नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पब्लिक ब्रॉडकास्टर एसवीटी समेत दो स्वीडिश मीडिया हाउस को कानूनी नोटिस भेजने जा रहे हैं. गडकरी के कार्यालय ने गुरुवार को बताया कि ये नोटिस इस आशय की रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए भेजे जाएंगे कि वह और उनके परिवार के सदस्य लग्जरी बस और ट्रक निर्माता कंपनी स्कैनिया के साथ एक सौदेबाजी से संबद्ध हैं.
गडकरी के कार्यालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘निश्चित तौर पर यह मानहानि का मामला है. हम कानूनी नोटिस का मसौदा तैयार कर रहे हैं और इसे कल दो मीडिया हाउस को भेजेंगे.’
स्वीडिश समाचार एजेंसियों ने बुधवार को बताया था कि लग्जरी बस निर्माता ने कथित तौर पर स्कैनिया बसों को बेचने के सौदे हासिल करने के लिए 2013 और 2016 के बीच भारत के सात राज्यों में कुछ लोगों/अधिकारियों को रिश्वत दी थी.
मीडिया रिपोर्टों में यह आरोप भी लगाया गया है कि स्कैनिया ने गडकरी के बेटे से जुड़ी एक कंपनी को एक लग्जरी बस की आपूर्ति की थी, जिसे 2016 में गडकरी की बेटी की शादी में इस्तेमाल किया जाना था.
गडकरी के कार्यालय के अधिकारी ने कहा कि ऐसी रिपोर्टों के बाद स्कैनिया की तरफ से बुधवार को एक विस्तृत बयान जारी करके कहा गया है कि उसने गडकरी को उनके निजी उपयोग के लिए कोई बस नहीं भेजी थी.
उन्होंने कहा, ‘स्कैनिया के प्रवक्ता हंस-एके डेनियलसन ने अपने बयान में गडकरी के बेटों के साथ जुड़े किसी भी व्यापारिक सौदे में शामिल होने की बात से साफ इनकार किया है.’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘चूंकि स्कैनिया बस का पूरा प्रकरण स्वीडिश कंपनी का आंतरिक मामला था इसलिए स्कैनिया के प्रवक्ता के बयान से साफ हो गया है कि गडकरी और उनके परिवार के सदस्यों का किसी भी स्कैनिया बस की खरीद या बिक्री से कोई लेना-देना नहीं है. न ही उनका किसी ऐसे व्यक्ति या फर्म से कोई लेना-देना है, जिसे इस बस की खरीद या बिक्री से जोड़ा जा सकता हो.
गडकरी के कार्यालय के मुताबिक, स्कैनिया के बयान में डेनियलसन ने कहा है कि कंपनी ने स्कैनिया मेट्रोलिंक बस बेंगलुरू स्थित अपने एक डीलर ट्रांसप्रो मोटर्स को बेची थी जिसने इसे सुदर्शन हॉस्पिटैलिटी नामक कंपनी को बेचा था, यह नागपुर से बाहर की भारतीय बस ऑपरेटर कंपनी है.
बयान में कहा गया है, ‘… विशेष तौर पर यह बस 2016 में स्कैनिया इंडिया से उसके एक निजी डीलर ने खरीदी थी, उसने इसे अपने ग्राहकों में से एक (एक भारतीय बस ऑपरेटर) को बेचा था. बयान में कहा गया है कि मुझे इस बस की मौजूदा स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
गडकरी के कार्यालय ने बुधवार शाम एक बयान जारी कर मंत्री और उनके परिवार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को ‘दुर्भावनापूर्ण, मनगढ़ंत और आधारहीन’ बताया था.’
दिप्रिंट ने गुरुवार सुबह विस्तृत सवालों वाला एक ई-मेल स्कैनिया के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन और पीआर प्रमुख कारिन हाल्सटन और डेनियल्सन, जो प्रेस मैनेजर भी हैं, को भेजा था लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.
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क्या है स्कैनिया का पूरा मामला
बुधवार को यह खबर सामने आई थी कि स्कैनिया, जो कि फॉक्सवैगन एजी की कॉमर्शियल व्हीकल इकाई ट्रेटन एसई का हिस्सा है, की 2017 की आंतरिक जांच में कई कर्मचारियों के भ्रष्ट आचरण का खुलासा हुआ है जिसमें इसके इंडिया ऑपरेशन का वरिष्ठ प्रबंधन भी शामिल है.
कंपनी की रिपोर्ट, जो सार्वजनिक नहीं की गई है, में आरोप लगाया गया है कि अब कंपनी छोड़ चुके स्कैनिया के कुछ कर्मचारियों ने करीब 65,000 यूरो की राशि बतौर घूस चुकाई थी. सात राज्यों में कंपनी की बसें बेचने के सौदे से जुड़े कम से कम 19 मामलों में राज्य सड़क परिवहन निगमों के स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी.
आंतरिक रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि स्कैनिया ने भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की एक कोयला खनन कंपनी को 100 ट्रक बेचने के लिए कथित तौर पर अपने वाहन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया.
स्कैनिया ने अपने बयान में यह भी कहा कि नागपुर नगर निगम (एनएमसी) की तरफ से बतौर ट्रायल इस्तेमाल की गई 55 बसों को लौटा दिया गया है.
गडकरी के कार्यालय ने स्कैनिया के बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘ये पब्लिक ट्रांसपोर्ट बसें एनएमसी को दी गई थीं और ट्रायल पूरा होने के बाद स्कैनिया इंडिया को लौटा दिया गया. एनएमसी की तरफ से ऑर्डर की गई सभी 55 इथेनॉल बसों को स्कैनिया इंडिया में लौटा दिया गया है.’
स्कैनिया ने बुधवार को जारी बयान में यह भी कहा कि कंपनी ने तब से भारत में परिचालन बंद कर दिया है.
(मानसा मोहन द्वारा संपादित)
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