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जी20 घोषणापत्र भावी कूटनीति के लिए एक स्पष्ट उदाहरण: पूर्व राजदूत विवेक काटजू

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नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) पूर्व राजदूत विवेक काटजू ने कहा है कि जी20 की भारत की अध्यक्षता में जारी किया गया नयी दिल्ली घोषणापत्र भावी कूटनीति के लिए एक स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन मुद्दे से निपटने के लिए भारत की विशेष रूप से सराहना की।

भारतीय महिला प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) में शनिवार को जी20 सम्मेलन पर आयोजित परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए काटजू ने कहा, ‘‘यूक्रेन पर विभिन्न देशों के बीच गहरे मतभेद के बीच खाई को पाटना आसान नहीं था, लेकिन आम सहमति पर पहुंच पाना भारत के लिए मुश्किल होने का डर गलत साबित हुआ। घोषणापत्र भावी कूटनीति के लिए स्पष्ट उदाहरण होगा।’’

परिचर्चा में पूर्व राजदूत के. सी. सिंह और राजीव डोगरा अन्य वक्ता थे।

आईडब्ल्यूपीसी की ओर से रविवार को जारी किये गये बयान के मुताबिक, काटजू ने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करना भारत द्वारा द्वारा निभायी गयी रचनात्मक भूमिका है।

उन्होंने कहा कि जी20 का मुख्य जोर अब विश्व में स्थिरता लाना होना चाहिए। पूर्व राजदूत ने कहा कि फैसले लेने की प्रक्रिया में महिलाओं को शामिल करने तथा आतंकवाद पर बयान जैसे विषय जी20 में शामिल किये जाने के बावजूद भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है।

घोषणापत्र पर टिप्पणी करते हुए पूर्व राजदूत सिंह ने कहा कि अमेरिकियों ने भारत का समर्थन किया, ताकि वह चीन के खिलाफ उसके साथ रहे।

बहुपक्षीय संगठनों में सुधार के विषय पर सिंह ने कहा कि चीन डेढ़ लाख अमेरिकी डॉलर के साथ सबसे बडा ऋणदाता है। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप गलियारे के संबंध में उन्होंने कहा कि यह चीन की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड’ या बीआरआई पहल का जवाब है, लेकिन उन्होंने इसके क्रियान्वयन पर संदेह प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि अब नयी लड़ाई अफ्रीकी संसाधनों के लिए है। उन्होंने कहा, ‘‘अफ्रीका के साथ भारत के संबंध बहुत पुराने हैं लेकिन चीनियों को भी वहां से हटा पाना आसान नहीं होगा।’’

पूर्व राजदूत डोगरा ने जी20 की सफलता को स्वीकार किया, लेकिन कहा, ‘‘यह कोई पहली बार नहीं था कि हमने इस तरह का सफल आयोजन किया।’’

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) तथा गुटनिरपेक्ष सम्मेलन (1983) की भारत द्वारा मेजबानी का जिक्र करते हुए यह कहा।

उन्होंने कहा,‘‘अवरोधों से पार पाना भारत की कूटनीति का इतिहास रहा है।’’

उन्होंने चेतावनी वाले लहजे में कहा, ‘‘यह उम्मीद ना करें कि जी20 दुनिया को बदल देगा।’’

भाषा राजकुमार सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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