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Tuesday, 12 August, 2025
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए छत्तीसगढ़ में होगी ‘गौधाम’ योजना की शुरुआत

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रायपुर, नौ अगस्त (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और पशुधन संरक्षण को नई दिशा देने के लिए ‘गौधाम’ योजना की शुरुआत करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल पशुधन की सुरक्षा और नस्ल सुधार को बढ़ावा देगी, बल्कि जैविक खेती, चारा विकास और गौ-आधारित उद्योगों के माध्यम से गांव-गांव में रोजगार के नए अवसर भी खोलेगी।

उन्होंने बताया कि योजना का स्वरूप इस तरह तैयार किया गया है कि निराश्रित और घुमंतु गौवंशीय पशुओं की देखभाल के साथ-साथ चरवाहों और गौसेवकों को नियमित आय का स्थायी स्रोत उपलब्ध हो, जिससे ग्रामीण जीवन में आर्थिक स्थिरता एवं आत्मनिर्भरता आ सके।

गौधाम योजना के मसौदे को वित्त एवं पशुधन विकास विभाग से भी मंजूरी मिल चुकी है।

अधिकारियों ने बताया कि गौधाम योजना का उद्देश्य गौवंशीय पशुओं का वैज्ञानिक पद्धति से संरक्षण करना, गौ-उत्पादों को बढ़ावा देना, चारा विकास कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना, गौधाम को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करना, ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना है।

उन्होंने बताया कि पशुधन विकास विभाग ने यह योजना विशेष रूप से तस्करी या अवैध परिवहन में पकड़े गए पशुओं और घुमंतु पशुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार की है। प्रत्येक गौधाम में क्षमता के अनुसार अधिकतम दो सौ गौवंशीय पशु रखे जा सकेंगे।

अधिकारियों ने बताया कि गौधाम योजना के तहत चरवाहों को 10,916 रुपए प्रतिमाह और गौसेवकों को 13,126 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। इसके साथ ही मवेशियों के चारे के लिए प्रतिदिन निर्धारित राशि प्रदान की जाएगी।

उन्होंने बताया कि उत्कृष्ट गौधाम को वहां रहने वाले प्रत्येक पशु के लिए पहले वर्ष 10 रुपए प्रतिदिन, दूसरे वर्ष 20 रुपए प्रतिदिन, तीसरे वर्ष 30 रुपए प्रतिदिन और चौथे वर्ष 35 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि दी जाएगी। योजना के लिए बजट, नियम और शर्तें तय कर दी गई हैं, जिससे संचालन में किसी तरह की परेशानी न हो।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि गौधाम योजना से राज्य में पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी तथा बड़ी संख्या में चरवाहों और गौसेवकों को नियमित आय का साधन मिलेगा।

उन्होंने कहा कि पशुओं की नस्ल सुधार कर उन्हें अधिक दूध देने और खेती-किसानी में पूरी क्षमता से उपयोग करने योग्य बनाया जा सकेगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में जैविक खेती और चारा विकास कार्यक्रमों को भी गति मिलेगी, जिससे ग्राम स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और गांवों की अर्थव्यवस्था सशक्त होगी।

भाषा संजीव पवनेश शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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