‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ विवादस्पद किताब छापने की घोषणा किए जाने के बाद से ही गरुड़ प्रकाशन का फोन, ईमेल और व्हाट्सएप के इनबॉक्स प्री-ऑर्डर से गुलज़ार हैं. यह वही किताब है जिसे ब्लूम्सबरी इंडिया ने छापने से मना कर दिया था.
‘दिल्ली रायट्स 2020: अनटोल्ड स्टोरी’ पुस्तक को मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा ने लिखा है. लेखक ने आरोप लगाया है कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगे एक पूर्व-नियोजित साजिश का परिणाम थे.
गरुड़, जो कह रहा है कि यह ‘भारत की सोच’ को बढ़ावा देता है, को एक दिन में 15000 प्री ऑर्डर्स मिल चुके हैं.
गरुड़ प्रकाशन के सह-संस्थापक अंकुर पाठक ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने जो आपको प्री ऑर्डर के आंकड़े दिए हैं वो अस्थायी हैं इनके बढ़ने की उम्मीद है. रविवार रात 9 बजे से हमने अपनी बुकिंग लाइनें खोली हैं, हमारे फोन की घंटी बजना बंद नहीं हुई है. हमें हमारी वेबसाइट, व्हाट्सएप नंबर, ईमेल और हमारे फोन पर प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं.
इसके अलावा पब्लिकेशन हाउस से कई और लेखकों ने अपनी किताबें जिन्होंने पहले ब्लूम्सबरी के साथ साइन किया था वापस लेना शुरू कर दिया है. इसमें पूर्व आईएएस संजय दीक्षित भी हैं. जिन्होंने निंदा करते हुए घोषणा की है कि वह अपनी किताब प्रकाशक से वापस ले रहे हैं.
Missed this interaction of mine with @RatanSharda55 and @AdvaitaKala on the entire @BloomsburyBooks fiasco? Watch this @JaipurDialogues video talk. We cover the entire range of issues and call for boycott of @DalrympleWill @khaledhosseini and #HarryPotter https://t.co/CaIWUtCpL7
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) August 23, 2020
पाठक ने आगे कहा, ‘ संजय दीक्षित ने गरुड़ प्रकाशन के साथ कांट्रैक्ट साइन किया है, इसके साथ हमलोग और भी लेखकों से बात कर रहे हैं जो हमारे साथ काम करना चाहते हैं.’
‘तथ्य आधारित पुस्तकों का समर्थन करना चाहते हैं’
ब्लूम्सबरी इंडिया ने शनिवार को किताब न छापने की घोषणा तब की जब विलियम डेलरिम्पल और आतिश तासीर जैसे प्रमुख लेखकों ने सार्वजनिक रूप से प्रकाशक की एक मंच पर निंदा की और कथित रूप से प्रकाशक पर भड़क गए.
इस विवाद की जड़ बनी एक ऑनलाइन बुक लांच जिसमें आमंत्रित लोगों में से एक दिल्ली बीजेपी के नेता और पूर्व विधायक कपिल मिश्रा थे- जिनके उत्तेजक भाषणों ने फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में अशांति फैला दी ती. पुस्तक लोकार्पण के लिए अन्य पैनलिस्टों में भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव, ओपइंडिया की संपादक नूपुर शर्मा और फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री भी शामिल थे.
फिर, 23 अगस्त को, गरुड़ प्रकाशन ने ट्विटर पर घोषणा की कि वह इस पुस्तक प्रकाशित करेगा.
Announcement:
It's official now: @GarudaPrakashan is going to bring the book of @advmonikaarora ji, #DelhiRiotsUntoldStory in English and Hindi both.
Pre-buy links will be shared with you soon.
Keep following us!
Thank you all for putting your trust in Garuda.— Garuda (@GarudaPrakashan) August 23, 2020
यह भी कहा गया की किताब के प्री ऑर्डर की भारी संख्या की वजह से उनकी वेबसाइट पूरी तरह से क्रैश हो गई.
FRIENDS,
We don't know about future, but THIS IS CERTAINLY UNPRECEDENTED. THANK YOU!
Sharing the confirmation!
OUR WEBSITE INDEED CRASHED.
We are on the job!
KEEP FOLLOWING THIS SPACE!
?@GarudaPrakashan @advmonikaarora pic.twitter.com/dnEWWY0Pw9
— Garuda (@GarudaPrakashan) August 24, 2020
इस किताब को गरुड़ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किए जाने के निर्णय के बारे में पाठक ने कहा, ‘ जैसे ही ब्लूम्सबरी ने किताब के प्रकाशन से इनकार किया, हमने लेखक को किताब छापने का ऑफर किया. 100 कॉपी किसी भी हालात में किताब के लांच के दौरान बांटी जाएगी, और हमलोग किताब के नैरेटिव और फैक्ट्स से भी वाकिफ थे.
उन्होंने यह भी बताया कि किताब छापने का निर्णय संपादकीय टीम का हिस्सा था. पाठक ने आगे कहा,’ ‘हम अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता के दबाए जाने के खिलाफ हैं. हमने किताब को तथ्यों के आधार पर सही पाया. यह गलत है कि कुछ लोगों ने किताब को बिना पढ़े खारिज कर दिया है.’
इस किताब की एक लेखक सोनाली चिताल्कर ने इसे, ‘भारत का चार्ली हेब्दो मोमेंट’ कहा. दिप्रिंट से उन्होंने कहा, ‘ यह किताब अब लोगों की किताब हो गई है. जब हमने देखा कि ब्लूम्सबरी ने हमारी किताब को मार देने की कोशिश की है तब हमलोग हमारे पाठकों के पास सोशल मीडिया के द्वारा पहुंचे और लोगों से मदद की गुहार लगाई. और उनलोगों ने हमारी मदद की. और उन्हीं लोगों ने हमें गरुड़ प्रकाशन के पास जाने की सलाह दी और हमलोगों ने ऐसा किया.’
चिताल्कर ने आगे कहा,’ हमलोग ऐसा मानते हैं कि लोग दंगे से पहले पढ़ेंगे. बिना किताब को पढ़े उसके बारे में अपनी राय बना लेना गलत है. इस पुस्तक को बिना किसी पूर्वाग्रह और धारणा के लिखा गया है, और हमने जैसा घटित हुआ उसे वास्तविकता के साथ रखा है.’
गरुड़ प्रकाशन क्या है
गरुड़ प्रकाशन वो पब्लिशिंग हाउस है जिसे आईआईटी के पूर्व छात्रों संक्रांत सानू और पाठक ने शुरू किया है. यह गुरूग्राम में है और जो अपने बारे में ये कहता है, ‘एक ऐसा मंच जहां भारतीय सभ्यता के परिप्रेक्ष्य और उसके को सामने लाने वाली कहानियां बताई जाती हैं.’
इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति के लिए एक वैकल्पिक कहानियों और कथा का निर्माण करना है, जो पश्चिमी संस्कृति और पूर्वाग्रहों से मुक्त हों
गरुड़ के प्रसिद्ध प्रकाशनों में से एक फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री का ‘अर्बन नक्सल ’था, जिसका नाम उस विवादास्पद शब्द के नाम पर रखा गया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए भी इस्तेमाल किया.
प्रसिद्ध टीवी न्यूज पैनलिस्ट मेजर जनरल जीडी बख्शी (रिटायर्ड) ने भी गरुड़ प्रकाशन के लिए एक किताब लिखी है, जिसका शीर्षक ‘द सरस्वती सिविलाइजेशन’ है, जो ‘व्हाइट वाश्ड इतिहास’ के विरोध में भारत के “मूल” इतिहास को बताने का दावा करती है.
गरुड़ द्वारा प्रकाशित अन्य उल्लेखनीय किताबों में लेखक मयंक पटेल द्वारा लिखित ‘इंडिया फैक्ट्स: हिंदू ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट 2017 ’और सह-संस्थापक संक्रांत सानू द्वारा लिखित ‘द इंग्लिश मीडियम मिथ ’शामिल हैं.