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Sunday, 16 June, 2024
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एनडीआरएफ के महानिदेशक, पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के एएसआई को वीरता पदक

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नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) जम्मू कश्मीर के पुलवामा में फरवरी 2019 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक बस पर आतंकी हमले को विफल करने का प्रयास करते हुए शहीद हुए बल के सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) मोहन लाल और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक (डीजी) अतुल करवाल को शनिवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सीआरपीएफ के ‘‘शौर्य दिवस’’ ​​​​के मौके पर करवाल की वर्दी पर पदक लगाया, जबकि उन्होंने लाल की पत्नी सरिता देवी को पदक प्रदान किया। लाल को यह पदक मरणोपरांत दिया गया है।

लाल (50) 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ की बस पर पुलवामा में हुए हमले के दौरान शहीद हुए 40 कर्मियों में शामिल थे। वह जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर पुलवामा के लेथपोरा में बीएसएनएल टावर के पास माइलस्टोन नंबर 272 पर तैनात सीआरपीएफ रोड-ओपनिंग पार्टी के पिकेट कमांडर थे, जब प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) द्वारा कायरतापूर्ण हमला किया गया था।

सीआरपीएफ की बस को टक्कर मारने वाली कार को आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार चला रहा था, जिसके अंदर करीब 200 किलोग्राम विस्फोटक भरा हुआ था। लाल के प्रशस्तिपत्र में कहा गया है कि सीआरपीएफ के काफिले के कुछ वाहनों के गुजरने के बाद, लाल ने कार को ‘‘काफिले के साथ चलते हुए और काफिले के वाहनों के बीच प्रवेश करने की कोशिश’’ करते हुए देखा। इसके अनुसार बहादुर अधिकारी ने ‘‘कार को रुकने का इशारा किया और उसका पीछा किया, लेकिन उसकी गति से मुकाबला नहीं कर सके।’’

प्रशस्ति पत्र में लिखा है, ‘‘आखिरकार, कोई अन्य विकल्प न पाकर, उन्होंने अपनी एके राइफल से संदिग्ध कार को रोकने के लिए उस पर गोली चलाई, लेकिन कार पास में चल रही सीआरपीएफ की बस से जा टकराई और एक बड़ा विस्फोट हुआ।’’

बल की 110वीं बटालियन के उप-अधिकारी को घटना के दौरान बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक (पीपीएमजी) से सम्मानित किया गया। केंद्र ने पिछले साल गणतंत्र दिवस पर लाल के लिए पदक की घोषणा की थी।

गुजरात कैडर के 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी करवाल वर्तमान में एनडीआरएफ के प्रमुख हैं। उन्होंने पिछले साल नवंबर में एनडीआरएफ का कार्यभार संभाला था, जब वे हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के निदेशक के रूप में कार्यरत थे। उनके पास अकादमी का अतिरिक्त प्रभार है।

करवाल को 2016 में श्रीनगर में ईडीआई परिसर में उनके और उनके सैनिकों द्वारा संचालित किए गए आतंकवाद-रोधी अभियान के लिए बहादुरी पदक से सम्मानित किया गया था, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के तीन आतंकी मारे गए थे और संस्थान के लगभग 100 कर्मचारियों को सीआरपीएफ ने वहां से सुरक्षित निकाल लिया था।

अधिकारी तब कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ के महानिरीक्षक (आईजी) के रूप में कार्यरत थे और यह उनका दूसरा वीरता पदक है।

सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट नरेश कुमार (36) को भी 2017 में श्रीनगर हवाई अड्डे के पास एक सुरक्षा बल शिविर में एक साहसी अभियान संचालित करने के लिए वीरता के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है, जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए थे। यह उनका सातवां वीरता पदक है, जो उन्हें देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल में सबसे अधिक वीरता पदक प्राप्त करने वाला कर्मी बनाता है।

कुमार सीआरपीएफ के कश्मीर स्थित क्विक ऐक्शन टीम (क्यूएटी) के कमांडर थे, जिसने घाटी में कुछ सबसे साहसी आतंकवाद विरोधी अभियान संचालित किये हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान गृह सचिव द्वारा 100 वीरता पदक प्रदान किये गए। यह कार्यक्रम ‘‘शौर्य दिवस’’ के दिन आयोजित किया जाता है। नौ अप्रैल, 1965 को 2 बटालियन केरिपुबल की एक छोटी सी टुकड़ी ने गुजरात के कच्छ के रण में सरदार चौकी पर पाकिस्तानी ब्रिगेड द्वारा हमले को विफल कऱ दिया। इस हमले में 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया गया था और 4 को जिंदा गिरफ्तार किया गया था। सैन्य लड़ाई के इतिहास में कभी भी एक छोटी सी सैन्य टुकड़ी इस तरह से एक पूर्ण पैदल सेना ब्रिगेड से नहीं लड़ी। इस संघर्ष में 6 बहादुर केरिपुबल के रण बाँकुरों ने अपनी शहादत दी। बल के बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि के रूप में हर वर्ष 9 अप्रैल को ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

भाषा अमित दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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