने हो गये हैं।

लिंडनर ने कहा, ‘‘ शुरुआत में प्रस्तावों को मंजूर करने पर जब संयुक्त राष्ट्र में बातचीत होती थी तब उम्मीद की जाती थी कि भारत ज्यादा स्पष्टता से रूसी आक्रमण की निंदा करेगा लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। लेकिन मैं सोचता हूं कि इससे हमारे रिश्ते को कभी नुकसान नहीं पहुंचा क्योंकि हमने ही नहीं बल्कि यूरोप में अन्य ने भी कहा कि हम भारत के रूख का सम्मान करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि दुनिया में हमारे देश के अपने हित, पड़ोस एवं निर्भरताएं हैं तथा हर देश को अपने हितों एवं क्षेत्रीय स्थिति के हिसाब से अपने रूख तय करने का हक है।

जर्मन राजदूत ने कहा, ‘‘ हमारा रुख शुरू से ही ये था कि भारत की आलोचना नहीं करनी है। हमारा अर्थ यह स्पष्ट करना था कि क्या दांव पर लगा है। इस मुद्दे पर हमारी राय भारत के समान है। यहां जो दांव पर लगा है, वह यह है कि यदि शांतिप्रिय पड़ोसी, स्वतंत्र, संप्रभु देश यूक्रेन पर (ब्लादिमीर) पुतिन के युद्ध जैसे नृशंस आक्रमण के मामले में सजा दिए बिना छोड़ दिया जाएगा तो अगला नंबर किसका है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ दुनिया में कई ऐसे देश है, जिनमें बड़े एवं भारत के पड़ोस के देश भी हैं, जिन्हें (सीमा विस्तार की), सीमा सुधार या सीमा विवाद (आप जो भी कहें) भूख हो सकती है, और वह सोचें कि हम भी बल प्रयोग करें क्योंकि पुतिन ने बल प्रयोग किया, तो हम भी ऐसा करें।’’

जब उनसे पूछा गया कि वह भारत से यूक्रेन संकट के समाधान के लिए किस भूमिका की आशा करते हैं तो लिंडनर ने कहा कि हर एक को संबंधित पक्षों को प्रभावित करने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करना होगा।

भाषा राजकुमार नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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